रीवा: पुलिसकर्मी के घर में हुई लाखों की चोरी, अज्ञात चोरों की तलाश जारी
पुलिसकर्मी के घर में हुई लाखों की चोरी CCTV जा रहे खगाले FSL की टीम ने किया मौका मुआयाना अज्ञात चोरों की तलाश जारी
रीवा: रीवा जिले में चोरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। आलम ये है कि जिनके ऊपर चोरी एवं अन्य आपराधिक घटनाये रोकने की जिम्मेवारी है, उनके घर में खुद चोरी हो जा रही है।
दरअसल ताजा मामले में चोरो ने एक पुलिसकर्मी के घर को ही निशाना बनाया है। जानकारी सामने आने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। आनन् फानन में
पुलिस ने हाथ पाँव मारना शुरू किया। थाना प्रभारी उपनिरीक्षक दिनेश यादव ने तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी। जानकारी मिलते ही FSL की टीम बुलाई गई। फिर मामले की शिकायत दर्ज कर आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से अज्ञात चोरों की तलाश शुरू कर दी गई है।
आनंद नगर का मामला :
दरअसल, मामला शहर के विश्वविद्यालय थाना अंतर्गत आनंद नगर का है। जब पुलिसकर्मी अपने परिवार के साथ गांव गए थे लेकिन जब वो गांव से शहर वापस आए तो घर का ताला टूटा मिला। घर के अंदर जाकर देखा तो सोना-चांदी भी गायब मिला। जिसकी बाजार में लाखों की कीमत बताई जा रही है। इस घटना के बाद से मोहल्ले में सनसनी फैल गई है।
हलाकि ये कोई पहला वाकया नहीं है जब इलाके में चोरी की घटना घटित हुई है। लगभग रोज ही शहर में चोरी, लूट आदि की घटनाये घट रही है। लगता है जैसे पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। क्युकी अगर पुलिस कुछ कर रही होती तो शहर में ऐसी घटनाये वो भी आये दिन क्यों घट रही होती ?
इसी प्रकार अभी हाल ही में बीते 14 अगस्त को विश्वविद्यालय थाना अंतर्गत ही जनता कॉलेज के पास अरुण नगर में सूने मकान में चोरी हुयी थी जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी और ना ही चोरो का कुछ अता पता चल सका है। दरअसल जनता कॉलेज के पास अरुण नगर में अंजू सिंह और आरती सिंह के आवास में चोरों ने चोरी की घटना को अंजाम दिया था। बताया गया कि दोनो बहने आवास में ताला बंद कर अपनी मां का इलाज कराने भोपाल गई थी, बस इसी मौके का फायदा चोरों ने उठाया और 25000 नकदी समेत लाखो का समान पार कर दिया था। घटना की रिपोर्ट पीड़िता के भाई शिवम सिंह निवासी गुलाब नगर रीवा ने थाने में दर्ज कराई थी। जिनका कहना है कि आज तक मामले में कुछ भी नहीं हुआ है। चोरी गए सामान बरामदगी की तो बात छोड़िये, आज तलक चोरी किसने की यह भी नहीं पता चल सका है। पूछने पर पुलिस का वही रटा रटाया जवाब है…जांच की जा रही है, जल्द ही चोरो का पता चल जाएगा।
और ये कोई एकमात्र घटना नहीं है बल्कि ऐसी कइयों वारदातें अकेले विश्वविद्यालय थाने अंतर्गत हैं जहा अभी तक सिर्फ जांच ही की जा रही है, जांच की आंच में निकला कुछ भी नहीं है। ये जांच की आंच इतनी धीमी है बीरबल की खिचड़ी भी शर्मा जायेगी। पर रीवा पुलिस को कोई फर्क नहीं पड़ता है। तो वही शहर की बात करें तो सैकड़ो ऐसे मामले लंबित है जहा अभी जांच ही चल रही है, जबकि नतीजा सिफर रहा है। जो रीवा पुलिस की पुलिसिंग के लिए कोई अच्छी बात नहीं है। आमजन भी इसमें पिसता जा रहा है।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर पुलिस द्वारा हांका अभियान, रात्रिकालीन गस्ती, हंड्रेड डायल और तमाम ताम झाम जिसमे सरकार के करोड़ो रुपए स्वाहा होते है उनका क्या औचित्य है? जब शहर में इस तरह की वारदाते आए दिन नही बल्कि रोज दर रोज घट रही है। यह सब तो पुलिस के असफलताओं का पिटारा ही खोलने का काम कर रही है।