खालिस्तानी हिंसा और गैंगवार पर भगवंत मान सरकार का सख्त कदम, पंजाब में रद्द किए 800 बंदूक लाइसेंस
चंडीगढ़. खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के करीब एक दर्जन समर्थकों के हथियार लाइसेंस रद्द करने के कुछ दिनों बाद पंजाब सरकार ने रविवार को राज्य में ‘बंदूक हिंसा’ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का दावा किया है. सरकार ने ऐसे 800 से अधिक लाइसेंस रद्द किए जाने की जानकारी दी है. यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब विपक्ष ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार पर एकजुट होकर हमला किया है.
वरिष्ठ मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि सरकार ने बंदूक-संस्कृति के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है. उन्होंने कहा, ‘गन लाइसेंस कानून का पालन करने वाले नागरिकों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए जारी किए गए हैं, न कि हिंसक गतिविधियों में शामिल होने वालों या हथियार लहराने वालों के लिए. पिछली सरकारों ने उचित सत्यापन के बिना लाइसेंस जारी किए थे, जिसके कारण हथियारों का दुरुपयोग हुआ.’ अरोड़ा ने कहा कि भगवंत मान सरकार इस तरह की गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और हम इसकी निगरानी जारी रखेंगे.
कहां के कितने लाइसेंस किए रद्द
रद्द किए गए 800 लाइसेंसों में से 87 लुधियाना ग्रामीण से, 48 शहीद भगत सिंह नगर से, 10 गुरदासपुर से, 84 फरीदकोट से, 199 पठानकोट से, 47 होशियारपुर से, 6 कपूरथला से, 235 एसएएस कस्बा से और 16 संगरूर से हैं. पुलिस ने अमृतसर कमिश्नरेट में 27 और जालंधर कमिश्नरेट के 11 लोगों के हथियार लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं. अरोड़ा ने कहा कि अब तक 2,000 से अधिक शस्त्र लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं.
हथियारों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध
न केवल उन लोगों के लिए जो आपराधिक कृत्यों के लिए हथियारों का इस्तेमाल करते रहे हैं, बल्कि सरकार ने बंदूक लाइसेंस उपयोगकर्ताओं को पंजाब में सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक स्थलों, विवाह समारोहों या किसी भी अन्य कार्यक्रमों में हथियार ले जाने और प्रदर्शित करने से परहेज करने के लिए भी कहा है. “हिंसा और हथियारों के महिमामंडन पर पूर्ण प्रतिबंध होगा. हम इस तरह के बेशर्म प्रदर्शन के खिलाफ अभियान चलाएंगे और उल्लंघन करने वालों को दंडित करेंगे.”
पंजाब में 3.73 लाख शस्त्र लाइसेंस
पंजाब में कुल 3,73,053 शस्त्र लाइसेंस हैं. एक साल पहले सत्ता में आने के बाद सरकार कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर आ गई है. पिछले साल मई में कांग्रेस नेता और प्रमुख गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने भारी जनाक्रोश पैदा कर दिया था, विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मान सरकार ने राज्य में कानून और व्यवस्था मशीनरी पर नियंत्रण खो दिया है. सरकार का सामना जेलों के अंदर एक-दूसरे पर हमला करने वाले प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों से भी हुआ है.