रीवा:जलविहीन वन पाड़र डैम मऊगंज के रखरखाव में भी हो रही धांधली
- जलविहीन जीवनविहीन वन पाड़र डैम के रखरखाव में भी धांधली
- पाड़र बांध में मात्र 40 प्रतिशत पानी का होता है भराव 60 प्रतिशत बांध रहता है खाली, जिम्मेदार कौन
- टूटते, जर्जर होते बांधों से किसानों की आय दुगुनी करने की योजनाओं पर बड़ा सवाल
- रिटायर्ड चीफ इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा मात्र 30 से 40 प्रतिशत ही हो रहा पानी का भराव
- मानव के साथ पशु पक्षियों को भी भीषण गर्मी में नहीं मिल रहा पानी
रीवा (mauganj): आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रीवा जिले में आ रहे हैं। एक बार पुनः गांव के किसानों के लिए योजनाओं की बात चलेगी त्यौंथर माइक्रो इरिगेशन का भूमि पूजन किया जाएगा। किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखाए जाएंगे। उनकी आय दुगनी चौगुनी करने के कसीदे पढ़े जाएंगे। भीड़ में भाषण के दौरान तालियों की गड़गड़ाहट गूंजेगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जुबानी जमा खर्च से वास्तव में किसानों की आय दोगुनी हो सकती है? अभी पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रीवा जिले के दौरे में आए थे और उन्होंने धरती माता के संरक्षण के लिए बातें कही थी।
ऐसे ही एक गीत के दौरान वह स्वयं भरे मंच से खड़े होकर नजदीक जाकर काफी संवेदनशीलता के साथ अपनी अभिव्यक्ति प्रदर्शित की थी। लेकिन जैसा कि होता है सभी कुछ भाषणों तक ही सीमित रह जाता है। लच्छेदार भाषण और फिर सब भूल गए यही चल रहा है जब से देश स्वतंत्र हुआ है। हालांकि योजनाएं आती है थोड़े बहुत काम होते हैं और इसके बाद उनकी इतिश्री हो जाती है।
अब पानी से जुड़ी हुई बाणसागर परियोजनाओं माइक्रो इरिगेशन त्यौंथर सिंचाई परियोजनाओं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई अथवा वाटर शेड योजना और जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाए गए बड़े-बड़े बांधों के विषय में भी आप जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में बाणसागर और उससे जुड़े हुए बांधों की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है।
इस श्रृंखला में मऊगंज के वन पाड़र गांव में बने बांध का निरीक्षण किया गया तो रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार और शिवानंद द्विवेदी ने पाया की वन पाड़र गांव के पास बनाया गया बांध की स्थिति भी बेहद खराब है। बांध के अंदर अवैध उत्खनन किया गया है जिसकी वजह से पिचिंग के पत्थर भी बांध में धंस रहे हैं। बांध के अंदर पिचिंग में पानी के कारण बने हुए धब्बे से स्पष्ट पता चला कि बांध की ऊंचाई और क्षमता के अनुरूप मात्र 30 से 40 प्रतिशत तक ही पानी का भराव हो पा रहा है।
ऐसे में सवाल यह था कि 4500 हेक्टेयर से अधिक सिंचाई का जो सपना पाडर बांध के द्वारा किसानों को दिखाया गया था क्या वह पूरा हो पा रहा है? इसके पास बने कंक्रीट स्ट्रक्चर में दरारे पानी सप्लाई चैनल में दरारें रखरखाव का अभाव इसके चैनल में गड़बड़ी और इसी प्रकार कॉम्पेक्शन सेटलमेंट में भी कमियां देखी गई।
एक बार बांध का निर्माण कराए जाने के बाद प्रतिवर्ष उसका निरीक्षण किया जाता है और उसके रखरखाव पर ध्यान दिया जाता है लेकिन जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर भ्रष्ट अधिकारियों ने जिले के सभी बांधों का कबाड़ा कर दिया है और ठेकेदारों के साथ मिलकर पूरी राशि हजम कर ली है। कैचमेंट एरिया में किए जा रहे अवैध अतिक्रमण और अवैध उत्खनन को भी यह भ्रष्ट नहीं रोक पा रहे हैं।