रीवा : क्या करें जब रक्षक ही बन रहे भक्षक ! पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान

क्या करें जब रक्षक ही बन रहे भक्षक ! पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान

मौके पर खड़े होकर पुलिस ने घर में चलवाया जेसीबी , जबकि न्यायालय में मामला विचाराधीन है

रीवा : पुलिस प्रशासन को जहां हस्तक्षेप करने की जरूरत होती है , वहां पुलिस अपनी आंखें बंद कर लेती है ।लेकिन सत्ता शासन पैसे के दबाव पर जहां पुलिस का कोई रोल नहीं होता। वहां पुलिस खड़े होकर कुछ भी करवा सकती है।

कुल मिलाकर रीवा जिले में अगर यह कहे की पुलिस प्रशासन का उपयोग विरोधियों को कुचलने के लिए किया जा रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।

पाठकों को हमने एक खबर में बताया था कि कैसे एक पीड़ित अनाथ अपनी जमीन बचाने के लिए पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है लेकिन  उसकी सुनवाई नही हो रही , जबकि वहीं एक ऐसा मामला  बिछिया थाना क्षेत्र के महाजन टोला से सामने आया है , जहां अपनी जमीन को बचाने के लिए पीड़ित ने  पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई , लेकिन उल्टा पुलिस खुद खड़ी होकर घर में जेसीबी चलवा दी ।

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जबकि उक्त जमीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है और दूसरे पक्ष को कोर्ट से स्टे भी मिला हुआ है।
पीड़ित  सूरज बली कुशवाहा ने बताया कि परिवार के लोगों के साथ पारिवारिक हिस्सा बांट हुआ था । उस समय जो जंहा काबिज था , क्षेत्र के लोगों ने बंटवारा कर दिया था ।


लेकिन उनके बड़े पिता रामस्वरूप कुशवाहा ने चालाकी दिखाई और अपने हिस्से की जमीन में काबिज रहते हुए भतीजे के कब्जे की जमीन जो उसके नाम से थी प्रमेंद्र सिंह उर्फ अंतू नाम के व्यक्ति को बिक्री कर दिया ।
उक्त जमीन का मामला न्यायालय पहुंचा लेकिन इसी दौरान 19 फरवरी 23 की सुबह सैकड़ों की संख्या में पहुंचे प्रमेंद्र सिंह के साथी और पुलिस ने पीड़ितों के घर में जेसीबी चलाकर पूरा सामान नष्ट तहस-नहस कर दिया ।
सबसे बड़ी बात तो यह रही कि पुलिस की मौजूदगी में पूरी घटना घटी और पीड़ितों ने जब घर गिराने संबंधी दस्तावेजों की मांग की तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया ।
पीड़ित ने हर जगह शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है ।
आप समझ सकते हैं कि एक तरफ पुलिस खड़े होकर घर गिरवा देती है तो दूसरी तरफ अपने घर बचाने के लिए लोग फरियाद करते रहते हैं , जिसके लिए पुलिस के पास टाइम नहीं है।
इसीलिए कहा गया है की जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो किससे उम्मीद की जाय ? न्यायालय के फैसले तक की आबरू नही रखी जा रही । 

by Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news

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