रीवा: महाराजा मांगे राज! क्या मिलेगा ?


रीवा: महाराजा मांगे राज! क्या मिलेगा?

उल्लेखनीय है रीवा के इतिहासकार कहते है कि रीवा रियासत कभी गुलाम नहीं हुई। लेकिन वर्तमान महाराज राजनीति के ऐसे गुलाम हुए, कि कभी इस पार्टी, तो कभी उस पार्टी मतलब घुँघरू की तरह सजते ही रहे है।

पार्टी ही शंसय में हो जाती हैं कि ये महाराज फिलहाल किस पार्टी में है। टोपरी भर बोटबैंक लेकर महाराज जी याद दिलाते हैं कि मैं भी राजनीति में हूं। मैं भी नेता हूं, मैं भी पूर्व मंत्री था। यारो मुझको भी तो पहचानो। अभी अभी कुछ दिनों की बात है कि पूर्व मंत्री रीवा महाराजा पुष्पराज सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए हैं। लेकिन आप कहेंगे कि ये तो अभी बीजेपी में ही थे, हा थे तो जरूर, लेकिन फिर बीजेपी में चले गए हैं।
पुष्पराज सिंह इतने भोले हैं कि किसी भी पार्टी का कोई बड़ा नेता आकर उनसे मिल लेता है, तो पुष्पराज सिंह उनके हो जाते हैं। खैर इन्ही सब के बीच एक दिलचस्प बात भी सामने आ रही है कि, सेमरिया के विधायक की टिकट कटना पक्का बताया जा रहा है।

सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री पहले भी सेमरिया से बेहतर प्रत्याशी की तलासी कर रहे हैं। इसी बीच पुष्पराज सिंह ने भजपा में शामिल होकर सेमरिया विधानसभा का दौरा कर के पी त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ा दी है। के पी त्रिपाठी की मुश्किलें पहले भी कम नहीं थी क्योंकि सेमरिया से बीजेपी में एक और प्रवल दावेदार संजय द्विवेदी भी हैं। तो अब यह माना जा रहा है कि सेमरिया विधानसभा में के पी त्रिपाठी का टिकट लेने में तीसरा नंबर लग सकता है और कहते हैं कि तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, और पुष्पराज सिंह की सेमरिया से दाबेदारी के पी त्रिपाठी का खेल ही बिगाड़ दिए हैं। कुलमिलाकर के पी त्रिपाठी का सेमरिया से पत्ता लगभग साफ दिखता नजर आ रहा है।पुष्पराज सिंह लगातार सेमरिया का दौरा भी कर रहे हैं, और इसलिए वो पार्टी आये भी है।

अब पार्टी इन्ही कितना बड़ा लॉलीपॉप देती है।लेकिन वही आम आदमी पार्टी के प्रमोद शर्मा की लगातार पकड़ बनती जा रही है, लगातार मिल रहा जनसमर्थन और प्रमोद शर्मा द्वारा किये जा रहे पोल खोल यात्रा ने bjp के कान खड़े कर दिए हैं। दिलचस्प ये होगा कि कांग्रेस किसे अपना प्रत्याशी बनाती है। यदि पूर्व विधायक अभय मिश्र मैदान में होते हैं तो सभी पार्टियों के प्रत्याशीयो के दांत खट्टे हो सकते हैं,लेकिन कांग्रेस ज्यादा खुश न ,कांग्रेस की खुसी में पानी कांग्रेसी ही फेरते हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में दो ऑडियो भी वायरल हुआ था जिसमे एक कांग्रेस के नेता द्वारा के पी त्रिपाठी का प्रचार करते हुए वोट देने की बात कही जा रही थी, और कांग्रेस प्रत्याशी को बाहरी बताया जा रहा था, लेकिन त्रियुगीनारायण शुक्ल भगत अपने आप को अभी भी टिकट के रेश से बाहर नहीं बनाते हैं, तो वहीं दिवाकर द्विवेदी औऱ प्रदीप सोहगौरा भी टिकट की रेश में अपना घोड़ा दौड़ाए हुए हैं,जो पिछले विधानसभा में सेमरिया से कांग्रेस को हराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जबकि प्रदीप सोहगौरा जिला पंचायत का चुनाव तो जीत नहीं पाए लेकिन विधायकी लड़ने का मजा लेना चाहते हैं।लेकिन वही कांग्रेस की कथा में आते हैं सत्यनारायण, जी हाँ सत्यनारायण चतुर्वेदी, जो कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के सचिव रहे हैं,बस दावेदारी की इतनी ही वजह है, लेकिन सत्यनारायण की कथा के बाद जो होता है, होता वही सत्यनारायण चतुर्वेदी के साथ भी है केवल कांग्रेस कांग्रेस इन्हें पंजीरी थमा देती है।
बरहहाल पुष्पराज सिंह bjp में आये तो है, कब तक रहेंगे सायद उन्हें खुद नहीं पता होगा। जब भी किसी पार्टी का कोई बड़ा नेता आता है, पुष्पराज सिंह उसके हो जाते हैं। तो कायदे से एक बार आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को भी रीवा दौरा कर लेना चाहिए।खैर पुष्पराज सिंह ने के पी त्रिपाठी की टिकट को लेकर मुश्किलें बढ़ा दी है।

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