पुलिसवाले ने भांजा बनकर मामा शिवराज को पत्र द्वारा बताई अपनी पीड़ा

पुलिसवाले ने भांजा बनकर मामा शिवराज को पत्र द्वारा बताई अपनी पीड़ा

MP पुलिस को मिलने वाले वेतन-भत्तों का मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। एक पुलिसकर्मी ने अपनी पीड़ा को बयां किया है। उसका कहना है कि साइकिल भत्ते के रूप में उसे 18 रुपये मिलते हैं, जबकि पंचर बनाने में 20 रुपये तक खर्च हो जाते हैं।

अशोकनगर जिले के सेहराई थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी इनायत खान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना ट्वीट टैग किया है। लिखित आवेदन में इनायत खान ने लिखा कि पुलिस कर्मचारी अन्य विभागों की भांति अपना कर्तव्य छोड़कर न तो हड़ताल पर जा सकते हैं और न ही कभी खुलकर मांगों को मुख्यमंत्री के सामने रख सकते हैं। पुलिस कर्मचारी काफी पीड़ा में है। प्रार्थी किसी भी तरह की अनुशासनहीनता नहीं करना चाहता है। आपने प्रदेशवासियों जो भांजे-भांजी का रिश्ता बनाया है। प्रार्थी भी उन्हीं में से आपका एक भांजा है।

इनायत ने लिखा कि आरक्षकों से लेकर अन्य पुलिस कर्मचारियों को अपने वाहन से काम करना पड़ता है। 1978 से पुलिसकर्मियों को 18 रुपये साइकिल भत्ता मिलता है। हकीकत तो यह है कि पंचर बनाने में भी 20 रुपये खर्च हो जाते हैं। ऐसे में पेट्रोल भत्ता मिलना चाहिए। कोई अन्य समाधान भी किया जा सकता है। पुलिस कर्मचारियों को किराये के तौर पर 712 रुपये मिलते हैं, लेकिन इतने में तो प्रदेश में कहीं भी एक कमरा भी इतने में किराये पर नहीं मिलेगा। मकान किराया भत्ता बढ़ना चाहिए। पुलिस कर्मचारियों को ऐसा प्रमाण पत्र जारी किया जाए, जिससे उसे शासन द्वारा निर्धारित भत्ते में किराये का मकान मिल सके। आरक्षक को 125 रुपये और प्रधान आरक्षक को 200 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं, जबकि बस का किराया बहुत ज्यादा खर्च हो जाता है। पुलिस कर्मचारियों को कई बार थाना क्षेत्र से बाहर एवं अन्य जिलों व राज्यों में शासकीय कार्य हेतु जाना पड़ता है। इस हेतु थाना स्तर पर बस वारंट एवं रेलवे वारंट तो मिलता है, लेकिन कई बार बस संचालक भी पुलिस कर्मचारियों को अच्छी नजर से नहीं देखते। ऐसे में कर्मचारियों को मध्यप्रदेश में ड्यूटी के दौरान यात्रा पास मिलना चाहिए अथवा किराया भत्ता बढ़ना चाहिए।

इनायत खान ने बताया कि मैंने यह पत्र मुख्यमंत्री को लिखा है। पोस्ट से भी मेल किया है। मेरे साथ ही अन्य साथियों ने भी मुख्यमंत्री को इस आशय में पत्र लिखे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि आपको सब लोग मध्य प्रदेश में मामा बोलते हैं। मैं भले ही सरकारी कर्मचारी हूं, आपको मामा ही बोलूंगा। इस नाते मैं उनका भांजा हूं और उस आधार पर ही यह पत्र लिखा है।

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