जानिए लीवरक्यों है खुद डॉक्टर,कैसे अकेले करता है 300 कार्य,ले सकता है पुनर्जन्म!…
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जानिए शरीर का ऐसा अंग,जो अकेले 300 प्रकार के करता है कार्य,ले सकता है पुनर्जन्म! खुद कर लेता अपना इलाज,इसलिए कहलाता है खुद का डॉक्टर…
शरीर का वो अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है लीवर, जिसे अंग्रेजी में LIVER लिखते हैं, तो वही हिंदी में लीवर के अन्य नाम है जैसे यकृत, जिगर इत्यादि। आइए इस लेख में लीवर के तमाम बातो जैसे रोग, लक्षण,इलाज, क्या खाए,क्या परहेज करे इत्यादि विषयो पर विस्तार से अध्ययन करें….
World Liver Day: 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। पाचन को बेहतर बनाने से लेकर हार्मोन उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण कार्य लिवर करता है। लिवर शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता और पोषक तत्वों का भंडारण का कार्य भी करता है।
यकृत (Liver) :
यकृत शरीर का एक अंग है, जो केवल कशेरुकी प्राणियों में पाया जाता है।
लीवर का कार्य विभिन्न चयापचयों को detoxify करना, प्रोटीन को संश्लेषित करना, और पाचन के लिए आवश्यक जैव रासायनिक बनाना है। मनुष्यों में, यह पेट के दाहिने-ऊपरी हिस्से में डायाफ्राम के नीचे स्थित होता है, और मानव शरीर की शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है, जो पित्त (Bile) का निर्माण करती है।
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लीवर मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है. यह हमारे शरीर में कई प्रकार के कार्य करता है. त्वचा के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंग लीवर ही है.
यह हमारे पेट के दाहिने और स्थित है. लीवर को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे जिगर, यकृत आदि. क्या आप जानते हैं कि यदि यकृत काम करना बंद कर दें तो एक व्यक्ति की मौत हो सकती है? इसका वजन 2.5 से लेकर 3 पोंड तक हो सकता है. लीवर हमारे शरीर में बहुत सी क्रियाओं को करने में मदद करता है. यह एक कशेरुक या रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों में मौजूद होता है. चयापचय में भी मदद करता है. यह वसा(fat) को जलाने में मदद करता है और शरीर के वजन को बनाए रखता है
व्यस्क व्यक्ति में लीवर का वजन 1.3 से 1.6 किलोग्राम तक होता है. यह रंग में लाल या भूरे रंग का होता है. लीवर शरीर से जहरीले या रसायनों को पित्त के रूप में फिल्टर करता है और ये मल या मूत्र के रूप में शरीर से बहार निकालता है. पित्त यकृत में बनता है और मल का भूरा रंग भी इसी के कारण होता है.
लीवर शब्द की उत्पत्ति किससे हुई है:
लीवर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द Hepar से हुई है. इसीलिए लीवर से सम्बन्धित विषयों को Hepato, Hepatic कहा जाता है. 28 जुलाई को प्रतिवर्ष वल्र्ड हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है. लीवर शरीर को हानिकारक विषाक्त पदार्थों से बचाता है और अनजाने में खाये गये विषाक्त भोजन के दुष्प्रभाव को भी निष्क्रीय करने में अहम भूमिका निभाता है.
लीवर का मुख्य कार्य:
लीवर लगभग 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के कार्य हमारे शरीर में करता है, जैसे रक्त में शर्करा (sugar) को नियंत्रण करना, विषाक्त पदार्थ को अलग करना, ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलना, प्रोटीन पोषण की मात्रा को संतुलन करना आदि.
“क्या आप जानते है कि लीवर शरीर में रक्त बनाता है और यह काम वह जन्म से पहले ही शुरू कर देता है.”
लीवर फिर से उत्पन्न हो सकता है:
हमारे शरीर में लीवर ही एकमात्र ऐसा अंग है जो पुनर्जन्म कर सकता है या पूरी तरह से फिर से उत्पन्न हो सकता है. ऐसा करने के लिए केवल 25% मूल ऊतक की आवश्यकता होती है. 2009 के जर्नल ऑफ सेल फिजियोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को लीवर ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत होती है और कोई एक व्यक्ति लीवर का थोड़ा सा हिस्सा दान करता है तो यह लगभग दो हफ्तों में अपने मूल आकार में लौट आता है.यह ऊर्जा के स्तर को उच्च रखने में भी मदद करता है. सबसे अनोखी बात यह है कि ग्लाइकोजन 6 बार अपने वजन से अधिक पानी को अवशोषित करता है, इसलिए भी लीवर पानी के भंडारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
लीवर हार्मोनल बैलेंस करने में भी मदद करता है:
हार्मोन के टूटने में लीवर एक अहम भूमिका निभाता है. यह एस्ट्रोजेन को तोड़कर bile यानी पित्त को बनाता है जो कि आंतों में उत्सर्जन के लिए प्रवेश करती है. अगर लीवर अधिक काम करता है तो यह एस्ट्रोजेन ठीक से स्रावित नहीं करेगा जिसके कारण मासिक धर्म में ऐंठन, तरल पदार्थ के प्रतिधारण आदि के लक्षण हो सकते है. यदि लीवर एण्ड्रोजन हॉर्मोन को सही से नहीं तोड़ता है जो कि पुरुषों में होता है तो उनमें मुँहासे, बालों का झड़ने, गंजापन आदि लक्षण हो सकते हैं.
मस्तिष्क का फ़ंक्शन लीवर पर भी निर्भर करता है:
लीवर द्वारा प्लाज्मा ग्लूकोज और अमोनिया के स्तर को नियंत्रित किया जाता है. अगर यह नियंत्रण से बाहर हो जाए तो hepatic encephalopathy नामक बिमारी हो सकती है और इंसान कोमा में जा सकता है. तो, हम यह कह सकते हैं कि यदि हम चाहते हैं कि मस्तिष्क ठीक से काम करे, तो लीवर का सही प्रकार से काम करना अनिवार्य है.
लीवर विटामिन और खनिज का भंडार है :
क्या आप जानते हैं कि लोहे और तांबे के साथ विटामिन A, D, E, K और B12 लीवर में जमा होते हैं. यह विटामिन D को अपने सक्रिय रूप में परिवर्तित करने में भी मदद करता है.
ये हम सब जानते है कि शरीर के विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है. भोजन से भी पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की जरूरतें शरीर में पूरी नहीं हो पाती हैं. इसलिए लीवर प्रोटीन का उत्पादन करता है और यहां तक कि एंजाइमों और रसायनों को रक्त के थक्के बनाने में मदद करता है, जो कि रक्तस्राव को रोकने के लिए जरूरी होता है. जिन लोगों में लीवर अस्वस्थ होता है, उन्हें रक्तस्राव आसानी से हो सकता है.
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लीवर को स्वस्थ (healthy) रखने के लिए क्या करें:
लीवर को स्वस्थ रखने के उपाय__
अनुशासित जीवनशैली:
इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि अपनी जीवनशैली को अनुशासित बनाए रखना है। इसके लिए न सिर्फ़ पर्याप्त नींद आवश्यक है बल्कि हर काम का अपने समय पर होना भी ज़रूरी है। आप कितना भी व्यस्त क्यों ना रहें लेकिन इस बात का अवश्य ख़याल रखें कि आपको प्रतिदिन कम से कम छह घंटे की नींद अवश्य लेनी है।
अपने शारीरिक अंगों को व्यवस्थित तरीक़े से कार्यशील बनाएँ रखने के लिए शरीर को काम के साथ साथ आराम देना भी ज़रूरी है। लगातार एक ही जगह बैठकर कार्य ना करें। बीच बीच में थोड़ा चलते फिरते भी रहें।
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शराब तथा सिगरेट का त्याग:
यदि आप सिगरेट या शराब का सेवन करते हैं तो ये लीवर को कम समय में अत्यधिक रूप से क्षति पहुँचा सकता है। इसलिए शराब और सिगरेट का सेवन करना बिलकुल छोड़ दें।
शराब का सेवन करने वाले लोगों का लीवर सामान्य लोगों की तुलना में अधिक जल्दी ख़राब हो जाता है।
नशे की लत ना सिर्फ़ शरीर को हानि पहुँचाती है बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य का भी काफ़ी हनन होता है। इसलिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए शराब और सिगरेट को बिलकुल भी हाथ ना लगाएं। ये लीवर का सबसे बड़ा दुश्मन माने गए हैं।
फ़िटनेस का रखें ख्याल:
ये बात बिलकुल सत्य है कि शरीर में अतिरिक्त वसा (fat) का एकत्र होना विभिन्न बीमारियों को आमंत्रण देने जैसा होता है। अतिरिक्त वसा न सिर्फ़ मोटापा बढ़ाती है बल्कि ये लीवर की कार्यशैली को भी प्रभावित करती है। इससे फैटी लीवर जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
इसलिए अपने शरीर की फ़िटनेस का ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए हम व्यायाम कर सकते हैं।
प्रतिदिन सुबह उठकर ताज़ी हवा में टहलने से ना सिर्फ़ अतिरिक्त वसा को ख़त्म करने में आसानी होती है बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य भी तरोताज़ा बना रहता है। शरीर में ऊर्जा के संचार के लिए व्यायाम करें और इसी के साथ साथ योग आसनों को भी अपनाएं।
जंक फ़ूड का करें त्याग:
वैसे तो जंक फ़ूड जैसे कि पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, चौमीन इत्यादि अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं लेकिन इनके ज़्यादा सेवन से लीवर को हानि हो सकती है। दरअसल जंक फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक में शुगर की काफ़ी अधिक मात्रा पाई जाती है।
जब कोई व्यक्ति इन चीज़ों का सेवन करता है तो ऐसे में उसके शरीर में फ़ैट का जमाव होने लगता है। इस फ़ैट को रक्त से अलग करने के लिए तथा पाचन को सही से करने के लिए लीवर को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है। यदि लगातार इन चीज़ों का सेवन किया जाए तो ऐसे में लीवर की कार्य क्षमता प्रभावित होने लगती है। नतीजा ये निकलता है कि इनके अधिक इस्तेमाल से लीवर डैमेज हो सकता है। इसलिए इस समस्या से बचाव करना ज़रूरी है। तो आज ही जंक फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक का त्याग करें।
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संतुलित आहार लें:
अपने लीवर को स्वस्थ रखने के लिए न सिर्फ़ जंक फ़ूड का त्याग करना ज़रूरी है बल्कि अपने आहार को संतुलित रखना भी आवश्यक है।
हमें अपने आहार में ऐसी चीज़ों को शामिल करना चाहिए जिनमें मिनरल्स तथा विटामिन्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
इसी के साथ साथ सुबह का नाश्ता करना भी ज़रूरी है। सुबह के नाश्ते में हम दलिया खा सकते हैं। इसी के साथ फलों और सब्ज़ियों का जूस पीना भी लीवर के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है।लंच और डिनर में मछली, दाल व अन्य हरी सब्ज़ियों का सेवन भी किया जा सकता है।
ग्रीन टी का करें सेवन:
जैसा कि हम जानते हैं कि लीवर शरीर को विषाक्त पदार्थों से दूर रखने का कार्य करता है। इसलिए लीवर की कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए न सिर्फ़ शरीर को अनहेल्दी चीज़ों से बचाना चाहिए बल्कि इसी के साथ साथ स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों का भी सेवन करना चाहिए.
ग्रीन टी को डिटॉक्सीफाईयर या फिल्टर माना जाता है. यदि हम अपने दिन की शुरुआत ग्रीन टी के साथ करें तो ऐसे में ये लीवर के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है.
ग्रीन टी शरीर में एकत्र हो रही अतिरिक्त वसा को ख़त्म करने में सहायता करती है. इससे लीवर को एक असिस्टेंट भी मिल जाती है जिससे लीवर को अधिक कार्य नहीं करना पड़ता है. ऐसे लोग जो फैटी लीवर या मोटापे से परेशान हैं उन्हें ग्रीन टी का सेवन अवश्य करना चाहिए.
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पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं :
डिहाइड्रेशन शरीर को प्रभावित करता है क्योंकि हमारा शरीर 75% पानी से बना है। लीवर को बेहतर ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है और आवश्यक मात्रा से कम पानी पीने से लीवर की समस्या हो सकती है. पानी के सेवन से लीवर को अपना भंडार बनाए रखने में मदद मिलती है. पानी आपमें अधिकांश रक्त का निर्माण करता है. हाइड्रेशन आपके रक्त के लिए लीवर से गुजरना आसान बनाता है और इस प्रकार, फिल्टरेशन होता है.
लीवर को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाए :
शरीर से हानिकारक पदार्थों को दूर करने के लिए हमारा लीवर कार्य करता है. यदि हम ऐसी चीज़ों का सेवन करें जो लीवर की कार्य करने में मदद करें तो ऐसे में लीवर को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है. कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिनका सेवन करके हम लीवर को हेल्दी रख सकते हैं. आइए हम ये देखें कि किन चीज़ों को खाकर हम अपने लीवर को लंबे समय तक फ़िट रख सकते हैं:
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लहसुन का सेवन करें:
लहसुन एक प्राकृतिक डिटॉक्सीफाईयर की तरह कार्य करता है जो लीवर की कार्यशीलता को सुचारु रूप से करने के लिए प्रेरित करता है.
चुकंदर खाएं:
चुकंदर न सिर्फ़ शरीर में रक्त को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि ये लीवर की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है. चुकंदर में बीटा कैरोटीन पाया जाता है जो लीवर की कार्यशैली को सुचारु रखने में मदद करता है. चुकंदर को हम सलाद के रूप में खा सकते हैं. इसी के साथ साथ चुकंदर का जूस पीना भी शरीर के लिए फ़ायदेमंद होता है. इससे न सिर्फ़ शरीर में रक्त की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है बल्कि लीवर को डैमेज होने से भी बचाया जा सकता है.
नींबू का सेवन करें:
नीबू में डी लिमोनेने नामक एक महत्वपूर्ण तत्व पाया जाता है जो लीवर की कोशिकाओं को सक्रिय करने के लिए अहम भूमिका निभाता है.
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हल्दी का सेवन करें:
हल्दी लीवर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने का कार्य करती है. इससे लीवर को पुनर्जीवित होने में मदद मिलती है और लीवर की कार्यक्षमता भी अच्छी होती है.
सेब खाएं:
सेब शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. यह भी लीवर के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है.
अख़रोट खाएं:
अख़रोट में एमिनो एसिड की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. एमिनो एसिड शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये ओमेगा थ्री फैटी एसिड तथा ग्लूटाथिओन नामक तत्वों से भी भरपूर होता है. इसलिए ये लीवर के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. इस प्रकार लीवर को स्वस्थ रखने के लिए अख़रोट का सेवन किया जा सकता है.
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एवोकाडो का सेवन करें:
अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के द्वारा किए गए एक शोध में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि एवोकाडो में कुछ महत्वपूर्ण केमिकल पाए जाते हैं जो लीवर को डैमेज होने से बचाते हैं. इसी के साथ इसमें ग्लूटाथिओन नामक तत्व की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है जो लीवर को डिटॉक्सीफाई करके उसकी कार्य क्षमता को बढ़ाता है. इस प्रकार एवोकाडो लीवर में होने वाली किसी भी तरह की समस्या को दूर करके उसको लंबे समय तक स्वस्थ रखने में सहायता कर सकता है.
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सेब (apple)का सिरके का नियमित सेवन:
सेब का सिरका (apple cider vinegar) स्वस्थ लीवर (liver) के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि, यह विषहरण गुणों (detoxification properties) से भरपूर होता है और लीवर (liver) में रक्त के संचार (circulation) को भी बढ़ाता है.
हल्दी (Turmeric) उपयोग में लाएं:
भारत में, हल्दी केवल एक मसाला के रूप में उपयोग नहीं की जाती है, बल्कि एक औषधीय घटक (medicinal ingredient) के रूप में भी इसका उपयोग है. हल्दी का सक्रिय घटक, करक्यूमिन (Curcumin) के रूप में जाना जाता है जो शक्तिशाली जैविक गुणो से भरपूर हैं. करक्यूमिन (Curcumin) विभिन्न तरीकों से लिवर (liver) के लिए लाभदायक होता है, क्युकी यह लिवर (liver) का विषहरण (detoxification) करता है और लिवर (liver) को साफ करता है और यह फाइब्रोसिस (fibrosis), गैर–मादक लिवर रोग (non-alcoholic liver disease), गैर–मादक स्टीटोहेपेटाइटिस (non-alcoholic steatohepatitis), तीव्र और पुरानी जिगर की चोटें (acute and chronic liver injuries), और सिरोसिस (cirrhosis) से बचाता है.
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जैतून का तेल (olive oil) उपयोग करें:
खाना बनाते समय आप जिस तेल का उपयोग करते हैं, वह आपके लिवर (liver) के स्वास्थ्य में भी योगदान दे सकता है। अतः जैतून के तेल (olive oil) का उपयोग करना एक बुद्धिमान विकल्प हो सकता है।
जैतून का तेल (olive oil) आपके लिवर (liver) में वसा (fat) के संचय (accumulation) को कम करता है, यह इंसुलिन (insulin) के प्रति संवेदनशीलता (sensitivity) और लिवर (liver) एंजाइमों (enzymes) के रक्त स्तर में भी सुधार करता है। फ्लेक्ससीड (flaxseed) और ऑलिव सीयर (olive sear) जैसे ठंडे कार्बनिक तेलों को लिवर (liver) के लिए अच्छा माना जाता है। जैतून का तेल (olive oil) शरीर के लिए एक तरल आधार प्रदान करता है जो शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों (harmful toxins) को चूसने (sucking) में मदद करता है।
लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या नही खाएं:
तली-भुनी चीजों से करें परहेज__
तले हुए खाद्य पदार्थ, जैसे टिक्की, बर्गर, फ्राइज, पकौड़े आदि में सैचुरेटेड फैट्स बहुत ज्यादा होते हैं। बहुत अधिक सैचुरेटेड फैट खाने से आपके लीवर को अपना काम करने में मुश्किल हो सकती है और समय के साथ, लीवर की सूजन और गंभीर बीमारी हो सकती है। बहुत अधिक तला हुआ या नमकीन भोजन कैलोरी की मात्रा को बढ़ा सकता है और इससे व्यक्ति में मोटापा हो सकता है, जो फैटी लीवर रोग का एक सामान्य कारण है, इसलिए एक बैलेंस्ड डाइट ही अपने खाने में लें।
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शराब का सेवन न करें__
अगर आपको लीवर में थोड़ी सी भी तकलीफ है तो शराब का सेवन बिल्कुल न करें। आपके द्वारा पी जाने वाली अधिकांश शराब को लीवर तोड़ देता है ताकि इसे शरीर से निकाला जा सके। इससे ऐसे पदार्थ बनते हैं जो शराब से भी ज्यादा हानिकारक होते हैं। ये पदार्थ लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और लीवर की गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।
नमक कम खाएं_
अगर आपको फैटी लीवर की समस्या है तो नमक का सेवन कम करें. नमक का उपयोग धीरे धीरे कम कर देना चाहिए
लाल मांस__
रेड मीट में संतृप्त फैट होते है। जी फैटी लीवर की समस्या को बढ़ा देगे, इसलिए रेड मीट से परहेज करें।
शक्कर कम खाए__
हेल्थ के लिए वैसे भी शक्कर नुकसानदायक है।अगर फैटी लीवर की समस्या है तो, शकर खाने में कटौती कीजिए, फिर वो शक्कर डायरेक्ट खाती जाए या फल,सब्जी इत्यादि से प्राप्त हो।
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लिवर की बीमारी में मरीज़ को क्या क्या परेशानियां होती है:
लिवर रोग के लक्षण__
- आंखें और त्वचा जो पीली दिखाई देती है (पीलिया)
- सूजन और पेट में दर्द
- टखनों और पैरों में एडिमा
- त्वचा की खुजली
- गहरे रंग का मूत्र
- हल्के रंग का मल
- लंबे समय तक थकान
- मतली या दस्त
कमजोर लीवर के लक्षण:
- पेट में दर्द या सूजन
- थकान या कम ऊर्जा महसूस करना
- भूख न लगना
- वजन कम होना
- त्वचा या नेत्रों का पीलापन
- पित्त में सुधार न होना या लाल होना
- बदहजमी
- सुखी चिपचिपी त्वचा
Liver खराब होने पर कहाँ दर्द होता है:
पेट के दाईं ओर पसलियों के नीचे दर्द या बेचैनी महसूस होना भी लिवर के खराब होने के संकेत हो सकते हैं.यकृत में दर्द अपने आप में एक सुस्त धड़कते दर्द या आपकी पसलियों के ठीक नीचे आपके दाहिने ऊपरी पेट में चुभने जैसा महसूस हो सकता है। सामान्य पेट दर्द और बेचैनी भी द्रव प्रतिधारण से सूजन और सिरोसिस के कारण आपके प्लीहा और यकृत के बढ़ने से संबंधित हो सकती है।
लिवर रोग/खराब होने के चार चरण क्या हैं :
लिवर खराब होने का पहला चरण (stage)__
चरण 1: सूजन
लीवर की बीमारी के शुरुआती चरणों में, चोट लगने पर शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया के रूप में लीवर सूज जाता है या सूज जाता है। जिगर की सूजन, या हेपेटाइटिस, तब भी हो सकता है जब रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थ होते हैं जो यकृत को प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं।
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चरण 2: फाइब्रोसिस
अनुपचारित सूजन से यकृत, या फाइब्रोसिस पर निशान पड़ जाते हैं । यह यकृत की क्षमताओं में बाधा डालता है, क्योंकि यह अंग के माध्यम से रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित कर सकता है।एक बार स्वस्थ यकृत कोशिकाओं को निशान ऊतक द्वारा बदल दिया जाता है, तो यकृत के उन हिस्सों की मरम्मत अपने आप नहीं की जा सकती है।
चरण 3: सिरोसिस
सिरोसिस यकृत के गंभीर, अपरिवर्तनीय निशान को संदर्भित करता है। लीवर की बीमारी के दूसरे और तीसरे चरण के बीच कई साल-दशक, यहां तक कभी भी हो सकते हैं, इसलिए यदि आपके पास संदेह करने का कोई कारण है कि आप जोखिम में हैं तो जल्दी कार्य करें।
रोग के इस चरण के दौरान, लक्षण अधिक ध्यान देने योग्य हो जाते हैं: दर्द और बेचैनी, थकान, भूख में कमी, द्रव प्रतिधारण, पीलिया, और यकृत के आसपास खुजली महसूस होना। सिरोसिस वाले लोग भी लिवर कैंसर विकसित करने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं ।
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चरण 4: लीवर फेलियर
जब लीवर पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, तो यह लीवर की विफलता को संदर्भित करता है: रोग का अंतिम चरण। इस स्तर पर, लीवर को अपने आप या उपचार के साथ ठीक नहीं किया जा सकता है; रिकवरी के लिए लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है।
जिगर की विफलता तीव्र या पुरानी हो सकती है । तीव्र जिगर की विफलता जल्दी (48 घंटों के भीतर) होती है, आमतौर पर विषाक्तता या दवा की अधिक मात्रा की प्रतिक्रिया के रूप में। दूसरी ओर, जीर्ण जिगर की विफलता धीरे-धीरे समय के साथ होती है क्योंकि यकृत चार चरणों में से प्रत्येक के माध्यम से आगे बढ़ता है।
जिगर की विफलता के लक्षण :
जिगर की विफलता के लक्षणों में दस्त, वजन घटाने, भूख में कमी, भ्रम और भटकाव शामिल हैं।
क्योंकि यकृत में बीमारी के लक्षण या तो मौजूद नहीं हैं या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के संकेतक भी हो सकते हैं, इसका हमेशा ठीक से निदान नहीं किया जा सकता है। शुरुआती पहचान और रोकथाम के लिए, नियमित रक्त परीक्षण करवाना एक अच्छा विचार है।
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चेहरे पर दिखें ये संकेत, तो हो सकती है फैटी लिवर की समस्या:
Fatty Liver Symptoms on face: आपके चेहरे पर ये संकेत नजर आ रहे हैं तो इसका मतलब आपको फैटी लिवर की समस्या हो गई है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है. जानते हैं इन संकेतों के बारे में…
फैटी लिवर की समस्या होने पर अक्सर लोगों को शरीर में कई लक्षण दिखाई देते हैं. इन्हीं लक्षणों में कुछ संकेत चेहरे पर भी नजर आते हैं. ऐसे में लोगों को इन संकेतों के बारे में पता होना जरूरी है.
चेहरे पर नजर आने वाले संकेत__
>जब व्यक्ति को बहुत ज्यादा एक्ने(acne) और पिंपल्स की समस्या हो जाती है तो इसका मतलब उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव हो रहा है. ऐसे में इस समस्या को नजरअंदाज करना सही नहीं है. बता दें कि चेहरे पर पिंपल्स और एक्ने, फैटी लिवर के लक्षणों में से एक हो सकते हैं.
>जब व्यक्ति के चेहरे पर रेड लाइन दिखनी शुरू हो जाती हैं तो यह भी लिवर में खराबी का संकेत माना जाता है. ऐसे में तुरंत जांच करवानी जरूरी है वरना समस्या और खतरनाक हो सकती है.
>चेहरे का रंग पीला पड़ने लगता है तो यह भी लिवर में खराबी के संकेत हो सकते हैं. हालांकि चेहरे पर पीलापन या आंखों में पीलापन पीलिया की समस्या के दौरान होते हैं. ऐसे में व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देने पर लिवर की जांच करवाना भी जरूरी है.
>जब आंखों के नीचे सूजन आती है और यह लंबे समय तक बनी रहे तो यह लिवर में खराबी के संकेत हो सकते हैं. हालांकि आंखों के नीचे सूजन अत्यधिक स्क्रीन के इस्तेमाल या मोबाइल के इस्तेमाल से भी हो सकती है. लेकिन लंबे समय तक होने वाली सूजन सोचने पर मजबूर कर सकती है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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फैटी लीवर रोग का निदान कैसे किया जाता है:
फैटी लीवर आमतौर पर रूटीन चेकअप के दौरान देखा जाता है, जब डॉक्टर को बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन से लीवर में फैट दिखाई दे सकता है, जबकि लिवर का ब्लड टेस्ट सामान्य नहीं हो सकता है। कुछ नए परीक्षण हैं जिन्हें “फाइब्रोस्कैन” और “फाइब्रोटेस्ट” के रूप में जाना जाता है जो अधिक विश्वसनीय हैं। फैटी लीवर के जोखिम कारकों को पहचानना और अपने डॉक्टर के साथ वार्षिक जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि बीमारी का जल्द पता चल सके।
वर्तमान में, फैटी लीवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लीवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम और मधुमेह जैसे जोखिम वाले कारकों के नियंत्रण से आसानी से उलट जाता है। जैसे-जैसे जिगर की क्षति अधिक गंभीर हो जाती है, सिरोसिस और यकृत की विफलता विकसित हो सकती है और इस स्तर पर केवल एक यकृत प्रत्यारोपण ही रोगी के जीवन को बचा सकता है। कुछ रोगी जो मोटे हैं और फैटी लीवर हैं, उन्हें वजन घटाने (बेरिएट्रिक) सर्जरी से फायदा हो सकता है।
लिवर कितने दिन में ठीक हो जाता है:
यदि व्यक्ति को बिना किसी अतिरिक्त जोखिम के हल्का फैटी लिवर है, तो उसे ठीक होने में दो से तीन महीने का समय लग सकता है।
फैटी लीवर रोग खतरनाक क्यों है:
फैटी लीवर एक ‘साइलेंट डिजीज’ है। यह तब तक कोई लक्षण नहीं पैदा कर सकता है जब तक कि स्थिति लीवर सिरोसिस और लीवर की विफलता तक नहीं बढ़ जाती। इस बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना महत्वपूर्ण है जब इसकी प्रगति को रोका या धीमा किया जा सकता है।
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फैटी लीवर महामारी व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए एक मूक, लेकिन एक बहुत ही वास्तविक खतरा है। शहरी भारत में मोटापा, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे फैटी लीवर रोग के जोखिम कारक खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं। हालांकि शायद ही कभी इसके बारे में बात की जाती है, यकृत 500 से अधिक कार्य करता है और हृदय से भी बड़ा काम करता है। इसलिए, जिगर के स्वास्थ्य को बनाए रखना सभी के लिए प्राथमिक चिंता होनी चाहिए। ऐसा करने में विफल होना एक सच्ची मौत की सजा है। फैटी लीवर के इलाज के लिए शुरुआत में ही सक्रिय रहें और कार्रवाई करने से पहले इसके खराब होने का इंतजार न करें। तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी।
आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ख़ुद को स्वस्थ रखना अपने आप में एक चैलेंज का काम लगता है। दरअसल आज हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि ऐसे में हम अपने आपको स्वस्थ रखने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।
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हो सकता है कि स्वयं को स्वस्थ ना रख पाने के लिए हम समय न होने को दोषी मानते हों लेकिन इससे दरअसल हमारे स्वास्थ्य का ही नुक़सान है। जी हाँ, जब हम अपने शरीर को स्वस्थ नहीं रख पाते हैं तो ऐसे में हमारे शारीरिक अंग भी अपना कार्य सही से कर पाने में असमर्थ होते हैं। इसलिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए हम व्यायाम तथा संतुलित आहार का चुनाव कर सकते हैं। अपने लीवर को स्वस्थ रखना बेहद ज़रूरी है ताकि शरीर में विषाक्त पदार्थों को एकत्र होने से रोका जा सके।
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[Disclaimer- इस लेख में हमने लीवर को स्वस्थ रखने के कुछ महत्वपूर्ण उपायों की चर्चा की है। इन उपायों को अपनाकर हम दिन प्रतिदिन स्वस्थ रह सकते हैं लेकिन एक बात का विशेष ख़याल रखें कि यदि आपको किसी प्रकार की कोई एलर्जी है या आपका कोई ट्रीटमेंट चल रहा है तो ऐसे में किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टरी परामर्श आवश्यक है]
by Er. Umesh Shukla for ‘Virat24’ news
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