बादल फटने का मतलब तबाही, आखिर क्यों फटता है बादल ?

बादल फटने का मतलब तबाही, आखिर क्यों फटता है बादल

  • बादल क्यों फटता है?
  • मिनटों में मच जाती है तबाही
  • पहाड़ी स्थानों में ज्यादा होती है घटना
  • बरसात में ज्यादा होती है घटना है
  • कई बार बादल फटने के कारण भारी जान माल का नुकसान होता है
  • घटना 2010 में कश्मीर में 1000 लोगों की हुई थी मौत
  • 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने से 150 लोगों की मौत

बरसात का मौसम शुरू हो गया है और बरसात के साथ ही बादल फटने की घटनाये जरूर ही सुनाई दे जाती है खासकर पहाड़ी स्थानों में।
बादल फटने का मतलब होता तबाही। जी हां मिनटों में तबाही का मंजर चारो ओर छा जाता है और फिर शुरू होता है वो खौफनाक घटनाक्रम जिसमे लोगो की जाने जाती है, पशु पक्षी कोई अछूता नहीं रहता, बड़ी बड़ी इमारते जमीदोज हो जाती है। जहा बादल फटता है उस जगह का मंजर ही बदल जाता है।

बरसात के मौसम में बादल फटने का खतरा ज्यादा होता है इसलिए पहाड़ी लोग अक्सर बरसात के मौसम से पहले सुरक्षित स्थानों की ओर कूच कर जाते हैं। क्युकी बरसात के मौसम में पहाड़ी जगहों पर बादल फटने की घटना ज्यादा होते देखी गयी है।

अहम सवाल यह है कि आखिर बादल क्यों और कैसे फटता है ?

बादल कब और क्यों फटता है ?
दरअसल, बादल फटने का मतलब है तबाही। यानी कि अगर बादल फटता है तो मिनट भर में खतरनाक स्तर पर बारिश शुरू हो जाती है जिससे घंटों के अंदर बाढ़ तक आ जाती है।
बादल फटने की घटना तब घटित होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इक्कठा हो जाते हैं और उन्हें फैलने के लिए जगह नहीं मिलती है। ऐसा होने से बादल में मौजूद पानी की बूंदें आपस में एक जगह जमा हो जाती है। बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है। घनत्व बढ़ने से जोरदार आवाज के साथ बादल फटता है और अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है। बाल फटने का मंजर प्रलय से कम नहीं होता।

पहाड़ों पर ही क्‍यों ज्‍यादा फटते हैं बादल ?
मौसम विज्ञानियों अनुसार नमी से भरे बादल जब हवा के साथ तेजी से आगे बढ़ते हैं तो बीच में उनका पहाड़ों से सामना होता है। इसके बाद पहाड़ों की ऊंचाई इसे आगे नहीं बढ़ने देती है। पहाड़ों से टकराने के बाद बादल अचानक फट पड़ता है और फिर उसमें मौजूद पानी अचानक बारिश के रूप में बहने लगती है। पानी का फोर्स इतना खतरनाक होता है कि यह मजबूत पहाड़ों को भी ढहा देती है। इसलिए ही पहाड़ों पर ज्‍यादा बादल फटते हुए देखे जातें है।

बादल फटने और फिर उससे हुई तबाही की कुछ घटनाये :

2010 जम्मू कश्मीर, लेह में बादल फटने की घटना :
अगस्त 2010 में जम्मू कश्मीर के लेह में दर्दनाक घटना घटी थी। जम्मू-कश्मीर के लेह में बादल फटने से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 400 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस जानलेवा आपदा के कारण लद्दाख क्षेत्र के कई गांव उजड़ गए और करीब 9000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।

2013 में उत्तराखंड में बादल फटने की घटना :
साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने की घटना से भीषण तबाही मच गई थी। इस घटना में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग लापता हो गए थे। ज्यादातर लापता हुए लोगों का आज तलक पता नहीं चल पाया है। लापता लोगों में से ज्यादातर तीर्थयात्री थे।

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