प्री-कोविड लेवल के मुकाबले Q3 में ट्रैवल कंपनियों को हुआ रिकॉर्ड प्रॉफिट
2019 के मुकाबले हवाई यात्रियों की संख्या में 10 फीसदी की हो सकती है बढ़ोतरी
कैलेंडर ईयर 2023 में 15.5-16 करोड़ तक पहुंच सकती हैहवाई यात्रियों की संख्या
इंटरनेशनल ट्रैवल को प्री-कोविड लेवल तक पहुंचने में लगेगा लंबा समय
कोरोना महामारी की वजह से भारतीय एविएशन सेक्टर में आई सुस्ती अब दूर हो रही है. इस सेक्टर ने रिकवरी का संकेत दिया है. दरअसल, जनवरी में घरेलू हवाई यात्रा (Domestic Air Travel) में इतनी तेजी आई है कि भारत में इस साल 2019 के मुकाबले देश के भीतर यात्रियों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. उस प्री-कोविड कैलेंडर ईयर में सबसे अधिक 14.4 करोड़ लोगों ने देश में हवाई सफर किया था.
टीओआई से बात करते हुए एक टॉप एविएशन अधिकारी ने रविवार को कहा कि हमारे डोमेस्टिक एविएशन में मौजूदा ट्रेंड बहुत ही रोमांचक है और अगर यह जारी रहता है, तो कैलेंडर ईयर 2023 में यात्रियों की संख्या 15.5-16 करोड़ तक पहुंचनी चाहिए. इसमें 10% की वृद्धि हो सकती है.
कैलेंडर ईयर 2022 में 12.3 करोड़ घरेलू यात्रियों ने किया सफर
एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए (DGCA) के आंकड़ों से पता चलता है कि कैलेंडर ईयर 2022 में 12.3 करोड़ घरेलू यात्रियों ने सफर किया था. 2021 में 8.4 करोड़ और 2020 में 6.3 करोड़ (जिसमें कोविड के कारण शेड्यूल्ड एयर ट्रैवल में 2 महीने का सस्पेंशन भी था). अधिकारी ने कहा कि जनवरी में हवाई यात्रा स्थिर रही है. इस हफ्ते भी हमने यात्रियों की बहुत अच्छी संख्या देखी है.
इंटरनेशनल ट्रैवल को प्री-कोविड लेवल तक पहुंचने में लगेगा लंबा समय
हालांकि इंटरनेशनल ट्रैवल में भी बढ़ोतरी हो रही है लेकिन अभी भी प्री-कोविड लेवल तक पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-दिसंबर 2022 में 4.1 करोड़ लोगों ने भारत के भीतर और बाहर उड़ान भरी थी. 2021 की समान अवधि में लगभग 1.4 करोड़ से 193 फीसदी ज्यादा. अप्रैल-दिसंबर 2019 में इंटरनेशनल ट्रैवलर्स की संख्या 5.2 करोड़ दर्ज की गई , जो कि पिछले वर्ष इसी अवधि में 5.1 करोड़ ट्रैवलर्स की तुलना में 1.1 फीसदी से ज्यादा था.
इंटरनेशनल एयर ट्रैवल तेजी से नहीं बढ़ने में ये हैं बाधाएं
एक एयरलाइन अधिकारी ने कहा कि कई कारणों से इंटरनेशनल एयर ट्रैवल अभी भी प्री-कोविड लेवल पर वापस नहीं आई है. इन कारणों में यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण कई एयरलाइनों द्वारा लिए जा रहे लंबे रूट्स, महंगे तेल की कीमतें और कमजोर रुपया शामिल हैं. फिर वीजा में देरी के मुद्दे अभी भी कुछ देशों को परेशान करते हैं.