गर्मी के मौसम में सर्दी और बरसात क्यों लौट रही? जानना चाहते है तो पढ़िए इस खबर में मौसम का गड़बड़झाला…
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मौसम का गड़बड़झालाः गर्मियां आने की बजाय सर्दियां क्यों लौट रहीं हैं?
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मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आगामी 10 मई तक भारत के किसी भी राज्य में गर्मी की लहर नहीं आएगी
‘ऐसा कई सालों में नहीं हुआ था’
मई वो महीना है जब देश के अलग अलग हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ती है और कई राज्यों में गर्मी की लहर की वजह से तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा चढ़ जाता है.
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ये सिलसिला हर साल मार्च महीने से ही शुरू हो जाता है. अप्रैल से लेकर मई और जून में सूरज अपने पूरे तेज़ में रहता है. लेकिन इस बार गर्मी की लहर अप्रैल की 11 तारीख से लेकर 20 तारीख तक ही रही है. ऐसा देश के मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं. ये सिलसिला सिर्फ़ उत्तरी भारत तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि दक्षिण, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत में भी कम-ओ-बेश यही हालात रहे हैं.
नौबत यहाँ तक आ गयी है कि दक्षिण भारत से लेकर पूर्वी, मध्य और उतरी भारत में अप्रैल की 29 तारीख से लेकर दो मई तक लगभग सभी राज्यों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज हो रहा है. इसकी वजह से उत्तर पश्चिमी भारत में बर्फ़बारी तो हो रही है, मैदानी इलाकों और मध्य और पूर्वी भारत में तेज़ आंधी और के साथ ओला वृष्टि भी देखने को मिली है.
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बदले हुए मौसम का अपने आप में ये अनोखा रिकार्ड दर्ज किया जा रहा है. लोग सोशल मीडिया पर मौसम को लेकर अपने अनुभव साझा भी कर रहे हैं. कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस बार गर्मी का मौसम आयेगा ही नहीं ?
बदलता मौसम
- इन दिनों मैदानी इलाक़ों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
- लेकिन इस साल देश के कुछ इलाक़ों में मई के पहले हफ़्ते तक ठंड महसूस हो रही है.
- मौसम में इस बदलाव के पीछे समुद्र से उठती हलचलों को ज़िम्मेदार माना जा रहा है.
- अनुमान है कि ऐसी हलचलें अभी और आनी हैं और उसकी वजह से मौसम में काफ़ी फेरबदल देखा जा सकता है.
- यही हाल यूरोप का है, जहां पिछले कुछ सालों से तापमान सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है.
- पूरी पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और इस बार अधिक तापमान महसूस भी हो रहा है.
- तापमान के टूटते सारे रिकॉर्ड
- “गर्मियां आने की बजाय सर्दियां वापस लौट रहीं हैं.”
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उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में दर्ज किए गए अधिकतम तापमान का आंकड़ा, धर्मशाला में अधिकतम तापमान तापमान 8.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जबकि देश की राजधानी दिल्ली में ये 26.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो सामान्य से 13 डिग्री कम है.
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उसी तरह पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी अधिकतम तापमान सामान्य से 10 से लेकर 17 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज हुआ है जो मई महीने के लिए एक अनोखा रिकार्ड है.
दक्षिण भारत में भी मूसलाधार बारिश की वजह से पारा काफ़ी नीचे आ गया है. तमिलनाडु और केरल में जमकर बारिश हो रही है.
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भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटों में तमिलनाडु के विभिन्न इलाक़ों में 90 मिलीमीटर के आसपास बारिश हुई है. मध्य भारत, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में भी बारिश हो रही है.
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भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक ने कहा कि इस समय देश के अलग अलग हिस्सों में तूफ़ान के साथ बारिश हो रही है.
वैज्ञानिक कहते हैं कि ये सिलसिला अभी जारी रहेगा. पूर्वोत्तर भारत के मेघालय और आस पास के इलाकों में भी मूसलाधार बारिश हो रही है.
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‘लाइव वेदर ऑफ़ इंडिया’ के मुख्य संचालन अधिकारी, शुभम के अनुसार, इस बार मई महीने में दर्ज किये गए तापमान ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं.
उन्होंने उत्तराखंड और हिमाचल में तापमान की जानकारी साझा करते हुए कहा कि ऐसा कई सालों में नहीं हुआ था. उन्होंने बताया है कि सोमवार को उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद में अधिकतम तापमान 20.5 दर्ज किया गया है.
मौसम के बर्ताव में हो रहे बदलाव की वजह से मौसम वैज्ञानिक और भी ज़्यादा शोध में लग गए हैं क्योंकि इस साल के फरवरी माह ने गर्मी के रिकार्ड तोड़े थे.
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इस साल का फरवरी माह, वर्ष 1901 से लेकर इस साल तक सबसे ज़्यादा गर्म रहा है.
इस बीच मौसम विभाग ने भी सैटेलाइट की तस्वीरें जारी की हैं जिनसे पता चलता है कि देश के सभी राज्यों में इस महीने सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है.
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9 मई तक नहीं आएगी गर्मी की लहर
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेंद्र कुमार जेनामनी ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा कि वैसे तो इस महीने की 9 तारीख तक देश के किसी भी हिस्से में गर्मी की लहर नहीं चलेगी क्योंकि इस बार ‘पश्चिमी विक्षोभ’ रह रह कर पैदा हो रहा है जिसके प्रभाव में भारत के कई राज्य आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, “वर्ष 2020 में भी ऐसी ही परिस्थिति हुई थी जब अप्रैल और मई महीनों में गर्मी की लहर वैसी नहीं थी जैसी हुआ करती है. अब तक 5 बार ‘पश्चिमी विक्षोभ’ पैदा हुआ है जिसकी वजह से तापमान गिरा है और बारिश हो रही है.”
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का अनुमान है कि आने वाले दिनों में इस महीने के मध्य तक इस तरह के ‘पश्चिमी विक्षोभ’ नौ बार और पैदा होंगे.
धरती गर्म हो रही है
भारत में मौसम में रह रह कर भारी बदलाव महसूस किए जा रहे हैं. इसका कारण पर्यावरण में हो रहे बदलावों को माना जा रहा है क्योंकि पूरी पृथ्वी के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोत्तरी महसूस की जा रही है.
भारत में अधिकतम तापमान में भारी गिरावट ऐसे समय में दर्ज की जा रही है जब उत्तरी एशिया, यूरोप और कनाडा में तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है.
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वैज्ञानिकों ने माना है कि मौसम के व्यवहार में बदलाव की वजह से भारत में भी अचानक तूफ़ान और बाढ़ के हालात या कुछ इलाक़ों में सूखा पड़ने जैसी भौगोलिक घटनाएं देखी जा रहीं हैं जो इन दिनों बढ़ रही हैं.
मौसम में हो रहे बदलाव का असर हिमालय पर भी पड़ रहा है जहां ग्लेशियर के तेज़ी से पिघलने की बात भी वैज्ञानिकों को परेशान कर रही है.
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