रीवा: तालाब बचाओ आंदोलन बेअसर, कॉलोनी निर्माण प्रगति पर, भू माफिया मस्त
रीवा: गौरतलब है कि दलसागर तालाब का यथावत स्वरुप बचाने स्थानीय लोग विगत कई वर्षों से धरना, प्रदर्शन, आंदोलन करते रहे है। यहाँ तक कि अदालती कार्यवाही
भी की गयी परन्तु भू माफिया पर अंकुश नहीं लगाया जा सका। शासन प्रशासन ने भी कारगर कदम नहीं उठाया और अगर उठाया भी तो नतीजा शिफर ही रहा है।
हद तो यह हो गयी कि एक ओर तालाब बचाने के लिए लोग अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर तालाब की भूमि पर कालोनी विकसित करने का कार्य फिर से प्रारंभ हो गया है। बाउंड्री वाल कार्य हुआ प्रारम्भ। जिसके चलते लोगों ने कलेक्टर से फिर शिकायत की है और कहा है कि तालाब में हो रहे अतिक्रमण को रोका जाए। लोगों ने कहा है कि यदि तालाब का अतिक्रमण नहीं हटेगा तो वह फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे।
रायपुर कर्चुलियान, नाइन, पटना, रौरा, खीरा सहित अन्य गांवों के लोगों ने कहा है कि प्रशासन जल्द से जल्द तालाब को अतिक्रमणमुक्त कराए। यह दलसागर तालाब नेशनल हाइवे के किनारे है, इसलिए व्यवसायिक दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है। जिसके चलते कई वर्षों से भूमाफिया की इस पर नजर है। कई बार तालाब की भूमि पर बाउंड्रीवाल बनाई गई और पूर्व में प्रशासन ने कार्रवाई भी की थी लेकिन अब प्रशासन का भी उदासीन रवैया है जिसकी वजह से तालाब की भूमि पर प्लाटिंग शुरू हो गई है।
आपको बता दें कि दलसागर तालाब की भूमि को पहले बेचा गया और बिल्डर्स ने इस पर कालोनी विकसित करने के लिए तैयारी की और अनुमति भी चाही थी। जिस पर तत्कालीन कलेक्टर ने इस आवेदन को निरस्त कर दिया था और आदेशित किया था कि सार्वजनिक निस्तार के तालाब की भूमि पर कालोनी विकास की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके लिए कलेक्टर ने बाकायदा डीएस प्रापर्टी बाजार न्यू बस स्टैंड रीवा को नोटिस भी जारी की थी।
तालाब की भूमि पर डीएस प्रापर्टी बाजार की ओर से ही कालोनी विकास शुरू किया गया और उसके लिए बकायदे प्रशासन से अनुमति भी मांगी गई। तालाब की भूमि 3.712 हेक्टेयर मे से 2.100 हेक्टेयर में कालोनी विकसित करने के लिए बिल्डर्स ने आवेदन दिया था। भूमि का नामांतरण गलत तरीके से होने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग स्थानीय लोगों ने पहले ही की थी।
उल्लेखनीय है कि लगभग दो वर्ष पहले भी यह मामला सुर्खियों में आया था। जिसके चलते कलेक्टर ने रायपुर कर्चुलियान के एसडीएम को निर्देशित किया था कि तालाब का स्वरूप सार्वजनिक निस्तार का पहले से है और उसके 70-80 प्रतिशत भाग में पानी रहता है। इसलिए तालाब के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हो। कलेक्टर के आदेश के बाद वहां पर निर्माण कार्य रोक दिया गया था लेकिन अब एक बार फिर से बाउंड्रीवाल बनाने का कार्य शुरू किया गया है, जिसके चलते अब विरोध भी शुरू हो गया है।