छड़ी मुबारक के दर्शन के साथ अमरनाथ यात्रा समाप्त 62 दिन में करीब साढ़े 4 लाख श्रद्धालु पवित्र गुफा पहुंचे
1 जुलाई 2023 से शुरू हुई बाबा अमरनाथ की 62 दिन की यात्रा 31 अगस्त यानी गुरुवार को समाप्त हो गई। यात्रा के आखिरी दिन अमरनाथ गुफा में विराजमान भगवान शिव को पवित्र छड़ी सौंपी गई। छड़ी मुबारक भगवा कपड़े में लिपटी भगवान शिव की पवित्र छड़ी है।
इस दिन छड़ी मुबारक की परंपरा निभाई जाती है, उसके बाद अमरनाथ यात्रा को समाप्त कर दिया जाता है। इस बार करीब साढ़े पांच लाख लोगों ने अमरनाथ गुफा में दर्शन किए हैं।
पिछले 62 दिनों से चल रही श्रीअमरनाथ यात्रा गुरुवार पवित्र गुफा में छड़ी मुबारक की पूजा के साथ संपन्न हो गई। भगवान शिव की प्रतीक छड़ी मुबारक को श्रीनगर स्थान से पहलगाम और पंचतरिणी तक लाया गया। आज सुबह पंचतरिणी से छड़ी मुबारक को पवित्र गुफा में ले जाया जा रहा था। इसी के साथ 1 जुलाई को शुरू हुई इस साल की यात्रा के लिए अंतिम पूजा आज शाम को हो चुकी है। इस साल 4.4 लाख तीर्थयात्रियों ने दक्षिण कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा में पूजा-अर्चना की। अधिकारियों ने कहा कि बालटाल और पहलगाम रास्तों से एक जुलाई को शुरू हुई तीर्थयात्रा के दौरान कुल 4,45,338 भक्तों ने प्राकृतिक रूप से बने बर्फ के ‘शिवलिंग’ के दर्शन किए।
अमरनाथ यात्रा इस साल 1 जुलाई से शुरू हुई थी, जो 31 अगस्त तक चलेगी। अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (SASB) ने दुनियाभर के लोगों के लिए सुबह और शाम की आरती का सीधा प्रसारण भी किया। यात्रा, मौसम और कई सेवाओं का ऑनलाइन लाभ उठाने के लिए अमरनाथ यात्रा का ऐप गूगल प्ले स्टोर पर जारी कराया गया था।
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अधिकारियों के मुताबिक, 26 अगस्त को श्रीनगर के एक अखाड़े से महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में निकले साधुओं ने 42 किलोमीटर की यात्रा के बाद गुरुवार की सुबह गुफा में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उगते सूरज के साथ छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में स्थापित की। इसे फिर वापस श्रीनगर लाया जाएगा।
बालटाल और पहलगाम के रास्ते शुरु हुई अमरनाथ यात्रा में इस साल 4 लाख 45 हजार 338 लोगों ने पवित्र गुफा के दर्शन किए। पिछले साल 3 लाख 65 हजार से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हुए थे। इस साल यात्रा के दौरान 62 लोग घायल हुए, जबकि 48 लोगों की मौत हो गई। जिसमे भक्त और सेवा देने वाले शामिल थे।
यात्रा संपन्न होने के बाद दोनों रास्तों पर सफाई अभियान चलेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा संपन्न होने के बाद इसके दोनों रास्तों पर सफाई का अभियान चलेगा। अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सदस्य और स्थानीय लोग रास्तों को साफ करेंगे। बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला पहलगाम, ये पारंपरिक रास्ता है, जिसकी चढ़ाई आसान है। करीब 47 किमी के इस रास्ते को तय करने में 2-3 तीन दिन लग जाते हैं।
दूसरा रास्ता है वाया बालटाल। ये नया ट्रैकिंग रूट है, जो 14 किमी यानी पहलगाम के मुकाबले आधे से भी कम है। इसकी चढ़ाई एक दिन में की जा सकती है।