भद्रा क्यों मानी गयी है अशुभ, भद्रा में राखी बांधने से क्या होता है ?
भद्रा क्या है, भद्रा में राखी बांधने से क्या होता है: भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इसलिए जब भी रक्षा बंधन पर भद्रा पड़ती है तो उस समय पर राखी बांधने से परहेज किया जाता है।
मान्यता है भद्रा काल में शुभ कार्य करने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं। धार्मिक पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। ये क्रोधी और कठोर स्वभाव की मानी जाती है जहां जाती है वहां उथल-पुथल मचा देती है। मांगलिक कार्यों में खलल डालती है। जानिए भद्रा क्या है, इस दौरान राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए और इस साल रक्षा बंधन 2023 पर भद्रा का समय क्या रहेगा।
रक्षा बंधन 2023 पर भद्रा काल का समय
- रक्षा बन्धन भद्रा पूंछ – 05:30 पी एम से 06:31 पी एम
- रक्षा बन्धन भद्रा मुख – 06:31 पी एम से 08:11 पी एम
- रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय – 09:01 पी एम
कौन है भद्रा? (What Is Bhadra)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार भद्रा भगवान शनिदेव की बहन और सूर्य देव की पुत्री हैं। इनका स्वभाव अत्याधिक कठोर माना जाता है और ये हर समय उथल-पुथल करती रहती हैं। कहते हैं कि असुरों का वध करने के लिए भद्रा का जन्म हुआ था। ये जन्म से ही उपद्रवी स्वभाव की थीं। वे हवन, यज्ञ और अन्य मांगलिक कार्यों में बाधा पहुंचाने लगीं थी। भद्रा के कार्यों और स्वभाव के कारण उनके पिता सूर्य देव बहुत परेशान थे। उन्होंने ब्रह्म देव से भद्रा के बारे में बात की। (भद्रा क्या बला है?)
ब्रह्मा जी ने तय किया भद्रा का समय
ब्रह्म देव ने भद्रा को समझाते हुए कहा कि तुम्हारे लिए एक समय तय किया जाता है जिस समय तुम्हारा वास होगा। इस तरह से भद्रा के स्वभाव को सामान्य रूप से नियंत्रित करने हेतु उन्हें पंचांग के एक प्रमुख स्थान दिया गया। इसलिए जब कभी भी किसी मांगलिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है तो उस समय भद्रा पर जरूर विचार किया जाता है और शुभ काम के लिए इस मुहूर्त का त्याग कर दिया जाता है। लेकिन यह भी देखा गया है कि भद्रा सदैव अशुभ नहीं होती बल्कि कुछ विशेष प्रकार के कार्यों में अच्छे परिणाम भी देती हैं।
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?
लोक मान्यता है कि रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांधी थी जिससे रावण का सबकुछ खत्म हो गया था। इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि भद्रा काल में भगवान शिव तांडव करते हैं। ऐसे मसय में यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पड़ता है।