जानिए आखिर क्यों मजदूर कलेक्ट्रेट के पार्क में रहने-खाने को है मजबूर !
- मजदूरों को नही मिली मजदूरी
- कलेक्ट्रेट के पार्क में डाला डेरा
- पार्क में ही बना रहे खाना
- वन विभाग पर गंभीर आरोप
- मजदूरों एवम उनके बच्चों पर संक्रमणजन्य बीमारियों का है खतरा
- पार्क में मौजूद मच्छरों से है परेशान
जबलपुर : वन विभाग ने पहले तो मजदूरों से मजदूरी करवाई और जब उनकी मेहनत के पैसे देने की बारी आई तो वन विभाग ने मना कर दिया , परेशान मजदूरों ने कलेक्ट्रेट आकर अपनी समस्या कलेक्टर को बताई पर जब उसका वहां भी समाधान नहीं हुआ तो मजदूरों ने कलेक्ट्रेट में ही डेरा डाल दिया , और कलेक्ट्रेट पार्क में ही अपना खाना बनाने लगे। मजदूरों का कहना है कि जब तक उनकी मजदूरी नहीं मिल जाती है तब तक वह लोग यहां से नहीं जाएंगे। बताया जा रहा है कि सभी मजदूर कटनी जिले के रहने वाले हैं , जो कि बीते 2 माह से ग्राम पड़ारिया में प्लांटेशन के लिए गड्ढे खोदने का काम कर रहे थे। कुंडम तहसील के ग्राम पड़ारिया में वन विभाग प्लांटेशन कर रहा है , जिसके लिए करीब 35 मजदूरों ने दो माह में 40 हजार गड्डे खोदे । मजदूरों को प्रति गड्डा खोदने पर 1 रुपए मिलना था । मजदूर राजू ने बताया कि वह लोग दो माह से वन विभाग के लिए काम कर रहें है , इस दौरान करीब 30 से 35 हजार रुपए वन विभाग से लेना है , पर अब जब हम वन विभाग के रेंजर को फोन कर रहें है तो वो काल नही उठा रहें है। राजू ने बताया कि हम लोग बहुत परेशान है , अब इतने पैसे भी नही है कि हम दो वक्त अपना पेट भर सके । कलेक्ट्रेट के पार्क में डेरा डाले मजदूरों के साथ महिलाएं और बच्चे भी है । मजदूर हर्षलाल के दो साल के बेटे को पार्क में मच्छरों ने इतना काटा कि , उसके पूरे शरीर में दाग पड़ गए है । हर्ष अपने बेटे को इलाज के लिए मेडिकल कालेज लें गए है । हर्षलाल का कहना है कि आज उसके पास इतने पैसे भी नही है कि वह अपने बेटे का इलाज करवा सके । ललिता ने बताया कि जब-जब उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से रुपए मांगे तो उन्होंने साफ मना कर दिया ।
मजदूरों की शिकायत को लेकर अपर कलेक्टर मीता सिंह का कहना है कि डीएफओ से मजदूरों की मजदूरी को लेकर बात की गई है । जल्द ही उन्हें मजदूरी मिल जाएगी ।