हिंदी सिनेमा में ऐसे चंद ही महान कलाकार हुए, जिन्होंने हर किरदार को यूँ निभाया कि वह किरदार ही उनकी पहचान बन गया .
राज कपूर से था खास रिश्ता , कैसे बनें ‘पोपटलाल’
अकेला कॉमेडियन जिसको महमूद का उफान भी हिला नहीं सका
60 और 70 के दशक में कॉमेडियन महमूद पूरे हिंदी सिनेमा पर छाए हुए थे. उनकी आंधी में जॉनी वॉकर जैसे महान कलाकार भी टिक नहीं पा रहे थे, लेकिन बॉलीवुड का एक अकेला कॉमेडियन, जिसको महमूद का भी उफान हिला नहीं सका. वह थे राजेंद्र नाथ . उनका फिल्म में होना यानी हंसी का होना तय. वह किसी सीन में खामोश भी खड़े रहते हैं तो भी उस दौर के दर्शकों की हंसी उनको देखकर ही छूट जाती थी.उनकी बदकिस्मती और एक गलत फैसला उन्हें ले डूबा, जिसके बाद वह पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए थे .
हिंदी सिनेमा में ऐसे चंद ही महान कलाकार हुए, जिन्होंने हर किरदार को ऐसी निभाया कि वह किरदार ही उनकी पहचान बन गया. मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ में 8 जून 1931 में जन्मे राजेंद्र नाथ उन चंद्र कलाकारों में एक हैं. लोग इन्हें इनके असली नाम से कम ‘पोपटलाल’ के नाम से ज्यादा जानते हैं. राजेंद्र नाथ के पिता करतार नाथ मल्होत्रा अंग्रेजों के आईजी हुआ करते थे. वह अपने इस बेटे को डॉक्टर बनाना चाहते थे. रीवा में वह पोस्टेड थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटे की स्कूलिंग भी एक बड़े स्कूल से कराई. लेकिन करतार नाथ को क्या पता था कि बेटा तो हिंदी सिनेमा को अपनी किस्मत में लिखवाकर लाया है.
पापा बनाना चाहते थे डॉक्टर
पढ़ाई में कॉमेडियन राजेंद्र नाथ बिलकुल अच्छे नहीं थे. पढ़ाई लिखाई में उनका मन भी नहीं लगता था. इसलिए उनके घरवाले इस बात को समझ गए थे कि डॉक्टर बनना उनके बस की बात नहीं है. उनसे जब पूछा गया कि तुम क्या करना चाहते हो, तो उन्होंने बिना हिचकिचाहट के बता दिया कि वो सिनेमा में एक्टिंग करना चाहते हैं. उनके बड़े भाई प्रेमनाथ भी एक्टर थे.
कैसे बनें ‘पोपटलाल’
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भाई से कहा कि मुझे भी एक्टिंग करनी है. भाई ने मायानगरी में बुला लिया. राजेंद्र नाथ की बहन कृष्णा की शादी पृथ्वीराज कपूर के बेटे राज कपूर से हुई थी, तो उन्हें बॉम्बे में मदद मिल गई. राजेंद्र नाथ ने पृथ्वीाल थिएटर जॉइन किया, जिसके बाद उन्होंने दीवार, आहुति, पठान और शकुंतला जैसे नाटकों में हिस्सा लिया. कई महीनों के संघर्ष के बाद राजेंद्र नाथ फिल्मों में तो आए लेकिन इनकी शुरुआती फिल्में फ्लॉप रहीं . राजेंद्र नाथ ने साल 1961 में आई फिल्म ‘जब-जब फूल खिले’ में ‘पोपटलाल’ का किरदार निभाया था. वह किरदार इतना हिट हुआ था कि लोग उन्हें राजेंद्र नाथ की जगह पोपटलाल के नाम से याद करने लगे .
राजेंद्र नाथ की सबसे बड़ी गलती ये थी
बस उस दिन के बाद वह रुके नहीं, 1998 तक राजेंद्र नाथ करीब 253 फिल्मों का हिस्सा रहे. कॉमेडी के अलावा उन्होंने फिल्म मेकिंग का फैसला किया. लेकिन ये एक बड़ा फैसला उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई. पहली ही फिल्म ने उन्हें बड़े कर्जे में डूबा दिया. वो फिल्म थी ‘द गेट क्रेशर’. फिल्म में नीतू सिंह और रणधीर कपूर लीड रोल में थे. सिकंदर खन्ना को बड़ी फीस देकर डायरेक्टर बनाया गया. राजेंद्र को कॉमेडी में तो महारत हासिल थी, लेकिन फिल्म मेकिंग में उन्हें कोई अनुभव नहीं था. कास्ट, क्रू, और डायरेक्टर को कितनी फीस देनी होती है ये उन्हें पता ही नहीं था. जिसने जो फीस मांगी , राजेंद्र ने हाथों-हाथ दे दी . ओवर बजट होने से 10 दिनों में ही फिल्म की शूटिंग रुक गई .
जब कॉमेडियन ने कहा था , ‘ डिस्ट्रीब्यूटरों ने मुझे खून के आंसू रुलाया ’
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि कर्ज चुकाने के लिए यूपी और दिल्ली के डिस्ट्रीब्यूटरों ने मुझे खून के आंसू रुलाया. मेरी स्थिति पता होते हुए भी लोगों ने मुझसे ज्यादा ब्याज लिया और एक-एक पैसे निकलवाए. कर्जों को चुकाने के लिए उन्होंने फिर से अभिनय किया और फिल्मों से जो पैसा मिलता वह उससे ब्याज चुका पाते. पूरी तरह से बर्बाद हो चुके राजेंद्र नाथ अंदर से रोते, लेकिन अपने किरदार से लोगों को हंसा रहे थे . 20 सालों तक उन्होंने अपने कर्ज को चुकाया .
कर्ज से मुक्त हुए तो भाईयों की मौत ने तोड़ा
बड़ी मुश्किल से इस गम से निकले थे कि पहले बड़े भाई की मौत और फिर छोटे भाई नरेंद्रनाथ की एक हादसे में मौत की खबर ने उन्हें तोड़ दिया. दोनों के भाईयों की मौत के बाद वह डिप्रेशन में आ गए और उन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली. आखिरी बार वह टीवी सीरियल हम पांच में नजर आए थे .