जिला अस्पताल में पहली बार नवजात के विकृत अंग की हुई सफल सर्जरी
ऑपरेशन के बाद पांच माह के नवजात के विकृत होठ दिखने लगे सामान्य
- जिला अस्पताल में किया गया ऑपरेशन
- पहली बार हुई सफल सर्जरी
- जटिल ऑपरेशन हुआ सफल
- नवजात शिशु केवल पांच माह की थी
- नवजात के होठ जन्मजात विकृत थे
- शिशु के होठ बाहर की ओर एवम बीच से कटे थे
- सर्जरी के बाद शिशु के विकृत होठ हुए सामान्य
- लोगो को राहत मिलने की जगी उम्मीद
- आयुष्मान योजना सिद्ध हो रही वरदान
रीवा : कुशाभाई ठाकरे जिला अस्पताल किसी परिचय का मोहताज नहीं है । अभी कुछ महीने पहले ही राज्य सरकार ने राज्य में उत्कृष्ट जिला अस्पताल का दर्जा दिया है। सीमित संसाधन में यहां के चिकित्सक और स्वास्थ्य महकमा मरीजों को उत्तम चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध करा रहे है । शासन द्वारा प्रदत्त विभिन्न योजनाओं के तहत मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है । नतीजतन उन गरीब परिवारों के मरीजों को बड़ी राहत मिल रही जो निजी अस्पतालों के भारी भरकम बिल चुका पाने में असमर्थ होते है ।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में जिला अस्पताल में एक पांच माह की बच्ची इलाज के लिए लाई गई थी जिसके होठ जन्मजात विकृत थे । शिशु के होठ बाहर की तरह फूले एवम बीच से कटे फटे थे ।इस विकृति के कारण नवजात को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था , जैसे सांस लेने में तकलीफ होना , देखने में भद्दा लगना , कुछ भी खाने पीने में दिक्कत होना । समय रहते उचित इलाज न होने पर इन समस्याओं के और गंभीर होने का खतरा था ।
जिला अस्पताल में नवजात का समुचित परिक्षण किया गया एवम परिजनों की रजामंदी से चिकित्सकों (सर्जन) ने विकृत होठ के ऑपरेशन (प्लास्टिक सर्जरी) करने का निर्णय लिया ।
गौरतलब है की यह सर्जिकल ऑपरेशन तकनीकी एवं चिकित्सकिय पहलू से काफी जटिल था । यह पहली दफा था जब किसी पांच माह के नवजात के विकृत होठ का ऑपरेशन जिला अस्पताल में होना था ।
सिविल सर्जन डॉ केपी गुप्ता ने ऑपरेशन हेतु सभी संसाधन उपलब्ध कराए । चिकित्सक (सर्जन) डॉ आलोक दुबे एवम डॉ सिद्धार्थ सिंह ने बच्ची का सर्जिकल ऑपरेशन किया , को की शत प्रतिशत सफल रहा। ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकों के साथ उनकी पूरी टीम (चिकित्सकीय दल) रही , जिनकी सहभागिता से यह जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक पूर्ण किया गया एवम पांच माह के नवजात के विकृत होठ सफल सर्जरी द्वारा सामान्य दिखने लगे ।
आपको बता दे कि यह पहली दफा है , जब जिला अस्पताल में इस तरह की सफल प्लास्टिक सर्जरी की गई है । इस सर्जरी के सफल होने से ऐसी विकृति ( कटे होठ एवम फटे तालुका) वाले मरीजों की उम्मीद जगी है , कि अब उनकी भी विकृति ठीक हो सकेगी ।इस खबर से मरीजों एवम उनके परिजनों को काफी राहत मिली है।
चिकित्सकीय दल में ये रहे शामिल
सिविल सर्जन_डॉ केपी गुप्ता ;
सर्जरी विभाग_डॉ आलोक दुबे , डॉ प्रवेश आर्या एवम डॉ सिद्धार्थ सिंह ;
एनेस्थीसिया विभाग_डॉ बृजबाला सिंह , डॉ प्रियंका मिश्रा एवम डॉ राधा सिंह ;
साथ में मेडीकल स्टाफ रहा जिनमे नर्स , वार्ड बॉय, टेक्नीशियन आदि रहे । जिनकी भूमिका ऑपरेशन के दौरान महत्वपूर्ण एवम सराहनीय रही।
कटे होंठ और तालू के लक्षण
सीधी के विख्यात सर्जन डा आलोक दुबे जो पहले जिला अस्पताल सीधी में अपनी सफलतम सेवाएं दे चुके हैं एवम फिलहाल जिला अस्पताल रीवा में बतौर सर्जन पदस्थ हैं । उनसे विस्तार से उक्त विषय पर चर्चा की गई। सर्जन डॉ आलोक दुबे ने ‘कटे होंठ और फटे तालू’ के मुख्य लक्षण के बारे में बताया कि , यह जन्म के समय फांक की उपस्थिति है । एक कटा हुआ होंठ , ऊपरी होंठ पर एक छोटे निशान जितना छोटा हो सकता है । यह एक भट्ठा या नाक तक जाने वाले छेद जितना बड़ा भी हो सकता है। एक फांक तालु सिर्फ एक छोटा सा क्षेत्र हो सकता है , जो सही ढंग से नहीं बना है। लेकिन तालु पर एक बड़ा अंतर भी हो सकता है। क्लेफ्ट वाले बच्चों को अक्सर अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। उन्हें खाने और बोलने में परेशानी हो सकती है। उन्हें सुनने की समस्या , कान में संक्रमण या दांतों की समस्या भी हो सकती है।
आगे डा आलोक ने बताया कि जब भी किसी शिशु को ऐसे जन्मजात लक्षण हो उनके परिजनों को चाहिए समय रहते , जल्द से जल्द अपने शिशु को चिकित्सक को दिखाए , ताकि उसका सफल इलाज एवम ऑपरेशन हो सके , क्युकी उक्त मामले में देर करने से मरीज की समस्या/तकलीफ दिनों दिन बढ़ती ही जाती है ।प्लास्टिक सर्जरी ही इसका एकमात्र सफल इलाज है। आजकल आधुनिक तकनीकी एवं आधुनिक यंत्रों की मदद से ऐसे ऑपरेशन अनुभवी चिकित्सकों द्वारा शत प्रतिशत सफलता पूर्वक किए जा रहे है। इसमें घबराने वाली कोई बात नही है।अपितु देर करना तकलीफदेह एवं जोखिम भरा अवश्य हो सकता है।
क्या है ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सकीय सलाह
डॉ (आलोक,सिद्धार्थ,प्रवेश) ने बताया कि यह अनुशंसा की जाती है कि आपके बच्चे के फटे होंठ की मरम्मत (आपरेशन) तब किया जाए , जब वह 10 सप्ताह और 1 वर्ष के बीच का हो। यदि आपके बच्चे का फांक विशेष रूप से बड़ा है , तो उसका डॉक्टर होंठ के आसंजन की सिफारिश कर सकता है , जिसमें फांक को बंद करने के लिए थोड़े समय के लिए सिलाई करना पड़ता है ताकि एक सर्जन मरम्मत कर सके।
सर्जरी के दौरान शिशु को एनेस्थेटाइज (बेहोश) किया जाएगा , जो कि एक जोखिमभरा काम है और एक सर्जन होंठ को बड़ा करेगा और फांक होंठ के दोनों किनारों पर ऊतक और त्वचा का उपयोग करके अंतर को बंद कर देगा ।
आयुष्मान योजना साबित हो रही वरदान
उल्लेखनीय है कि उक्त सफल प्लास्टिक सर्जरी (सफल ऑपरेशन) आयुष्मान योजना के अंतर्गत किया गया था , जिस कारण पूरा इलाज (ऑपरेशन सहित) निःशुल्क रहा । रीवा शहर में आयुष्मान योजना के माध्यम से ‘कटे होठ/फटेतालू’ जैसे केस का इलाज पहली बार आयुष्मान योजना के माध्यम से किया गया है।
पूर्व में कटे होठ/फटे तालू के इलाज कैसे होते रहे
- पूर्व में सामान्यतः उक्त मामलो को इलाज हेतु बाहर ‘स्माइल ट्रेन मिशन’ में भेजा जाता रहा है ।
- कई बार शासकीय स्तर पर विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते रहे है।
- चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा भी निःशुल्क ऑपरेशन कराए जाते रहे है।
परंतु उक्त सभी प्रयासों के बाद भी सभी लोग इलाज नहीं करा पाते थे क्युकी कई बार जानकारी का अभाव होता
है, तो कई बार मरीजों की संख्या अत्याधिक होने से इलाज हेतु , समय रहते , सभी का नंबर ही नही लग पाता , साथ ही गरीब लोग इलाज हेतू दूर दराज जाने एवम वहा रहने , खाने , इलाज कराने में सक्षम नही होते।
जिला अस्पताल रीवा में आयुष्मान योजना अंतर्गत (निःशुल्क) उक्त सफल प्लास्टिक सर्जरी होने से निःसंदेह आम जनमानस की उम्मीद जागी है और भविष्य में काफी राहत मिलने की संभावना है ।
by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news