चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का हुआ शुभारंभ
मैहर : त्रिकूट पर्वत पर विराजी माई शारदा के दर्शन करने पहुचे श्रद्धालुओ का तांता लगा रहा
नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के रूप की आराधना होती है, देवी शैलपुत्री मां दुर्गा का ही स्वरूप है जिन्हें शांत और प्रिय देवी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन नौ देवियों में सबसे पहले माता शैलपुत्री की आराधना-पूजा की जाती है, आज भक्त माता शैलपुत्री से सुख और शांति की कामना करते हैं I
शारदे नवरात्री शुरू हो गयी है और देश भर के शक्ति पीठों में मांता के दरबार मे भक्तों का जन सैलाब उमड़ने लगा है मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर शक्ति पीठ में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु माई के दर्शन करने पहुच रहे हैं, सुबह 3 बजे से मां शारदा सक्ति पीठ में श्रृंगार एवम आरती के समय से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा लगा हुआ है, हजारों की संख्या में भक्त माई के दर्शन कर चुके है I
कानून एवम सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से रेलवे स्टेशन से लेकर मां के गर्भगृह तक करीब 1 हजार पुलिस जवान तैनात किए गए है, जवानों के अलावा दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 13 डीएसपी, एक सैकड़ा इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर शामिल है, सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रीवा रेंज के साथ जबलपुर, बालाघाट, शहडोल और सागर रेंज के जिलों से साढ़े 4 सौ पुलिसकर्मी ड्यूटी पर लगाए गए हैं, मेले में विषेस सशस्त्र बल की 6 कंपनियों के साथ होमगार्ड, एसडीईआरएफ फायर ब्रिगेड व वन वनविभाग की टीमें भी लगाई गई हैं, वही सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए बम निरोधक दस्ता और डॉग स्काट को भी तैनात किया गया है,
मध्य प्रदेश के सतना जिले का प्रसिद्ध मैहर की माँ शारदा सक्ति पीठ किसी परिचय की मोहताज नहीं है, लोक मान्यता है कि माता सती के गले का हार इसी त्रिकूट पर्वत पर गिरा था जो माई हार के नाम से जाना जाता था, जो परिवर्तित होकर मैहर हो गया, यहाँ देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु माँ के दरबार मे हाजिरी लगाने आते है, कहते है माँ किसी भी भक्त को खाली हांथ नही लौटाती है, यही कारण रहा है कि दरबार मे श्रद्धालु भक्तो का तांता लगा रहता है, क्या राजा क्या रंक सभी माँ डेहरी में माथा टेकते दिखते है, नेता अभिनेता और कलाकरो ने भी माँ की डेहरी से विश्व प्रसिद्धि पायी है I
किवदंती है कि माँ शारदा से अमरता का वरदान प्राप्त भक्त आल्हा प्राचीन काल से लेकर आज भी रोज़ाना माँ की प्रथम पूजा करते है, आज भी ब्रम्ह मुहूर्त में पुजारी द्वारा पट खोंलने पर माँ का श्रृंगार और माँ के चरणों मे पूजा के फूल चढ़े हुए मिलते है, प्रधान पुजारी बताते है कि मैहर वाली माँ शारदा की प्रतिमा दसवीं शताब्दी की है I
ग्रंथ बताते है कि आकाश मार्ग से भगवान शंकर जब माता सती की अध-जली हालात में पार्थिव शरीर लेकर भटक रहे थे तब मैहर के इसी त्रिकूट पर्वत की चोटी में माँ के गले का हार गिरा था, माँ का हार गिरने से कस्बे का नाम ‘माई हार’ पड गया, और बोलचाल की भाषा मे धीरे धीरे कस्बे का नाम मैहर हो गया I
नवरात्रि मे प्रतिदिन कई लाख श्रद्धालु हजारों सीढ़िया चढ़कर दरबार मे आते है और और अपनी मुरादों की अर्जी माई के दरबार मे लगाते हैं, मान्यता है कि माँ अपने हर भक्त की मांगी हुई मनोकामनाओ को पूर्ण करती हैं I