पुरुष तत्व को स्वयंभू मनु का नाम दिया गया और स्त्री तत्व में पैदा हुई पहली महिला को शतरूपा.
शादी ना सिर्फ दो अनजान लोगों को एक करती है
पुरुष तत्व को स्वयंभू मनु का नाम दिया गया.
स्त्री तत्व में पैदा हुई पहली महिला को शतरूपा नाम दिया गया.
First Married Couple : हिंदू धर्म में विवाह सिर्फ दो लोगों का रिश्ता ही नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है. विवाह के दौरान कई प्रकार के रीति-रिवाज अपनाएं और किए जाते हैं. इन दिनों हमारे देश में शादियों का सीजन भी चल रहा है. हमें अपने घर के आसपास अक्सर बैंड बाजों और डीजे की आवाज सुनाई देती है. शादी के रिश्ते को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विवाह की रस्में किसने बनाई ? कहां से यह परंपरा शुरू हुई और धरती पर पहली बार शादी किसने की थी? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
पृथ्वी पर पहले दंपत्ति
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का निर्माण हुआ उस समय भगवान ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो टुकड़े किए थे, जिसमें से एक टुकड़े को “का” नाम दिया और दूसरे टुकड़े को “या” नाम दिया. इन दोनों ने मिलकर काया बनाई और इसी काया से पुरुष और स्त्री तत्वों का जन्म हुआ.
स्वयंभू मनु और शतरूपा बने पहले दंपत्ति बने
पुरुष तत्व को स्वयंभू मनु का नाम दिया गया और स्त्री तत्व में पैदा हुई पहली महिला को शतरूपा नाम दिया गया. हिंदू धर्म में मनु और शतरूपा को ही पृथ्वी का पहला मानव माना जाता है. जब इन दोनों का धरती पर पहली बार आमना-सामना हुआ तब भगवान ब्रह्मा से मिले संस्कारों और पारिवारिक ज्ञान से इनको दांपत्य जीवन में आने की दिशा मिली.
विवाह के नियम किसने बनाएं
हिंदू धर्म की कुछ धार्मिक पुराणों में बताया जाता है कि विवाह की शुरुआत श्वेत ऋषि ने की थी. श्वेत ऋषि ने ही विवाह की परंपरा, नियम, मर्यादा, महत्व, सिंदूर, मंगलसूत्र और सात फेरों समेत तमाम तरह की रीति-रिवाजों की स्थापना की थी. श्वेत ऋषि द्वारा बनाए गए नियमों में विवाह के बाद पति और पत्नी को बराबर का स्थान दिया गया.