मप्र की सड़के, सड़के हैं कि कातिल! आकड़े जानकार आप हैरान रह जायेगे

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मप्र की सड़के, सड़के हैं कि कातिल! आकड़े जानकार आप हैरान रह जायेगे

मध्य प्रदेश की सड़के सड़के है कि कातिल… ये बात यूँ ही नहीं कही जा रही है बल्कि आकड़ो के आधार पर कह रहे है।
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री गडकरी या फिर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान विकास का चाहे जितना ढोल पीट लें लेकिन आकड़ो को तो नहीं झुठला सकते। अभी कुछ दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री गडकरी ने एलान किया था कि भारत सड़क में बनाने के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है और चीन हमसे पीछे है। लेकिन शायद भूल गए या फिर बताना नहीं चाहते कि भारत की सड़के दुर्घटना और जान लेने के मामले में किस नंबर पर है।

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आइये आपको बताते है आखिर मध्य प्रदेश की सड़के दुर्घटना और हादसों में कहा पर है…
PTRI के आकड़े चौकाने वाले और भयावह हैं। जिन्हे देखकर लगता है कि प्रदेश की सड़को में …ऐ भाई जरा देख के चलना, ये अजब गजब प्रदेश की सड़के है। गंतव्य तक पहुँचाती तो हैं पर जान भी ले लेती है कभी कभी !!!
PTRI (पुलिस ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट) के रिपोर्ट अनुसार 2022 एमपी में 54432 सड़क हादसे हुए है, जबकि सड़क हादसों में 13427 मौतें हुई है।
2022 में सड़को पर गढ्ढो की बात करें तो करीब 759 हादसे सड़को पर गढ्ढो की वजह से हुए है, जिसमे 200 लोग काल के गाल में समां गए है। जबकि 808 लोग घायल हुए है।
आपको बता दें की रिपोर्ट अनुसार सीधी सड़को पर 31 हजार हादसे हुए जिसमे 7743 लोगो की मौत हुई है, जबकि घायलों की संख्या 31046 रही।
घुमावदार सड़को पर 6615 हादसे हुए जिसमे 1616 लोगो कीमो हुई जबकि 6681 लोग घायल हुए।
कड़ी सड़को की बात करें तो 804 हादसे हुए, जिसमे 806 लोग घायल तो वही 287 की मौत हुई।
साथ ही निर्माणाधीन सड़को के आकड़े पर गौर करें तो 1091 हादसे, जिसमे 253 मृत जबकि 1233 घायल।
ब्रिज पर 1555 हादसे, जिसमे 398 मौते जबकि 1510 घायल, तो वही पुलिया पर 1281 हादसे जिसमे 1489 घायल और 293 मौते हुई है।

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क्यों हुए हादसे ?

  • सीधी सपाट सड़को पर तेज गति रही कारण, क्युकी लोगो ने नियम नहीं माने और ना ही उन्हें कोई रोकने टोकने और नियम बताने वाले जिम्मेवारों ने की कोई ख़ास पहल।
  • घुमावदार सड़को पर कई जगह रोड साइन बोर्ड नहीं रहे ,साथ ही मोड़ पर चालकों ने नियत्रण खोये।
  • चढ़ाई वाली सड़को पर पीछे से आ रही गाड़ियों ने संतुलन खोया तो कभी आगे की गाड़ियों ने।
  • निर्माणाधीन सड़को पर रास्ता सकरा होने तेज रफ़्तार आ रही गाड़िया हादसे का शिकार हुई।

सड़को पर क्यों होते है जानलेवा गढ़हे ?
ख़राब क्वालिटी: M 15 बिटुमेन बारिश में ज्यादा टिकाऊ नहीं पाए गए।
फ्लाई ऐश यानी राखड़: ज्यादा मुनाफे सीमेंट कम राखड़ का ज्यादा प्रयोग करना।
मरम्मत न होना: निर्धारित समय पर मेंटेनेंस न होना साथ ही घटिया गुणवत्ता वाला रखरखाव किया जाना।

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हैरानी की बात :
आप जानकार हैरान हो जायेगे कि ज्यादातर दुर्घटनाये कोहरे या बारिश के दौरान नहीं बल्कि साफ़ मौसम में हुए है।
आपको बता दें कि प्रदेश में बीते साल सबसे अधिक 35796 यानी 66 % हादसे साफ़ मौसम में हुए जबकि बारिश में 5405 हादसे तो वही कोहरे के कारण 4474 हादसे हुए जिसमे क्रमशः 8550, 1459 और 1177 लोगो ने अपनी जान गवाई। साथ ही उमस वाले मौसम में 678 हादसे हुए जिसमे 193 लोगो ने दम तोडा।

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ज्यादा हादसे का शिकार होती है नई गाड़िया :
रिपोर्ट अनुसार हादसों का शिकार सबसे ज्यादा नई यानी एक से पांच साल तक की गाड़िया ही होती आयी है। वजह ज्यादा गति का होना, चालक नया होना जैसे कारण प्रधान पाए गए है।
आपको बता दें की गत वर्ष करीब 14145 वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए जिनमे 3916 मौते हुई। जिसमे पांच से दस साल पुरानी 12869 हादसे हुए जिसमे 130 मौते हुई है।

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अब ऐसे में सवाल यही है कि आखिर जब इतने हादसे और इतनी मौते हो रही हैं तो सरकार जो इतनी विकास के दावो के पुल बांधती नजर आती है , वो सरककर इन दुर्घटनाओं के लिए कुछ क्यों नहीं करती और अगर करती है तो नतीजा क्यों नहीं सामने आता है। क्युकी अगर हादसे नाहीरुके तो ऐसे विकास और सड़क क्या मायने निकलेंगे?

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