रीवा: पानी के सहारे जिन्दा गौवंश, भूंखे मरने को मजबूर जानवर

रीवा: पानी के सहारे जिन्दा गौवंश, भूंखे मरने को मजबूर जानवर

रीवा: जिले में गौशालाओं की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है हद तो यह है कि गौशालाओं में टैग लगे जानवर बंद है ,जिन्हें चारे की जगह पानी दिया जा रहा है, उसी के सहारे जीवित है। कीचड़ में सैकड़ो गोवंश मर रहे हैं। रायपुर कर्चुलियान में संचालित गौशाला ,जहां विगत दिनों समाजसेवियों द्वारा गौशाला का भ्रमण किया गया तो वहां की अव्यवस्था देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, मृत पड़े जानवर और भूख प्यास से तड़पते गोवंशों को देखकर उन्होंने गौशाला के कर्मचारियों से बात की तो ,उसने बताया कि गोवंशों को खाने के देने के लिए चारा नहीं है, इतना ही नहीं जब समाजसेवियों ने कहा कि इन्हें बाहर चलने के लिए क्यों नहीं छोड़ा जाता तो कर्मचारियों ने कहा कि कोई व्यवस्था नहीं है। गौशाला के नाम पर गौशाला संचालकों को हर माह रकम दी जाती है, लेकिन वह गोवंशों की घास के लिए मिलने वाला फंड संचालक स्वयं हजम कर जाते हैं ,भाजपा सरकार गाय ,मंदिर धर्म के नाम पर राजनीति करती है लेकिन इनके शासनकाल में जिस तरह से गोवंशों की दुर्दशा है वह किसी से छिपी नहीं है।

कांग्रेस की योजना को बीजेपी ने किया हाईजैक
मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री गोशाला योजना के तहत बनाई जा रही गौशालाओं की स्कीम को वर्तमान मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा हाईजैक करते हुए गोशाला योजना प्रारंभ की गई वह खटाई में पड़ती नजर आ रही है। आज पूरे 5 वर्ष व्यतीत होने को हैं और मुख्यमंत्री गोशाला योजना के तहत बनाई जा रही गौशालाओं का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है जिसके कारण बेसहारा गोवंश दर-दर मारे मारे फिर रहे हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। गोवंशों का मामला एक बार फिर लाइमलाइट में है क्योंकि किसानों की खरीफ बुवाई का समय चल रहा है और कई जगह तो फसलें बड़ी होने के कारण जब यह बेसहारा गोवंश उनकी फसलों को नुकसान करते हैं तो इन्हें विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित करते हैं। रीवा जिले के परिपेक्ष में बात की जाए तो पिछले 1 से लेकर 2 दशक के बीच में गोवंशों के साथ भारी अत्याचार हुआ है जिसमें उनके मुंह पैर तार से बांध दिया जाना, घाटियों और खाइयों में धकेल दिया जाना, नहरों और जलप्रपातों में धकेल दिया जाना से लेकर अवैध तरीके से बनाए जा रहे बाड़ों में कैद कर दिया जाता है जिससे निरीह प्राणी मौत के घाट उतर जाते हैं।

जिम्मेवारों ने खाया सारा पैसा :
सवाल यह है कि मानव ने गौशाला निर्माण के लिए आई राशि का जो बंदरबांट मिलजुलकर किया जाता है, जिसमे घोटालेबाज ठेकेदार सरपंच सचिव सहित इंजीनियर लीपापोती कर रकक हजम कर जाते हैं। सवाल यह है कि यदि गौशालाओं का निर्माण नहीं हो पाता तो ऐसे में उन हजारों लाखों की संख्या में बेसहारा घूम रहे गोवंशों के भविष्य का क्या होगा जिन्हे आए दिन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है ? और खेती किसानी करने वाले लोगों के द्वारा उनका मुंह पैर तार से बांध दिया जाना, अवैध बांधों में कैद कर दिया जाना और उनके साथ विभिन्न प्रकार से पशु क्रूरता की जा रही है।

आज आवश्यकता है कि एक उच्चस्तरीय टीम गठित कर स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से रीवा जिले की सभी गौशाला निर्माण घोटाले की जांच की जाए और दोषियों पर कार्यवाही की जाये साथ ही जल्द गौशाला निर्माण कार्य पूरा किया जाकर गोवंशों को पोषण और संवर्धन हेतु सुरक्षित किया जाए। जिससे न केवल गोवंश की सुरक्षा हो साथ में किसानों की फसल नुकसानी भी न हो जिससे किसानों का उत्पादन भी बढ़े और देश की कृषि उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो। यह सब तभी संभव हो पाएगा जब गोवंशों की सुरक्षा और संवर्धन किया जाकर गोवंश आधारित उत्पाद से जैविक कृषि को बढ़ोतरी मिलेगी।

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