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डिजिटल टेक्नोलॉजी: 2026 तक भारत में मिलेंगी 6 करोड़ नौकरियां, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में है अपार समंभावनाएँ
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भारत दुनिया के साथ साथ डिजिटल दुनिया में अग्रसर है। भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनीयर्स आज पुरे दुनिया में डिजिटल वर्ल्ड में छाये हुए है। जो बात सामने आ रही वह ये है कि आने वाले समय में भारत में डिजिटल तकनिकी में जबरदस्त नौकरी आने की अपार संभावनाएं है। कयास लगाए जा रहे है कि सन 2026 तक में भारत में लगभग 6 करोड़ नौकरियां मील सकेगी। उसमे भी सबसे ज्यादा आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में समंभावनाएँ देखी जा रही है।
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नई दिल्ली: दुनिया और देश की आईटी इंडस्ट्री आजकल बदलावों के दौर से गुजर रही है। एआई के रूप में एक बड़ा अवसर, मगर चुनौतियों के साथ हमारे सामने खड़ा हुआ है। डेटा से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर हम सभी की नजरें हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी की बात करे तो भारत सरकार जल्द ही इस बाबत कोई कानून लाने की तैयारी में है। नया कानून आ जाने से और स्तिथि स्पष्ट होने की प्रबल संभावनाएं है।
उल्लेखनीय है कि सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री ने भी भारत में एक बड़ी छलांग मारी है।आजकल ट्रेंडिंग में है सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री।
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एक्सपर्ट्स कह रहे है कि भारत ने ChatGPT को सही मायनों में अपनाया है। AI को लेकर उन्होंने भारत की सभी तारीफ भी करते है। सरकार AI इनिशिएटिव्स में भारी निवेश भी कर रही है। भारत जीपीएआई की अध्यक्षता भी कर रहा है। एआई को लेकर लोगों के मन में शंकाएं हैं। लोगों को लगता है कि एआई से नौकरियां जा सकती है।
सरकार का इस बारे में क्या विजन है? एआई को कैसे रेगुलेट किया जाएगा? यह सवाल जरूर सभी के मन में आ रहा हैI
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हलाकि जब भी नए इनोवेशन होते हैं तो ऐसे सवाल आते ही है। बकौल आईटी मिनिस्टर राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर इस इनोवेशन का एआई की नौकरियों पर कोई नेगेटिव इम्पैक्ट नहीं होगा। एआई की जिस दुनिया को आज हम देख रहे हैं वो प्रारंभिक अवस्था है। एआई को काफी दूर जाना है। अभी AI अपने प्रारंभिक चरण में है और फिलहाल मानव को रिप्लेस नहीं कर सकता है, हालांकि टास्क जरूर कर सकता है। मानव जो दस टास्क करेगा वो एआई एक टास्क में कर देगा। बावजूद इसके कहा जा रहा है कि ये नैरेटिव बना है कि एआई से नौकरियां जाएगी ऐसा फिलहाल नहीं है। ऐसा तब हो सकता है जब ह्यूमैन बिहेवियर का AI मिमिक कर पाएगा, AI रीजनिंग कर पाएगा। शायद आने वाले समय में ऐसा संभव हो सकेगा।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयत्नशील है। इस दिशा में काम आगे बढ़ा है और आने वाले समय में भारत भी चिप मैन्युफैक्चरर करेगा I
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बहुत जल्द चिप बनेगा। दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर नीति का ऐलान किया। उसके पश्चात करीब 23 डिजाइन स्टार्टअप शुरु हुए हैं। टेस्ला के चीफ एआई आर्किटेक्ट जिम केलर ने दो फर्म बेंगलुरू में शुरू किए हैं। केलर को AMD K7 प्रोसेसर डिजाइन करने के लिए जाना जाता है। यह 1 gigahertz प्रोसेसिंग स्पीड, AMD K8 प्रोसेसर, Apple A4 और A5 चिपसेट हासिल करने वाला पहला कंप्यूटर चिपसेट था। इतना ही नहीं, जिम केलर एमडी में डिजाइन टीम में अपने लीडिंग रोल के लिए भी जाने जाते हैं। सरकार की नीतियां भी युवाओं के साथ है। कैपिटल भी उपलब्ध है। युवाओं के आइडिया चाहिए। ये बदला हुआ इंडिया है। दूसरा और तीसरा पहलू सेमीकंडक्टर में है पैकेजिंग और फैब। पैकेजिंग के भी काफी प्रस्ताव आए हैं। फेब सबसे जटिल है। मैनुफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी कुछ गिनी-चुनी कंपनियों सैमसंग, इंटेल, ग्लोबल बाउंड्री आदि के हाथ में है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात चल रही है। मोटे तौर पर चिप पैकेजिंग 2024- 2025 तक हो जाएगी और चिप मैनुफैक्चरिंग 2026 तक हो जाएगी। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।
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सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री आने वाले समय में सेमीकंडक्टर के एक्सपोर्ट के मामले में बहुत बड़ा मार्केट बन सकता है। इसका स्कोप काफी ज्यादा है। सेमीकंडक्टर की इतनी बड़ी आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्माण कार्य में बहुत ज्यादा योग तकनिकी एजुकेशन से लैस लोगों की जरूरत होगी।
सेमीकंडक्टर कोई अकेली इंडस्ट्री नहीं है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का हिस्सा माना जाना चाहिए।
अगर इलेक्ट्रॉनिक्स को तीन हिस्सों में बांट दिया जाए तो ये है, ऑटोमेटिव इंडस्ट्री, कंप्यूटर और स्मॉर्टफोन, वायरलैस और टेलीकॉम। इन तीन कैटेगरी में बहुत ज्यादा क्षमताएं है। इसी आधार पर एक्सपर्ट्स और खुद आईटी राज्य मंत्री राव मानते है कि डिजिटल-टेक्नोलॉजी क्षेत्र में 2026 तक करीब 6 करोड़ नौकरियां सृजित होंगी। युवाओ के लिए ये सोने पर सुहागा सा होगा।
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आपको बता दे कि पीएम मोदी ने पीएलआई स्कीम बनाई है। जिसका मूलभूत मकसद है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग ज्यादा से ज्यादा हो। हर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में विदेशी के साथ-साथ भारत के ब्रांड भी हो। एपल हो, सैमसंग हो, लावा हो, नॉइज हो, बोट हो, माइक्रोमैक्स हो, लावा हो। 2014 से पहले 82 फीसद मोबाइल इंपोर्ट होता था जीरो फीसद एक्सपोर्ट होता था। अब सौ फीसद भारत में मैनुफैक्चर होते हैं। भारत में एपल के विस्तार से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में कर्नाटक को एक नया प्रोत्साहन मिलेगा।
नाविक सैटेलाइट लॉन्च होने के साथ ही भारत को एक मजबूत सैटेलाइट सिस्टम मिल गया है। दरअसल इस सिस्मट को सिविल एविएशन सेक्टर की जरूरतों को देखते हुए डेवलप किया गया है। बड़ी बात है कि नाविक का चिप भारत में डिजाइन किया है। मोबाइल, गाड़ियों में भी आने वाले समय में यह चिप लगेंगे।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार भारत सरकार जल्द ही डिजिटल इंडिया एक्ट लाने जा रही है।
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एक डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, दूसरा नेशनल डाटा गर्वेनेंस पॉलिसी, तीसरा है डिजिटल डाटा इंडिया एक्ट। दो तैयार हो गए हैं। तीसरा कंसलटेशन के लिए शुरू होगा। हमारी उम्मीद है कि वह भी इस साल ही पास हो। डिजिटल इंडिया का मुख्य मकसद इंटरनेट यूजर्स के अधिकारों को सुरक्षित करना और आने वाली जोखिमों को कम से कम तक सीमित करना होगा। इस एक्ट में इंटरनेट यूजर्स की निजता का उल्लंघन करने वाल डिवाइसेज को लेकर सख्त प्रावधान शामिल किए जाएंगेय़ इस बिल का मुख्य मकसद स्वतंत्र और सुरक्षित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है। बाजार में इंटरनेट से जुड़ी नई टेक्नोलॉजी के लिए इसमें कड़े प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि हर हाल में यूजर्स की निजता को सुरक्षित किया जा सके। एक तरह से भारत की ग्लोबल छवि को मजबूत करेगा।
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केंद्र सरकार ने पिछले दिनों 6003 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी। क्वांटम टेक्नोलॉजी अभी किस अवस्था में है, इसकी जरूरत क्यों है?
तीन ऐसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर है जिन पर सरकार ने निवेश किया है। एक आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, दूसरा सेमीकंडक्टर और तीसरा हाई परफॉर्मेस कंप्यूटिंग और क्वाटंम कंप्यूटिंग। क्वाटंम कंप्यूटिंग का मकसद है कि सिक्योरिटी की दुनिया में बेहतर रोल हो सकता है। क्लासिकल कंप्यूटर में कोई भी सूचना 0 और 1 के रूप में स्टोर होती है, लेकिन क्वांटम कंप्यूटर में 0 और 1 के अलावा और विकल्प भी हो सकते हैं। लेकिन 50 या 60 क्यूबिट (क्वांटम बिट) तक जाते-जाते इतनी अधिक संभावनाएं स्टोर करने की जरूरत पड़ जाती है कि वह सामान्य कंप्यूटर में संभव ही नहीं है। क्वांटम कंप्यूटर संभी संभावनाओं की एक साथ प्रोसेसिंग करता है, जबकि क्लासिकल कंप्यूटर एक-एक कर सभी संभावनाओं की प्रोसेसिंग करता है। यह टेक्नोलॉजी क्वांटम क्रिप्टोग्राफी की सुविधा भी देती है। अगर किसी सूचना को क्वांटम क्रिप्टोग्राफी से इन्क्रिप्ट किया गया है, तो क्वांटम कंप्यूटर से भी उसका इन्क्रिप्शन तोड़ा नहीं जा सकता है। वह सूचना पूरी तरह सुरक्षित होगी।
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