मोहनिया टनल: अगर आगे बाढ़ या भूस्खलन जैसे आपदा आयी तो क्या है तैयारी ? कौन होंगे जिम्मेवार?
गौरतलब है कि रीवा-सीधी एनएच 39 पर बनी मोहनिया टनल में बाणसागर की नहर क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी भर गया है। जिसके कारण यातायात को परिवर्तित कर दिया गया है मौके पर जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और आनन् फानन में हालात को सुधारने का प्रयास किया। गनीमत रही कि कोई भी जनहानि नहीं हुयी। ये वही टनल है जिसका 10 दिसंबर 2022 को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उद्घाटन किया था।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री सीधी जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात देने आ रहे हैं। जिसे लेकर पूरा प्रशासनिक अमला व्यस्त है तो वहीं आधी रात बाणसागर की नहर टूटने के कारण प्रशासनिक अमले की व्यस्तता और अधिक बढ़ गई है।
ऐसे कैसे चलेगा:
दरमियानी रात बाणसागर नहर क्षतिग्रस्त हो गयी जिसके कारण टनल में पानी घुस गया। आनन् फानन में राहत कार्य शुरू हुआ, रूट डाइवर्ट करने से लेकर सारे प्रयास किये गए।
परन्तु यहां बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर ऐसे आपातकालीन हालात तो कभी भी आ सकते है। वैसे भी टनल पहाड़ चीर कर बनाई गई है, जिसकी वजह से टनल का ग्राउंड लेवल काफी कम है, तो कभी भी आपातकालीन स्तिथि आ सकती है।
ऐसे में क्या प्रशासन के पास आपदा से निपटने को कोई ठोस योजना है ? या फिर बस इस बार की तरह नेता, अफसर टनल के मुहाने पर खड़े होकर निहारते रहेंगे और भोपाल में बैठे अपने आला अधिकारीयों और सूबे के मुखिया को खुश करने के लिए भाग दौड़ करते दिखाई देते रहेंगे।
भू स्खलन भी हो सकता है ?
टनल मोहनिया घाटी को चीरकर बनायीं गयी है। ऐसे में इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि घाटी में भू स्खलन की वजह से कभी भी आपात स्तिथि उतपन्न हो सकती है। वैसे भी अन्य घाटियों की तरह मोहनिया घाटी में भी थोड़ा बहुत भू स्खलन होता रहा है, जिसकी गवाही वहा के सड़को और बाउंड्री वाली दीवारों में आयी दरारे दे रही है। तो अगर यही भू स्खलन बड़े पैमाने पर हुये तो क्या शासन प्रशसन की कोई तयारी है ?
बहरहाल यह सब सवाल हैं, जिनके जवाब जिम्मेवार ही दे सकते है, पर इतना है कि अगर कल को कोई भी आपदा या आपातकालीन स्तिथि आयी तो कीमत उसकी आमजन ही चुकायेगे।
सवाल यह भी है कि अगर ऐसी आपदा आयी और जनहानि हुयी तो जिम्मेवार कौन होगा ?