पयून के सहारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहाड़ी। चिकित्सकों के अभाव में दर-दर भटकते मरीज।
मध्यप्रदेश शासन की जन कल्याणकारी योजनाएं प्रत्येक गांव गांव नगर नगर चलाई जा रही है। सरकार की योजना है कि गांव के अंतिम छोर वाले व्यक्ति को भी शासन की योजनाओं का लाभ मिलता रहे। विकास में सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। तो वही पहाड़ी गांव में स्वास्थ्य विभाग ने बिल्डिंग तो तैयार कर दी। लेकिन उसमें सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई जिससे खड़ी बिल्डिंग क्षेत्र में मजाक बनती जा रही है।
जहां एक करोड़ 36 लाख से निर्मित भव्य इमारत क्षेत्र के लिए एक मिसाल बनी है। लेकिन जब उस बिल्डिंग के अंदर प्रवेश करके जानकारी जुटाई गई तो स्थितियां कुछ अलग ही बयां कर रही है चिकित्सा व्यवस्था शुन्य नजर आई एक पयून के भरोसे पूरा हॉस्पिटल चल रहा है। यह बात देखने में मिली।
मरीज इलाज के लिए भटकते नजर आए बताया गया है कि हॉस्पिटल में एक डॉक्टर नगेंद्र प्रकाश मिश्रा पदस्थ थे जिन्हें जून में बीएमओ बनाकर हनुमना भेज दिया गया। तब से आज तक किसी भी चिकित्सक की पदस्थापना नहीं की गई बीएमओ साहब समय निकालकर कभी-कभार पहाड़ी क्षेत्र आ जाते हैं। विडंबना यह है कि यहां ग्रामीणों को इलाज के लिए आसपास तक कोई सुविधा नहीं है।
यहां मरीजों को 15 किलोमीटर का सफर तय करके या तो हॉस्पिटल नईगढी जाए या फिर मऊगंज जाए तब तो उनका इलाज हो पाएगा। करोड़ों की यह हॉस्पिटल की बिल्डिंग सिर्फ क्षेत्र की शोभा बढ़ाने के काम आ रही है। मोटर पंप कई माह से जला पड़ा हुआ है जिससे पीने की पानी की सुविधा भी खत्म हो चुकी है जज इन निवारण के संबंध में लोगों ने बताया कि वह नईगढ़ी क्षेत्र में ही खड़ी रहती है। आखिर जिम्मेदार इस व्यवस्था से किनारा कैसे कर लिए। जनता के लिए यह बड़ा सवाल है।