भाजपा को मप्र में सता रहा सत्ता विरोधी लहर का डर ?
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अगले दो महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है। पिछले 18 वर्षो से प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, अगर बीच के कमलनाथ सरकार के कार्यकाल को छोड़ दे तो।
ऐसे में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का डर भी सता रहा है। इसीलिए भाजपा प्रदेश में पूरी ताकत झोक दे रही है। नए नए फॉर्मूले तलाशे और प्रयोग में लाये जा रहे है। दिल्ली से लेकर भोपाल और भोपाल से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र पर बीजेपी के बड़े नेताओ और खुद सीएम शिवराज नजर बनाये हुए है।
आपको बता दें कि देश के चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश गर्म है और उसी के बहाने 2024 के लोकसभा चुनाव की बिसात भी बिछाई जा रही है। अगर विधानसभा चुनाव में अपनाये गए फॉर्मूले हिट हुए तो 2024 में भी उन्ही को आजमाने की बात की जा रही है।
सत्ता विरोधी लहर का डर बीजेपी को इसलिए भी सता रहा है क्युकी कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदरूनी सर्वे में ग्राउंड रिपोर्ट अच्छी नहीं है। ये कुल मिलाकर वही हालात हैं जैसे कि 2014 में लोकसभा चुनाव के समय में कांग्रेस को था जब दस सालो से केंद्र में मनमोहन सरकार काबिज थी।
2023 में होने वाले चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है, क्योंकि चार राज्यों के चुनावी नतीजे का प्रभाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा। ऐसे में हर राजनितिक दल ने कमर कस ली है खासकर बीजेपी, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों ने।
MP में बीजेपी उहापोह में :
यूपी और गुजरात के अधिकतर बीजेपी विधायकों की ड्यूटी मध्य प्रदेश में लगाई गई थी। एमपी के आदिवासी इलाक़ों की ज़िम्मेदारी गुजरात के एमएलए को दी गई थी। जिस इलाक़े में ब्राह्मण वोटर अधिक हैं वहां उसी बिरादरी के विधायकों को भेजा गया था। जैसे रीवा ज़िले में यूपी के ब्राह्मण विधायकों रत्नाकर मिश्र से लेकर प्रकाश द्विवेदी की ड्यूटी लगाई गई थी। मध्य प्रदेश के दौरे पर गए बीजेपी विधायकों में से एक बड़े तबके का मानना है कि चुनाव कठिन है।
बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर :
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के साथ साथ बीजेपी के स्थानीय विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी का माहौल है, लेकिन लाड़ली बहना योजना समेत कई लोक कल्याणकारी योजनाओं के कारण बीजेपी लड़ाई में बनी हुई है। प्रवास कार्यक्रम से लौटे बीजेपी विधायक ने बताया कि अगर मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट सही लोगों को मिला और संगठन ने साथ दिया तो फिर एक बार राज्य में बीजेपी की सरकार बन सकती है। कुछ विधायकों ने पार्टी नेताओं की आपसी गुटबाज़ी और झगड़े को लेकर भी रिपोर्ट बनाने की बात की है। इस तरह से बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश की सियासी जंग आसान नहीं है।