रीवा: विकास हुआ इतना कि दिल में न समाये, हलकी सी भी बारिश घर में घुसी चली आये, अफ़सोस कि जनप्रतिनिधियों के पास नहीं है कोई प्लान!
रीवा विधायक और रीवा महापौर सिर्फ बने है तमाशबीन की मानिंद दो सरकारों के बीच फसा है शहर दोनों में हैं अनबन, नहीं बुलाते एक दूजे को फीता काटने को सितम झेल रही जनता विकास दिख रहा टुकड़ो में पूर्व की सड़के गद्दों में तब्दील, रही सही कसर सीवर कंपनी ने सड़को को खोद कर कर डाली पूरी जरा सी भी बारिश और नालिया हो जाती है लबालब बरसात में नालिया सिर्फ दिखाने को होती है साफ़ कागजों में बिजली सरप्लस है परन्तु अघोषित बिजली कटौती से जनता त्रस्त सड़क-बिजली-पानी के मोर्चे पर दोनों है फेल !
हलकी सी बारिश भी बन जाती है आफत :
फिल्मो ,गानों, किताबों में सुनते है कि बारिश का मौसम सुहाना होता है। शायद होता भी होगा, पर रीवा की जनता क्या जाने क्युकी उसे तो मिला है विकास के नाम पर गद्दे सहित सड़के, गंदे पानी से लाबालब नाले,नालियां, अघोषित बिजली कटौती वाला शहर।
रीवा में जहां रुक-रुक कर हुई बारिश ने रीवा के विकास पुरुषों की पोल खोल कर रख दी है। रीवा की सबसे पुरानी और वीआईपी कही जाने वाली कॉलोनी नेहरू नगर के निवासी विगत कई वर्षों से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। इसी प्रकार शहर के अन्य इलाके घोघर, बिछिया, तोपखाना, उर्रहट, बांसघाट, कबाड़ी मोहल्ला, इंद्रा नगर , तुलसी नगर, बोदा बाग, निराला नगर ,सुन्दर नगर, शिव नगर, संजय नगर, निपनिया, शारदापुरम , गुलाब नगर आदि का यही या इससे भी बुरा हाल है।
बारिश के मौसम में छोड़ देते हैं घर :
हल्की बारिश होते ही रानीतालाब, शिव नगर, पारस नगर और कुछ भाग बांसघाट, दीनदयालधाम आदि के निवासी पहली मंजिल से बोरिया बिस्तर बांध कर दूसरे मंजिल पर पहुंच जाते हैं। यहां कमर तक पानी कब भर जाए कोई कुछ कह नहीं सकता, हद तो यह है कि लाखों करोड़ों रुपए लगाकर आशियाना बनाने वाले कौड़ियों के दाम यहां के भवन बेचकर दूसरे वार्डो में चले गए, जिनके पास पूजी नहीं थी या अपने पुराने घर का मोह था , वह आज भी बारिश के समय रात जागकर काटते हैं। क्या पता कब बारिश सितम ढा दे।
विकाशपुरष, महापौर और नगर निगम के पास नहीं है कोई मास्टर प्लान :
रीवा में कई वर्षों से भाजपा के महापौर रहे हैं और विधायक तो अभी भी कई वर्षो से हैं, इस बार नगर सरकार की कमान कांग्रेस के हाथ में है पर कोई खास फर्क नहीं है। वही लच्छेदार भाषण, आरोप प्रत्यारोप, विकास के बड़े बड़े वादे पर ये वादे कभी पूर्ण रूपेण पूरे नहीं होते। न ही व्यवस्था सुधरी।
इन्हीं अव्यवस्थाओं के चलते रीवा नगर निगम के रहवासियों ने कांग्रेस पार्टी के महापौर अजय मिश्रा बाबा को चुना है लेकिन कांग्रेसी महापौर भी मुहल्ले वासियों को बाढ़ से निजात नहीं दिला पाए, आप खुद देखिए रीवा नगर निगम को किस तरह से तालाब मानिंद बना दिया गया है। चारों तरफ से रिंग रोड, मॉडल सड़क बनने के कारण पूरा शहर तालाब में तब्दील हो गया है। पानी की समुचित निकासी ना होने के कारण पूरे शहर की गलियों में पानी भरा हुआ है। बिल्डिंग, पार्क, सड़क अच्छी बात है पर पानी की निकासी पर भी तो ध्यान दीजिये न। नहीं तो यही विकास सर दर्द बन जाएगा जो कि हो भी रहा है। कुल मिलकर यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि रीवा नगर निगम और विधायक राजेंद्र शुक्ला के पास कोई मास्टर प्लान नहीं है। बस किये जाओ किये जाओ, भुगतेगी तो जनता न।
रीवा शहर में खोदो और बनाओ का विकास :
जब जहां पैसा मिला वहां खोदो और बनाओ कि नीति के चलते ही रीवा नगर निगम के शहर वासियों को दूरदराज के ग्रामीणों से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर है। वार्डों में पीने के पानी की समस्या को लेकर लोग लड़ाई लड़ रहे है, लेकिन पूर्व महापौरो के साथ-साथ रीवा विधायक और वर्तमान महापौर के कान में जूं नहीं रेंगी और आज भी वार्ड के लोग पीने के मीठे पानी को तरस रहे है। अलबत्ता नालियों का गंदा पानी जरूर उनके घर तक आये दिन पहुंच जाता है।