
*पेयजल पाकर मदरी,गोबरा एवं सेहुड़ा के ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे
*गांव के ग्रामीणों के आंखों से छलके खुशी के आंसू
जिला मुख्यालय से दूरस्थ अंचल जवा में दूर-दूर तक पथरीली भूमि है साथ ही जंगल है। पथरीली जमीन होने के कारण बारिश का पानी नदी-नालों से बहकर निकल जाता है। ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी एवं मवेशियों के लिये पानी का इंतजाम करना मशक्कत भरा है। ग्रामीण अल सुबह उठते ही पानी का इंतजाम करने निकल जाते थे। बारिश और ठंड में तो नदी, तालाब एवं नालों से पानी मिल जाता था लेकिन ग्रीष्म ऋतु शुरू होते ही जीवन की असली परीक्षा शुरू होती थी। मार्च अप्रैल माह से ही नदी नाले सूखना शुरू हो जाते थे। सामने सबसे बड़ी समस्या पेयजल की व्यवस्था करने की होती थी।
ग्राम पंचायत कंचनपुर के ग्राम सेहुड़ा में जल-जीवन मिशन प्रारंभ होने से ग्रामीणों का जीवन बदल गया वे अपने दुख भरे दिन याद नहीं रखना चाहते। ग्रामीणों ने बताया कि जल जीवन मिशन शुरू होने से उनके ग्राम में शुद्ध पेयजल मौजूद है मवेशियों को भी पानी की इंतजाम हो गया है। जल-जीवन मिशन के अन्तर्गत हर घर जल पहुंचाने की शुरूआत मदरी ग्राम से हुई। ग्राम को जल जीवन मिशन से जोड़कर पानी की टंकी का निर्माण किया गया और घरों में नल कनेक्शन दिये गये। ग्रामीण नल से न केवल पेयजल प्राप्त कर रहे हैं बल्कि मवेशियों को पानी का इंतजाम कर रहे है तथा बचा हुआ पानी साग-भाजी के उत्पादन में सिंचाई के लिये करते हैं।
कभी पेयजल की आस में नदी-नालों की खाक छानने वाले ग्रामीणों के जीवन में बदलाव की झलक दिखी। ग्राम पंचायत गोहटा नंबर एक के ग्राम गोबरा के ग्रामीणों ने बताया कि उनका पूरा ग्राम रेतीला एवं पथरीला होने के कारण बारिश का पानी बहकर निकल जाता था। असली समस्या गर्मी के मौसम में होती थी जब नदी-नाले पूरी तरह सूख जाते थे तब पानी की एक-एक बूंद के लिये संघर्ष करना पड़ता था। ऐसा लगता था कि मवेशी तो प्यासे ही मर जायेंगे। मजबूरी वश नालों एवं नदियों का दूषित जल का उपयोग करना संघर्ष की पराकाष्ठा थी। दूषित जल के उपयोग से कभी बच्चे बीमार होते तो कभी परिवार। हैण्डपंप से पानी की जगह हवा निकलती थी तालाब में एक बूंद पानी नहीं रहता था।
इसी बीच लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के अन्तर्गत नल-जल योजना से पानी की टंकी का निर्माण कराया गया और सभी घरों में नल कनेक्शन किया गया। इससे सभी घरों में पानी आने लगा और पेयजल की समस्या दूर हुई। घर के मवेशियों के पानी की व्यवस्था हुई तथा सब्जी-भाजी की सिंचाई करने में मदद मिली। घरों में पेयजल आने से आंखों से खुशी के आसू छलक आयें।