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- एक रात में, एक पत्थर से बनें मंदिर में स्थापित है आलौकिक शिवलिंग
- देव विश्वकर्मा ने रातों रात बनाया यह शिव मंदिर
- दिन में चार बार बदलता है शिवलिंग का रंग
- एक रात में बना था मंदिर
- एक ही पत्थर से बना मंदिर
- देवतालाब में हैं यह सिद्ध शिव मंदिर
- मंदिर के नीचे चमत्कारिक मणि
- यहा जल चढ़ाने के बाद ही पूरी होती है चार धाम यात्रा
- मान्यता है मंदिर के नीचे है मंदिर,जहा मौजूद है चमत्कारिक मणि
आपको बता दें रीवा जिले के देवतालाब में एक ऐसा चमत्कारिक सिद्ध शिव मंदिर है जो देव विश्वकर्मा जी ने एक रात में एक ही पत्थर से बनाया था। इस एक पत्थर से बने भव्य मंदिर में शिवलिंग स्थापित है ।मान्यता यह भी है कि इस शिव मंदिर के नीचे एक दूसरा शिव मंदिर भी है जहा चमत्कारिक मणि मौजूद है । उल्लेखनीय है कि भले ही इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग कोई ज्योतिर्लिंग नही है ,परंतु फिर भी इस शिवलिंग की महत्ता इतनी है , जब तक इस शिवलिंग पर चारो धाम का जल नही चढ़ाया जाता , तब तक तीर्थ यात्रियों की चार धाम यात्रा पूर्ण नही मानी जाती है ।
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देवतालाब मंदिर का इतिहास
रीवा के देवतालाब स्थिति शिव मन्दिर वर्षों से क्षेत्र के लोगों में आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां मंदिर में हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु शिव मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं, देवतालाब मंदिर को लेकर वहां के रहवासिओं के अनुसार कहा जाता है की यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर में बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रातो-रात हुआ था और इसे स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था।
देवतालाब मंदिर को लेकर बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ। ऐसा कहा जाता है कि रात को मंदिर नहीं था लेकिन सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था लेकिन किसी को यह जानकारी नहीं है की मंदिर का निर्माण किसने करवाया और कैसे हुआ यह चमत्कार।
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पूर्वजों ने बताया की मंदिर के साथ ही यहां पर आलौकिक शिवलिंग का भी उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग काफी रहस्यमयी है, यहां शिवलिंग दिन में चार बार रंग बदलती है। एक किदवंती है कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब में शिव के दर्शन की ज़िद में साधना में लीन थे और जब भगवान शिव ने भगवान विश्वकर्मा को मंदिर बनवाने के लिए आदेशित किया की वे महर्षि को दर्शन देने के लिए यहां निर्माण करवाएं। उसके बाद रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई।
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देवतालाब की महत्ता/शिवकुंड है मौजूद
‘शिव’ की नगरी ‘देवतालाब’ का नाम ही तालाब से मिलकर बना है। देवतालाब मंदिर के आसपास कई तालाब हैं। वैसे देवतालाव में कई तालाबों का होना, यहां की विशेषता है। शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब है यह ‘शिव-कुंड’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस कुंड से जल भरकर ही श्रद्धालु सदाशिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों के लोगों के अनुसार माना जाता है की ऐसी है कि शिव-कुंड से पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में जल चढ़ाया जाता है ।
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मंदिर के नीचे है दूसरा मंदिर
मंदिर के नीचें है दूसरा मंदिर, ये भी है मान्यता
मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है जिसमें चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छुओं के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया है। मंदिर के ठीक सामने एक गढ़ी भी मौजूद थी यहां का राजा नास्तिक था। कहा जाता है कि इस मंदिर को गिरवाने के लिए राजा ने योजना बनाई थी, जैसे ही राजा ने योजना बनाना शुरु की अचानक उसी वक्त पूरा राजवंश जमीन के नीचे दबकर नष्ट हो गया।
ऐसा माना जाता कि देवतालाब के दर्शन से चारोधाम की यात्रा पूरी होती है। मंदिर से भक्तों की आस्था जुडी हुई है, यहां प्रति वर्ष तीन मेले लगते है और इसी आस्था से प्रति माह हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।
इस मंदिर के नीचे आज भी मौजूद है चमत्कारी मणि । एक रात में बना था देवतालाब का शिव मंदिर
जिले के देवतालाब में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में सावन माह में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। लाखों लोग मंदिर में दूरदराज से आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। देवतालाब मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ।
शिवलिंग का रंग दिन भर में चार बार बदलता है
पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की भी उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग रहस्यमयी है एवम दिन में चार बार शिवलिंग का रंग बदलता है।
यह है किदवंती
एक किदवंती है कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब स्थित शिव के दर्शन के हठ में आराधना में लीन थे। महर्षि को दर्शन देने के लिए भगवान यहां पर मंदिर बनाने के लिए विश्वकर्मा भगवान को आदेशित किया। उसके बाद रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिव लिग की स्थापना हुई। कहते है कि एक ही पत्थर पर बना हुआ अदभुत मंदिर सिर्फ देवतालाब में स्थित है।
मंदिर के नीचे चमत्कारिक मणि
एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमे चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छुओं के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया है। मंदिर के ठीक सामने एक गढी मौजूद थी। किवदंती है कि इस मंदिर को गिराने की जैसे ही राजा ने योजना बनाई उसी वक्त पूरा राजवंश जमीन में दबकर नष्ट हो गया। इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराजा ने यही पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया है। ऐसा माना जाता कि देवतालाब के दर्शन से चारोधाम की यात्रा पूरी होती है। इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुडी हुई। इसीलिए यहां प्रति वर्ष तीन मेले लगते है और इसी आस्था से प्रति माह हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।
“शिव” की नगरी “देवतालाब”
“शिव” की नगरी “देवतालाब” का नाम ही तालाब से मिलकर बना है। देवतालाब मंदिर के आसपास कई तालाब हैं। वैसे देवतालाव में कई तालाबों का होना, यहां की विशेषता है। शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब है यह “शिव-कुण्ड” के नाम से प्रसिद्ध है। “शिव- कुण्ड” से जल लेकर ही श्रद्धालु सदाशिव भोलेनाथ के “पंच-शिवलिंग” विग्रह में चढ़ाने की परंपरा रही है। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों के बुजुर्गों के अनुसार मान्यता ऐसी है कि “शिव-कुण्ड” से पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में जल चढ़ाया जाता है ।
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देवतालाब में जल चढ़ाने के बाद पूरी होती है चारों धाम की यात्रा
देवतालाब शिव मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। चारों धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की पूजा तब तक पूरी नहीं होती है जब तक देवतालाब शिव मंदिर में जल नहीं चढ़ा देते हैं। चारों धाम की यात्रा करने के बाद श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचकर भोलेनाथ का पूजन करते हैं।
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मंदिर मे लागु है ड्रेस कोड
इस मंदिर में जींस या स्कर्ट पहनकर नहीं जा सकेंगे लड़के-लड़कियां , ड्रेस कोड लागू : मध्य प्रदेश के रीवा जिले के देवतालाब शिव मंदिर में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया. अब कोई भी मंदिर में जींस, स्कर्ट या मॉडर्न आउटफिट पहनकर नहीं जा सकेगा. दरअसल, मंदिर परिषद की आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया . इस बैठक में ये बड़ा फैसला किया गया कि मंदिर के अंदर प्रवेश करने वाले पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहननी होगी. मंदिर परिषद के सदस्य और विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम भी ने कहा कि लोगों की आस्था को देखते हुए यह निर्णय किया गया है I
by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news