मुग़ल हरम के बारे में सब कुछ_

हरम शाही महिलाओं के  रहने  का  एक  अलग  स्थान   होता   था।   प्राचीन   काल   से   ही   इसका   जिक्र   हमें   समकालीन   स्त्रोतों   में   मिलता   है। ‘हरम’   अरबी   भाषा   का   शब्द   है   जिसका   अर्थ   है   छिपा   हुआ   स्थान।   समय   के   साथ – साथ   इसका   प्रयोग   महिला   कक्ष   के   लिए   होने   लगा।   परसियन   भाषा   में   इस   स्थान   के   लिए   जनाना   हिन्दी   में   महल – सरा   तथा   संस्कृत   में   अन्तापुरा   शब्द   का   प्रयोग   हुआ   है।

  अबुल   फजल   ने   अपनी   पुस्तक   आईन – ए – अकबरी   में   इसके   लिए   स्बीस्थान – ए – इकबाल   शब्द   का   प्रयोग   किया।
               हरम के अन्दर न   केवल   शंहशाह   की   बेगम   बल्कि   शहंशाह   की   सभी   महिला   रिश्तेदार   रहती   थी।मुगल   काल   में   तो   16 वर्ष तक   के   शंहशाह   के   लड़के   भी   हरम   के   अन्दर   ही   रहने   लगे थे।  हरम के अन्दर महिलाओं  की  संख्या   बहुत   होती   थी   क्योंकि   हरम   में   शहंशाह   की माँ ,  हिजड़े   आदि   भी   रहते   थे। बहन ,  पत्नियां ,  रखैल   आदि   के   अलावा   दासियाँ ,   
मुगल   हरम   से   हमारा   अभिप्राय   है –  मुगल   शाही   हरम ,  प्रथम   मुगल   बादशाह   बाबर   से   लेकर   बहादुरशाह   जफर   तक।    परन्तु   मुगल   हरम   का   सही   रूप   अकबर   से   शुरू   होता   है   और   जहांगीर   के   समय   में   अपने   चरम   पर   पहुंचता   है   तथा   औरंगजेब   के   साथ   ही   अपनी   पहचान   खो   देता   है   क्योंकि   इसके   बाद   मुगल   शासन   का   पतन   हो   चुका   था।   मुगल   बादशाह   कमजोर   हो   चुके   थे।   सही   रुप   से   उनके   साम्राज्य   का   आकार   सिकुड़   गया   था।   अब   हरम   रंगरलियों   का   अड्डा   बन   गया   था।   मुगल   काल   में   अनेक   स्थानों   पर   हरम   थे।   मुख्य   शाही   हरम   आगरा ,  दिल्ली ,  फतेहपुर   सिकरी   और   लाहौर   में   थे।   जहां   पर   बादशाह   और   उसके   अधिकारी   रहते   थे।   इसके   अलावा   अहमदाबाद ,  बहरानपुर ,  दौलताबाद ,  मान्छू   तथा   श्रीनगर   में   भी   हरम   स्थापित   किए   गए   थे। 


हरम   में   महिलाओं   की   संख्या   का   समकालीन   स्रोतों   के   द्वारा   पता   चलता   है।   अबुल   फजल   लिखता   है   कि   ‘‘ अकबर   की   हरम   में   पांच   हजार   महिलाएं   थी ’’   परन्तु   इससे   पहले   के   दो   बादशाहों   के   समय   यह   संख्या   300   और   चार   सौ   से   अधिक   ज्ञात   नहीं   होती।   

अबुल   फजल   कहता   है – ‘राजपूत   शासक   मानसिंह   की   हरम   में   भी   1500   महिलाएं   थी ’ ,   फ्रैसिस   मांजरेट   के   अनुसार   राजनीतिक   सन्धियों   के   लिए   अस्थायी   शादियों   के   जरिए   अकबर   की   300   पत्नियाँ   थी।   परन्तु   यह   संख्या   सही   नहीं   लगती   क्योंकि   जैसा   अबुल   फजल   लिखता   है   कि   हर   महिला   के   लिए   अलग   कक्ष   होता   था    तो   उस   समय   आगरा   और   फतेहपुर   सिकरी   में   इनका   निर्माण   लेकिन   इनमें   से   किसी   की   निशानी   न   बचना   जबकि   अन्य   समकालिन   भवनों   के   अवशेष   बचे   हैं।   जिससे   इन   आंकड़ों   पर   सन्देह   होता   है।
हाकिंस  जहांगीर  की  पत्नियों  की  संख्या  भी  300 बताता है  जबकि  कोरियत  1000 , वह  लिखता   है   कि   इनमें   नूरमहल   प्रमुख   थी। जहांगीर   के   आधुनिक   जीवनीकार   बेनी   प्रसाद   300   के   आंकड़े   को   भी   भयावह   मानते   हैं।   हालांकि   वह   इसमें   एक   बात   जोड़ते   हैं   कि   इसमें   शायद   सभी   रखैलों   की   संख्या   भी   शामिल   होगी।   संख्या   टामसराॅय   जहांगी   के   समय   में   हरम   की   महिलाओं   व   अन्य   की   संख्या   3000   बताता   है   जिसमें   बादशाहों   के   परिवार   की   महिलाओं   के   अलावा   रखैल   और   हिजड़े   व   दासियाँ   भी   शामिल   थी।   निकोलो   मनुची   2   हजार   की   संख्या   बताता   है।    शाहजहां   की   पत्नियों   की   संख्या   वैधानिक   रूप   से   निर्धारित   चार   से   अधिक   नहीं   थी।   हरम   में   फिर   भी   उप   पत्नियों   और   रखैलों   की   संख्या   काफी   बड़ी   थी   लेकिन   पहले   की   तरह   सैकड़ों   में   नहीं   थी।   औरंगजेब   के   समय   भी   हरम   में   संख्या   कम   ही   थी। 

हरम   का   प्रशासन :
शाही   मुगल   हरम   के   लिए   भी   एक   प्रशासनिक   व्यवस्था   थी।   जिसमें   अनेक   कर्मचारी   शामिल   थे।   ये   सभी   महिलाएं   होती   थी।   हरम   की   सुरक्षा   पर   बहुत   ध्यान   दिया   जाता   था   क्योंकि   बादशाह   हरम   में   सोने   के   लिए   जाता   था।   वहीं   खाना   खाता   था।   जिसके   कारण   जहर   देने   की   बहुत   सम्भवाना   रहती   थी।   खाना   पहले   चेक   किया   जाता   था।    सभी   कार्य   एक   विभाग   की   तरह   होते   थे।   सभी   की   तनख्वाह   निश्चित   थी   जो   हरम   में   नियुक्त   किए   गए   थे   इनमें   सबसे   मुख्य   दरोगा   था ,  जो   1028   से   1610   रूपए   महीना   जबकि   साधारण   नौकर   को   2   से   51   रूपए   महीना   दिया   जाता   था।   हरम   के   खर्च   का   हिसाब   खजांची   रखता   था।   अगर   हरम   का   कोई   भी   नौकर   अपनी   तनख्वाह   से   अधिक   लेना   चाहता   तो   उसे   थवीलदार   से   सम्पर्क   करना   पड़ता   था   फिर   थवीलदार   खजांची   को   यादाश्त  ( पत्र )  भेजता   था।   उसके   बाद   स्थापित   होने   के   बाद   उसे   खजांची   द्वारा   पैसा   दिया   जाता   था। 


अबुल   फजल   अकबर   के   शासन   में   हरम   की   सुरक्षा   का   जो   चित्रण   करता   है   उससे   जो   तस्वीर   उभरती   है   वह   इतनी   सख्त   दिखती   है   कि   इसमें   परिन्दे   को   भी   बिना   उचित   जांच   के   पर   मारने   में   कठिनाई   होती।   वह   लिखता   है   कि   यद्यपि   हरम   में   पांच   हजार   से   अधिक   महिलाएं   थी   लेकिन   अकबर   ने   प्रत्येक   को   एक   अलग   महल   दे   रखा   था ,  ये   महल   कई   कक्षों   में   बंटे   थे   और   प्रत्येक   कक्ष   एक   पवित्र   महिला   की   देखरेख   के   अधीन   था। ’’    इससे   यह   सुनिश्चित   होता   था   कि   सब   कुछ   सही   क्रम   में   है।   ‘‘ हरम   के   अन्दर   सबसे   विश्वसनीय   महिला   सुरक्षा   कर्मियों   की   तैनाती   होती   थी   जबकि   अंतः   पुर   के   बाहर   किन्नरों   की   टुकड़ी   तैनात   रहती   थी   सबसे   बाहरी   घेरे   में   ‘ विश्वासपात्र   राजपूतों   का   समूह   पहरेदारी   करता   था। ’’    जबकि   उनके   आगे   प्रवेशद्वारों   के   द्वारपाल   होते   थे।   हरम   की   दीवारों   के   चारों   और   अमीर   और   अहदी ,  एकल   सिपाही   और   अन्य   सैन्य   टुकड़ी   गश्त   लगाने   के   लिए   तैनात   की   जाती   थी।   हरम   के   सभी   आगंतुक ,  बेगमों   या   अमीरों   की   पत्नियों   या   अन्य   पवित्र   महिलाओं   को   प्रवेश   द्वारा   पर   सूचित   करना   आवश्यक   होता   था।   ‘‘ हरम   की   किसी   महिला   जिससे   इसकी   सूचना   दी   जाती   थी ,  द्वारा   अपनी   अगवानी   करवाने   की   इच्छा   व्यक्त   करनी   पड़ती   थी   और   अगवानी   करने   वाली   महिला   की   स्वीकृति   के   बाद   ही   उसे   एक   निर्धारित   समय   के   लिए   अन्दर   जाने   की   अनुमति   दी   जाती   थी।   ऊँचे   दर्जेवाली   महिलाओं   के   विशिष्ट   मामलों   में   यह   अवधि   पूरे   माह   की   भी   हो   सकती   थी।   इन   सब   के   अलावा   अकबर   खुद   भी   हरम   पर   निगरानी   रखते   थे। ’’ दशकों   बाद   ‘ मानुची   भी   हरम   की   सुरक्षा   व्यवस्था   का   कमोबेश   यही   विवरण   प्रस्तुत   करता   है।   ‘‘ औरंगजेब   के   समय   की   पुस्तक   अहकाम – ए – आलमगिरी   में   उल्लेख   मिलता   है   कि   महलदार   यानि   हरम   की   अधीक्षक   नूर – अल – निसा   ने   शहंशाह   के   तीसरे   बेटे   राजकुमार   मुहम्मद   आज़म   को   अहमदाबाद   स्थित   शाही   बाग   में   प्रवेश   से   मना   कर   दिया   था   क्योंकि   राजकुमार   ने   उसे   अपने   साथ   चलने   से   रोक   दिया   था।   प्रतिक्रिया   में   राजकुमार   ने   उसे   अपनी   सोहबत   से   बाहर   निकाल   दिया।   शिकायत   मिलने   पर   औरंगजेब   ने   उस   महिला   को   सही   ठहराया   और   अपने   बेटे   को   सजा   दी। ’’ 
बेग   तथा   दरोगा   की   यह   जिम्मेवारी   होती   थी   कि   वे   हरम   के   अन्दर   सही   व्यवस्था   बनाए   रखे   औरंगजेब   के   समय   महलदार   का   पद   बहुत   प्रभावशाली   हो   गया   था।

हरम   के   अन्दर   की   जीवनशैली :

हरम   के   अन्दर   रहने   वाले   हर   सदस्य   को   कठोर   नियमों   का   पालन   करना   पड़ता   था।   सामान्यतः   महिलाओं   को   बाहर   जाने   की   अनुमति   नहीं   दी   जाती   थी।   अगर   वह   बाहर   जाती   तब   भी   परदा   करना   जरूरी   था।   हरम   के   अन्दर   उनको   अनेक   आराम   देने   वाली   सुविधाएं   प्रदान   की   जाती   थी।   उनके   जीवन   में   आमोद – प्रमोद   की   कमी   नहीं   थी।    युरोपियन   यात्री   ब्रनियर   और   मनुकी   ने   अपनी   रचनाओं   में   इसका   वर्णन   किया   है –  ‘‘ हरम   के   अन्दर   हर   सुविधा   प्रदान   की   जाती   थी।   ये   महिलाएं   बडे़   महंगे   कपड़े   पहनती   थी ,  महंगे   जेवर   डालती   थी।   इनके   कक्ष   बड़े   आरामदायक   होते   थे।   हरम   की   महिलाएं   शराब   पीती   थी ,  इनका   खाना   शाही   रसोई   से   आता   था।   गर्मियों   में   ठण्डे   पानी   का   विशेष   प्रबन्ध   होता   था   अनेक   प्रकार   के   फल   उपलब्ध   होते   थे।   शाही   कारखानो   में   इनके   लिए   सुन्दर   परिधान ,  जेवरात ,  अन्य   प्रयोग   की   वस्तुएं   तथा   अनेक   प्रकार   की   साजो   सामान   वस्तुएं   तैयार   की   जाती   थी। ’

मनोरंजन   के   साधन :

हरम   में   रहने   वाली   महिलाएं   अधिकतर   समय   इसके   अन्दर   ही   रहती   थी   इसलिए   इनके   मनोरंजन   के   लिए   अनेक   प्रबन्ध   किए   जाते   थे।   हरम   की   महिलाएं   अपना   अधिकतर   समय   सजने   सवरने   में   बिताती   थी।   हरम   के   अन्दर   नाचने   वाली   तथा   गाने   वाली   अनेक   महिलाएं   होती   थी।   हरम   की   महिलाएं   अनेक   प्रकार   के   खेल   खेलती   थी।    ‘‘ हरम   के   अन्दर   गुलिस्तान   और   बोसतान   जैसी   किताबें   पढ़ी   जाती   थी।   शाही   महिलाएं   बाग   लगाने ,  स्थापत्य   कला   तथा   व्यापारिक   गतिविधिचयों   में   भी   भाग   लेती   थी। ’’ 

हरम   में   महिलाओं   का   स्तर   व   स्थिति :

मुगलकालीन   महिलाओं   का   सारा   जीवन   शहंशाह   के   प्रभाव   में   ही   कटता   था।   हरम   की   सारी   महिलाओं   की   स्थिति   एक   जैसी   नहीं   थी।   उसकी   स्थिति   और   स्तर   शहंशाह   के   द्वारा   ही   निश्चित   होता   था।   सभी   महिलाओं   के   आपसी   सम्बन्ध   मित्रभाव   के   होते   थे।   ऐसा   नहीं   कि   वे   आपस   में   घृणा   नहीं   करती   थी ,  लेकिन   सीधी   महसूस   नहीं   होने   देती   थी।   सभी   अच्छा   करने   की   कोशिश   करती   थी   सभी   अपनी   बुरी   आदतें   आपस   में   बैर   भावना ,  झगड़ालु   प्रवृति   बादशाह   से   छिपाने   की   कोशिश   करती   थी।    ‘‘ बादशाह   की   पत्नियों   में   सभी   के   लिए   यह   सम्मान   की   बात   होती   थी   कि   पहले   बेटे   को   कौन   जन्म   दे।   उसका   हरम   में   सम्मान   बढ़   जाता   था। ’’    सभी   को   वहां   खुश   रखा   जाता   था।   चिन्ता   और   दुखी   बातों   के   लिए   हरम   में   कोई   स्थान   नहीं   था।   हरम   में   किसी   की   मृत्यु   होने   से   पहले   ही   जो   महिला   बीमार   होती   थी   उसे   बीमारखाने   में   भेज   दिया   जाता   था।   शाही   महिलाओं   के   लिए   ऐसा   नहीं   किया   जाता   था।
अगर   किसी   महिला   की   कोख   से   बच्चा   पैदा   नहीं   होता   था   तो   वह   दूसरी   महिला   का   बच्चा   ले   सकती   थी।   महाम   बेगम   जो   बाबर   की   मुख्य   पत्नियों   में   से   थी   तथा   हुमायूं   की   माँ   थी ,  ने   जब   हुमायूं   के   बाद   जन्म   लेने   वाले   उसके   चार   बच्चों   की   मृत्यु   हो   गई   तो   उसने   बाबर   की   दूसरी   पत्नी   दिलदार   बेगम   से   हिन्दाल   और   गुलबदन   को   गोद   ले   लिया।   इसी   तरह   अकबर   की   पत्नी   ने   भी   खुरम   को   गोद   लिया   आगे   चलकर   सूजा   को   भी   जहांगीर   की   इच्छा   पर   नूरजहां   ने   गोद   लिया।

माँ   का   स्तर :

मुगल   काल   के   दौरान   हरम   की   पहली   महिला   सामान्यतः   बादशाह   की   माँ   ही   होती   थी।   केवल   नूरजहां   और   मुमताज   महल   जैसी   कुछ   महिलाओं   को   छोड़   कर   सभी   मुगल   बादशाहों   ने   माँ   के   लिए   बड़ा   सम्मान   प्रकट   किया।   बाबरनामा   और   हुमायुंनामा   में   इसके   अनेक   उदाहरण   हैं   जब   कई   अवसरों   पर   बादशाह   की   माँ   उपस्थित   होती   थी   तो   उस   दिन   को   त्यौहार   की   तरह   मनाया   जाता   था।   अबुल   फजल   ने   अकबर   के   बारे   में   इस   अवसर   का   वर्णन   किया   है।   वह   लिखता   है   कि   जब   अकबर   की   माँ   लाहौर   से   आगरा   पालकी   में   आ   रही   थी   तो   अकबर   भी   उसके   साथ   था।   एक   स्थान   पर   अकबर   ने   पालकी   को   अपने   कन्धो   पर   उठाया   और   उसके   अमीरों   ने   भी   ऐसा   ही   किया। 
‘‘ जहांगीर   ने   भी   अपनी   रचना   तुजक – ए – जहांगीरी   में   इसी   प्रकार   के   अवसर   का   वर्णन   किया   है। ’’ 

सौतेली   माँ   और   धाय  ( उप   माता ):

मुगल   हरम   में   बादशाह   की   माँ   के   अलावा   सौतेली   माँ   व   धाय  ( उप   माता )  भी   रहती   थी।   अनेेक   अवसरों   पर   ऐसा   हुआ   जब   बच्चा   अपनी   माँ   से   बिछुड़   जाता   था   तो   ये   महिलाएं   उसका   पूरा   ख्याल   रखती   थी।   यहां   तक   कि   अगर   वह   कम   उम्र   का   होता   तो   अपना   दूध   भी   उसे   पिलाती   थी।   धाय   का   भी   हरम   में   मुख्य   स्थान   था   इन्हें   अगाछा   कहा   जाता   था।   अकबर   जब   अपनी   माँ   हमीदा   बानों   बेगम   से   बिछुड़   गया   तो   अनेक   धायों   ने   उसकी   देखभाल   की ,  इनमें   माहम   आन्गा   मुख्य   थी।    इस   महिला   ने   अकबर   के   आरंम्भिक   शासनकाल   में   बड़ी   प्रभावशाली   भूमिका   अदा   की।   मुगल   बादशाह   भी   इन   महिलाओं   का   पूरा   सम्मान   करते   थे।   माहम   अन्गा   के   लिए   अकबर   के   दिल   में   पूरा   सम्मान   था।   जीजी   आन्गा   का   भी   अकबर   पूरा   सम्मान   करता   था। 👁


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