रीवा: जेपी सीमेंट तानशाही पर उतारू, कर्मचारियों का कर रहा शोषण, नही दे रहा नियमित तनख्वाह,करीब 16 करोड़ बकाया, सीटू ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर कार्यवाही की कि मांग
रीवा: जेपी सीमेंट एक बड़ा औद्योगिक घराना है। हलाकी जितने बड़ा इनका नाम है, कारगुजारिया उतनी ही निम्न या यूं कहे कि तानाशाही रवैए के लिए मशहूर है ये आद्योगिक घराना।
आए दिन कर्मचारियों के शोषण, जबरन ट्रांसफर,नियमित वेतन न देना,स्थानीय लोगो को रोजगार न देना, जिन्हे दिया है उनके ऊपर अकारण दबाव बनाना जैसे आरोप अक्सर जेपी सीमेंट रीवा पर वहा के कर्मचारी, रीवा वासी और विभिन्न संगठन बीच बीच में लगाते रहे है।
ताजा मामला भी कर्मचारियों के शोषण और Dalmiya कंपनी से गुपचुप करार कर लेने से जुड़ा है।आपको बता दे की आज सीटू संगठन और जेपी रीवा मजदूर कर्मचारी संगठन ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और जेपी सीमेंट की गलत कार्यशैली, तानाशाही रवैए से अवगत कराते हुए जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग कर न्याय की गुहार लगाई है। पत्रकारों से रूबरू होकर सीटू पदाधिकारी ने बताया है कि आज वो सब जेपी सीमेंट में श्रमिकों के समस्याओं के निराकरण के संदर्भ में ज्ञापन देने आए है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद से जेपी सीमेंट ने दमनकारी नीति शुरू करते हुए लगभग 500 लोगों को निकाल दियाI जिन्हें आज तक वापस नहीं लिया गयाI साथ ही कर्मचारी संगठन के जितने नेता थे उनको भी द्वेष भावना से ग्रसित होकर या तो उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया या फिर ट्रांसफर कर दिया गया है। आगे उन्होंने बताया कि कर्मचारी और अधिकारियों को लगभग एक डेढ़ साल से वेतन के लाले पड़े हैं। कभी 10 प्रतिशत तो कभी 20% तो कभी 25 प्रतिशत ऐसे करके वेतन दिया जा रहा है और जानकारी के मुताबिक कर्मचारी और अधिकारियों का कंपनी के ऊपर वेतन के मामले में 16 करोड रुपए से ज्यादा का बकाया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि जेपी सीमेंट ने डालमिया सीमेंट से गुपचुप करार कर लिया है। जबकि करार के टर्म्स एंड कंडीशन ना तो कर्मचारियों को पता है और ना ही जिला प्रशासन उनसे अवगत है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई कंपनी दूसरी कंपनी से डील करती है तो कानूनी रूप से पुराने कर्मचारियों का वेतन और नौकरी सुरक्षित रहती है। परंतु इस डील में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कंपनी उत्पादन कर रही है और डालमिया के सीमेंट बैग्स में सीमेंट भर कर भेजी जा रही है। उत्पादन तो पुराने कर्मचारियों से कराया जा रहा है परन्तु इस दौरान कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। साथ ही उन्हें नियमित वेतन नहीं दिया जा रहा है। इस तरह की दमनकारी नीतियों में जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करने की जरूरत है और इस संबंध में उन्होंने इसके पहले जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री को अवगत कराया साथ ही डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर सेंटर जबलपुर के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया है।
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आज इस तारतम्य में सभी सीटू के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय आए हुए हैं और कलेक्टर महोदय से हस्तक्षेप करने की और न्याय दिलाए जाने के लिए ज्ञापन दे रहे हैं। अगर उनकी मांगे नही मानी जाती तो आन्दोलन को और तेज किया जायेगा।