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नलजल योजनाओं का संचालन स्वसहायता समूह से कराएं – विधानसभा अध्यक्ष
ठेकेदार नलजल योजना के कार्य समय सीमा में पूरा करें – विधानसभा अध्यक्ष
रीवा 08 नवम्बर 2022. विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने नईगढ़ी रेस्ट हाउस में आयोजित बैठक में ग्रामीण क्षेत्र की समूह नलजल योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कई ग्राम पंचायतें नलजल योजनाओं के संचालन में रुचि नहीं दिखा रही हैं। ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव इसमें उदासीनता बरत रहे हैं। पूरी हो गई समूह नलजल योजना का संचालन महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से कराएं। इन्हें नलजल योजना के संचालन के संबंध में सभी अधिकार प्रदान करें।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ठेकेदार नलजल योजना के स्वीकृत कार्य तय समय सीमा में पूरा कराएं। निर्माण कार्यों में किसी भी तरह की बाधा आने पर प्रशासनिक अधिकारी आमजन के सहयोग से इन बाधाओं को दूर करेंगे। तेजी से कार्य पूरा करें जिससे गर्मी के पहले आम जनता को घर में नल से जल प्राप्त होने लगे। समूह नलजल योजना से कई गांवों का पेयजल संकट दूर होगा। स्थानीय जनप्रतिनिधि इन नलजल योजनाओं के संचालन में सहयोग करें। ग्रामवासियों को नल कनेक्शन के लिए नाम मात्र की ली जा रही राशि जमा करने के लिए प्रेरित करें। सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके आपको पानी की सुविधा दी है। इसके संचालन की जिम्मेदारी अब ग्रामवासियों की है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सबसे पहले ग्राम जुड़मनिया मुरली में संचालित योजना की जिम्मेदारी स्वसहायता समूह को दें। इसी तरह अन्य गांवों में भी स्व सहायता समूह को इस कार्य के लिए जिम्मेदारी दें।
विधानसभा अध्यक्ष ने बैठक में उपस्थित एसडीएम मऊगंज को नलजल योजना आ रही सभी बाधाओं को दूर करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पीएचई विभाग के अधिकारी शिवराजपुर तथा अन्य गांवों का दौरा करके नलजल योजनाओं के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करें। बैठक में ग्राम पांती, पाड़र, खटखरी, जुड़मनिया मुरली, जोरौट, परसिया, हन्नाचौर, पहरखा सहित अन्य गांवों में चल रहे कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में श्री सुरेन्द्र सिंह चंदेल, श्री अखिलेश सिंह, एसडीएम मऊगंज एपी द्विवेदी, कार्यपालन यंत्री पीएचई शरद सिंह, कार्यपालन यंत्री पीएचई मैकेनिकल पकंजराव गोरखेड़े, कार्यपालन यंत्री मऊगंज जेपी द्विवेदी, अन्य संबंधित अधिकारी तथा निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदार एवं बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
स्वसहायता समूह की सदस्यों को बनाया जाएगा ए-हेल्प पशु सखी
रीवा 08 नवम्बर 2022. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ पशुपालन प्रमुख व्यवसाय है। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में पंजीकृत महिला स्वसहायता समूह बड़ी संख्या में पशुपालन की गतिविधि संचालित कर रहे हैं। पशुपालन का अनुभव रखने वाली स्वसहायता समूह की महिलाओं को ए-हेल्प पशु सखी के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस संबंध में उप संचालक पशुपालन डॉ राजेश मिश्रा ने बताया कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा मछली पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा पूरे देश में ए-हेल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू किया गया है। यह कार्यक्रम अभी प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया है। ए-हेल्प का अर्थ है एक्रिडेटेड एजेंट फॉर हेल्थ एण्ड एक्सटेंशन ऑफ लाइवस्टॉक। ऐसे व्यक्ति जो पशुधन के स्वास्थ्य रक्षा में सहयोग करेंगे। उन्हें ए-हेल्प के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा। पशु सखी के रूप में स्वसहायता समूह की महिला का चिन्हांकन होने के बाद वह पशुपालन विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में विभागीय अधिकारियों को सहयोग करेगी। उसके द्वारा पशुओं के कान की टैगिंग कराने, पशुपालन के लिए स्वरोजगार के ऋण प्रकरण तैयार करने तथा पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा के संबंध में सहयोग दिया जाएगा। इन कार्यों में उसे निर्धारित प्रोत्साहन राशि प्राप्त होगी।
रबी फसलों की बुवाई – किसान भाइयों को सलाह
रीवा 08 नवम्बर 2022. रबी फसल की बुआई का समय प्रारंभ होने वाला है। जिले में रबी फसलों की बोनी अक्टूबर माह से दिसम्बर तक की जाती है। इस समय किसान को दो मुख्य बातों पर ध्यान देना चाहिए, पहला बीज तथा दूसरा उर्वरक। अगर बीज गुणवत्ता पूर्ण है और उर्वरक का प्रयोग समुचित नहीं है तो फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए कृषक बन्धुओं को ध्यान रखना चाहिए कि कौन सी खाद, कब, किस विधि से एवं कितनी मात्रा में देना चाहिए।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी गई सामयिक सलाह के तहत गेहूँ सिंचित हेतु अनुशंसित नत्रजन फास्फोरस पोटाश तत्व 120:60:40 सिंचित पछेती बोनी 80:40:30 असिंचित गेहूँ 60:30:30 एवं चना हेतु एन.पी.के. 20:60:20 एवं गंधक 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर उपयोग में लाना चाहिए। प्रायः कृषक बंधु डी.ए.पी. एवं यूरिया का बहुतायत से प्रयोग करते है। डी.ए.पी. की बढ़ती मांग, उंचे रेट एवं मौके पर स्थानीय अनुपलब्धता से कृषकों को कई बार समस्या का सामना करना पड़ता है। परंतु यदि किसान डी.ए.पी. के स्थान पर अन्य उर्वरक जैसे सिंगल सुपर फास्फेट, एन.पी.के.(12:32:16), एन.पी.के. (16:26:26) एन.पी.के. (14:35:14) एवं अमोनियम फास्फेट सल्फेट का प्रयोग स्वास्थ मृदा कार्ड की अनुशंसा के आधार पर करें तो वे इस समस्या से निजात पा सकते है।
प्रायः कृषक नत्रजन फास्फोरस तो डी.ए.पी. एवं यूरिया के रूप में फसलों को प्रदाय करते है परंतु पोटाश उर्वरक का उपयोग खेतों में नही करते जिससे कृषक की उपज के दानों में चमक व वजन कम होता है, और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को हानि होती है। इसलिये किसान बन्धुओं को आवश्यक है कि वे डी.ए.पी. के अन्य विकल्पों क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुरूप प्रयोग करें। जहां डी.ए.पी. उर्वरक का प्रभाव भारी भूमि में अधिक प्रभावशाली होता है वहीं एन.पी.के. उर्वरकों का प्रभाव हल्की भूमि में ज्यादा कारगर होता है। एस.एस.पी. के प्रयोग से भूमि की संरचना का सुधार होता है क्योकि इसमें कॉपर 19 प्रतिशत एवं सल्फर 11 प्रतिशत पाया जाता है। एस.एस.पी. पाउडर एवं दानेदार दोनों प्रकार का होता है। एस.एस.पी. पाउडर को खेत की तैयारी के समय प्रयोग किया जाता है। वहीं एस.एस.पी, दानेदार को बीज बोआई के समय बीज के नीचे दिया जा सकता है।
डी.ए.पी. में उपलब्ध 18 प्रतिशत नत्रजन में से 15.5 प्रतिशत नत्रजन अमोनिकल फार्म में एवं 46 प्रतिशत फास्फोरस में से 39.5 प्रतिशत पानी में घुलनशील फास्फोरस के रूप में मृदा को प्राप्त हो पाती है। शेष फास्फोरस जमीन में फिक्स हो जाने के कारण जमीन कठोर हो सकती है। इसी प्रकार इफको द्वारा नैनो तकनीक आधारित नैनो यूरिया (तरल) यूरिया के असंतुलित और अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्या के नियंत्रण के लिए बनाया गया है। सामान्यतः एक स्वस्थ पौधे में नत्रजन की मात्रा 1.5 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक होती है। फसल विकास की विभिन्न अवस्थाओं में नैनो यूरिया (तरल) का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूर्ण होती है एवं साधारण यूरिया की तुलना में अधिक एवं उत्तम गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
अनुसंधान परिणामों में पाया गया है कि नैनो यूरिया (तरल) के प्रयोग द्वारा फसल उपज, बायोमास, मृदा स्वास्थ और पोषण गुणवत्ता के सुधार के साथ ही यूरिया की आवश्कता को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। नैनो यूरिया (500 मि.ली.) की एक बोतल कम से कम एक यूरिया बैग के बराबर होती है। इसलिये कृषकों को नैनो यूरिया (तरल), एस.एस.पी. एवं एन.पी.के. विभिन्न उर्वरकों के विकल्प के रूप में स्थानीय उपलब्धता, रेट का आंकलन कर प्रयोग न्यायसंगत प्रतीत होता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए हेल्पलाइन नम्बर जारी
रीवा 08 नवम्बर 2022. ग्रामीण क्षेत्र के पात्र गरीबों को पक्के आवास की सुविधा देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू है। इस योजना का क्रियान्वयन अधिक सरलता से हो सके तथा हितग्राहियों को समय पर आवश्यक सुविधाएं मिले इसके लिए जिला पंचायत में हेल्पलाइन नम्बर शुरू किया गया है। कलेक्टर मनोज पुष्प के निर्देशों के अनुसार जिला पंचायत में हेल्पलाइन नम्बर की व्यवस्था की गई है। इस संबंध में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के लिए टेलीफोन नम्बर 07662-252607 तथा व्हाट्सएप मोबाइल नम्बर 9893008569 को हेल्पलाइन नम्बर बनाया गया है। आवास योजना के हितग्राही इन नम्बरों में फोन करके योजना के संबंध में अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। योजना की प्रथम किश्त प्राप्त न होने, जियो टैगिंग न करने तथा हितग्राहियों को मनरेगा से मजदूरी का भुगतान न होने पर इन नम्बरों पर सूचना देकर समस्या का समाधान कराएं। इन नम्बरों में प्राप्त समस्याओं का तत्परता से निराकरण किया जाएगा।
किसान भाई खेतों में संतुलित खाद का उपयोग करें – उप संचालक कृषि
रीवा 08 नवम्बर 2022. उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने किसानों को फसलों में खाद के संतुलित उपयोग की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि किसान भाई खेतों में खाद का संतुलित उपयोग करके कम खर्चे में अधिक फसल प्राप्त कर सकते हैं। सिंचित गेंहू में प्रति हेक्टेयर 16 किलोग्राम यूरिया, 30 किलोग्राम एनपीके तथा 17 किलोग्राम एमओपी का उपयोग करें। इसके विकल्प के रूप में प्रति हेक्टेयर 35 किलोग्राम यूरिया, 25 किलोग्राम एसएसपी तथा 17 किलोग्राम एमओपी का भी उपयोग किया जा सकता है। किसान भाई चना में 25 किलोग्राम एमएसपी का उपयोग प्रति हेक्टेयर करें। सरसों में 16 किलोग्राम यूरिया, 44 किलोग्राम एनपीके तथा 8 किलोग्राम एमओपी का उपयोग प्रति हेक्टेयर करें। इसके विकल्प के रूप में प्रति हेक्टेयर यूरिया 40 किलोग्राम, एसएसपी 38 किलोग्राम तथा एमएसपी 33 किलोग्राम का उपयोग भी किया जा सकता है। उप संचालक कृषि ने कहा है कि इन विकल्पों के प्रयोग से कृषकों को उर्वरक उपलब्धता के अनुसार संतुलित उर्वरकों के उपयोग करने से सहायता मिलेगी।
अधिक दरों पर उर्वरक बेचने पर होगी कार्यवाही – उप संचालक कृषि
रीवा 08 नवम्बर 2022. किसानों को रबी फसल की बोनी के लिए सहकारी समितियों तथा निजी विक्रेताओं के माध्यम से उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है। सुव्यवस्थित उर्वरक वितरण के लिए सभी विकासखण्डों में निगरानी दल तैनात किए गए हैं। इस संबंध में उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने बताया कि शासन द्वारा प्रत्येक उर्वरक के लिए बिक्री दर निर्धारित की गई है। यूरिया के लिए 266 रुपए 50 पैसे प्रति बैग, डीएपी के लिए 1350 रुपए प्रति बैग, पोटाश के लिए एक हजार रुपए प्रति बैग की दर निर्धारित की गई है। एनपीके के लिए (12:32:16) 1450 रुपए प्रति बैग तथा इफको एवं अन्य कंपनियों के लिए 1470 रुपए प्रति बैग तथा एनपीके (10:26:26) के लिए 1475 रुपए प्रति बैग की दर निर्धारित की गई है। किसानों को एसएसपी सिंगल सुपर फास्फेट (पाउडर) 274 रुपए प्रति बैग तथा दानेदार एसएसपी 304 रुपए 50 पैसे प्रति बैग की दर से दिया जा रहा है। अमोनियम फास्फेट सल्फेट (20:20:0) 1225 रुपए प्रति बैग की दर से विक्रय किया जा रहा है। यदि कोई विक्रेता निर्धारित दर से अधिक राशि की मांग करता है तो किसान निगरानी दल अथवा कृषि विस्तार अधिकारी को तत्काल इसकी सूचना दें। अधिक दरों पर उर्वरक की बिक्री करने वालों पर प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी। यदि कोई विक्रेता निर्धारित दरों से अधिक राशि की मांग करता है तो किसान उप संचालक कृषि के मोबाइल नम्बर 9630720097 पर इसकी सूचना दें।
मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान में 251096 आवेदन हुए दर्ज
रीवा 08 नवम्बर 2022. मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान 17 सितंबर से 31 अक्टूबर तक चलाया गया। अभियान के तहत जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाकर शासन द्वारा निर्धारित 33 विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों के आवेदन पत्र लिये गए। जिले में अभियान में आमजनता से 251096 आवेदन पत्र प्राप्त किए गए। इनमें से 215761 आवेदन पत्र स्वीकृत किये गये।
इस संबंध में कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि अभियान के दौरान आयुष्मान भारत योजना में 108649 आवेदन पत्र दर्ज किये गये हैं। इनमें से 106165 आवेदन पत्र स्वीकृत कर हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड जारी किये जा रहे हैं। अभियान के दौरान प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के 14067 आवेदन पत्र प्राप्त किये गये। इनमें से 14032 आवेदन पत्र स्वीकृत कर गैस कनेक्शन जारी किये जा रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली से खाद्यान्न वितरण एवं खाद्यान्न पर्ची के संबंध में 10219 आवेदन पत्र प्राप्त किये गये। खाद्यान्न पर्ची से संबंधी 9535 आवेदन पत्र मंजूर कर दिये गये हैं। इन हितग्राहियों को सत्यापन के बाद अगले माह से उचित मूल्य दुकानों से खाद्यान्न प्राप्त होने लगेगा। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना से संबंधित 11423 आवेदन पत्र दर्ज किये गये। इनमें से पात्र किसानों के 10291 आवेदन मंजूर करके इन्हें योजना से लाभांवित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 10110 आवेदन दर्ज किये गये। इनमें से पात्र पाये गये किसानों के 9390 आवेदन मंजूर कर दिये गये हैं। इसी तरह अन्य विभागों की योजना से संबंधित आवेदन पत्र लगातार प्राप्त कर उनसे पात्र हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा है। कलेक्टर ने जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को हर पात्र हितग्राही का आवेदन पत्र संबंधित विभाग माध्यम से प्राप्त कर उसे आनलाइन दर्ज कराने के निर्देश दिये हैं।