‘जल्लीकट्टू’ की कानूनी वैधता बरकरार,सांस्कृतिक विरासतें न्यायिक प्रणाली का हिस्सा न हों:SC

जल्लीकट्टू की कानूनी वैधता बरकरार

कोर्ट:सांस्कृतिक विरासतें न्यायिक प्रणाली का हिस्सा न हों

सुप्रीम कोर्ट : जल्लीकट्टू की कानूनी वैधता बरकरार रहेगी, कोर्ट ने कहा- सांस्कृतिक विरासतें न्यायिक प्रणाली का हिस्सा का नहीं बनना चाहिए।

गौरतलब है कि जल्लीकट्टू, जिसे इरुथाझुवुथल भी कहा जाता है, सांडों के साथ खेला जाने वाला खेल है, जिसका आयोजन पोंगल में फसलों की कटाई के दौरान किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केएम जोसेफ के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने एकमत से निर्णय सुनाते हुए महाराष्ट्र में होने वाली बैलगाड़ी की दौड़ों की मान्यता भी बरकरार रखी। पांच जजों की पीठ के अन्य जजों में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया है, जिसमें जलीकट्टू को एक खेल के तौर पर मान्यता दी गई है। कोर्ट ने कहा है कि तमिलनाडु का जानवरों के साथ क्रूरता कानून (संशोधन), 2017 जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है।

तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया है और कहा कि हमारी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा हुई है।

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