प. धीरेन्द्र शास्त्री ने विवाह को लेके ये क्या बोल दिया…

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री लगातार सुर्खियों में बने रहते है , फिर चाहे वो अपने क्रियाकलापों के लिए हो या फिर कुछ बोलने के लिए हो। ताजा मामला जबलपुर के पनागर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा का है जहा उन्होंने शादी ब्याह को ले कुछ ऐसा बोल दिया की वो फिर एक बार चर्चा में आ गए है।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने कहा कि आजकल उल्टा जमाना आ गया है। लड़का-लड़का और लड़की-लड़की आपस में विवाह कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने भी इस तरह की शादी को मान्यता देकर हद कर दी। ऐसा तो विदेशों में होता था । अब तो हमारे देश में भी होने लगा ।

हालांकि केंद्र सरकार सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के खिलाफ है । सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि यह भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है ।

समलैंगिक व्यवस्था को ले के सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार आमने सामने

देश की सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाये गए समलैंगिक सम्बन्धो को अब अपराध नहीं माना जायेगा। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था की जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। हलाकि केंद्र सरकार इसके समर्थनम में नहीं है और केंद्र सरकार उक्त फैसले के विरोध में हलफनामा दिया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कई बिन्दुओ को शामिल किया है जैसे यह फैसला प्रकृति के खिलाफ है इत्यादि

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जबलपुर के पनागर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा में बोल रहे थे। रविवार को कथा का दूसरा दिन था। उन्होंने कहा कि हनुमान जी अब बचाओ। पहले जमाना अच्छा था। लड़के की शादी लड़की से होती थी। लेकिन, आजकल तो कार्ड पढ़ना पड़ता है कि लड़के की शादी लड़की से हो रही है या लड़के से।

हम तो एक दिन सोच रहे थे , बताओ ऐसे ही युग में हमारा जन्म हुआ। जब लड़के-लड़के आपस में शादी कर रहे हैं। यह विदेश में बहुत चलता है। अब यह हमारे शहरों में होने लगा है। लड़के के विवाह के लिए लड़की की आवश्यकता नहीं है ।

पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वैसे व्यवस्था ठीक है। हमारे गांव में 2 से 3 लड़कों की शादी नहीं हो रही। हमने एक दिन बैठे-बैठे विचार किया। हमने कहा एक काम करो। जब नहीं हो रही तो इनकी आपस में करवा दो। जब व्यवस्था बनाई गई है और सरकार ने मान्यता भी दे दी तो बढ़िया है। कम से कम मरेंगे तो ब्रह्माजी से यह तो नहीं कहेंगे कि हमारा विवाह नहीं हुआ। 

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