क्या सच में ‘रामायण’ का मजाक बनाया फिल्म ‘आदिपुरुष’ ने? शायद…


क्या सच में रामायण का मजाक बनाया फिल्म ‘आदिपुरुष’ ने ? शायद…

कहा तो यही जा रहा है कि असल तथ्यों से दूर फिल्म आदिपुरुष ने जो रामायण और जिन प्रभु श्री राम को हम सब जानते है, उसका मजाक बना डाला। लोग फिल्म के लगभग हर पहलु की कमी गिना रहे है फिर चाहे वो पटकथा हो, संवाद हो, कलाकार हो, vfx हो, फोटोग्राफी हो या कुछ और।
बहरहाल हम बिना कुछ भी निष्कर्ष निकाले आपके सामने वो सब प्रस्तुत करेंगे जो फिल्म देखने के उपरान्त अहसास हुआ…

प्रभास और कृति सेनन स्टारर ‘आदिपुरुष’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। मेकर्स का दावा है कि यह फिल्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की कहानी है।
लेकिन इस फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जिन्हें देखकर आप संदेह में पड़ जायेगे कि क्या यह वो रामायण है जिसे हम जानते है, क्या ऐसे थे हमारे श्री राम जिनके चरित्र का अनुकरण करना हमे सदैव सिखाया जाता रहा है…

आदिपुरुष में ब्रह्मा का रावण को वरदान
फिल्म के पहले ही सीन में जब रावण ब्रह्मा से अमरत्व मांगता है तो वे उसे यह वरदान देने से मना कर देते हैं। फिल्म के मुताबिक, ब्रह्मा रावण को वरदान देते हैं, “ना दिन में ना रात में , ना जल में ना वायु में, न धरती पर, ना आसमान में,, ना किसी देव, ना किसी दानव के हाथों से तुम्हे मृत्यु नहीं मिलेगी।” लेकिन मेकर्स यहां गलती कर बैठे। दरअसल, ना दिन में ना रात में, ना धरती पर ना आकाश में, ना देव से और ना दानव से मृत्यु का वरदान ब्रह्मा जी ने तो हिरणकश्यप को दिया था। जबकि पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण को यह वरदान था कि मानव के अलावा उसे कोई नहीं मार सकता।जिस वजह से रावण का संहार करने भगवान विष्णु ने धरती पर मानव रूप (राम) में जन्म लिया था।

रावण की सवारी भद्दा दिखता चमगादड़!
माना रावण राक्षस था परन्तु वह विद्वान् ब्राह्मण और अद्वितीय राजा भी था। जिसकी तारीफ़ खुद कई बार श्री राम ने की थी। उस रावण, जिसके पास पुष्पक विमान हो, वह भद्दे से चमगादड़ की सवारी करेगा, मतलब कि हद हो गयी।

सुपर्णखा का बदला रावण ने लंका छीन के लिया था !
आदिपुरुष में तो यही दिखाया है कि रावण ने सुपर्णखा का बदला लेने बाबत सौतेले भाई कुबेर से लंका छीन ली थी।
जबकि इस बात का जिक्र कहीं नहीं मिलता कि उसने ऐसा सूर्पणखा के अपमान का बदला लेने किया था।

राम के पास सबरी खुद आईं !
आदिपुरुष के सीन के मुताबिक़, तपस्विनी शबरी खुद राम के पास चलकर पहुंची थीं और उन्हें जूठे बेर खिलाए थे। लेकिन पौराणिक कथाओं और रामायण के मुताबिक़, भगवान राम और लक्ष्मण खुद माता सीता की खोज करते हुए शबरी के आश्रम पहुंचे थे।

हनुमान जी का समुद्र लांघना
आदिपुरुष के मुताबिक़, हनुमान जी एक झटके में समुद्र लांघकर सीधे अशोक वाटिका में माता सीता के सामने पहुंच जाते हैं। समुद्र में ना उन्हें मैनाक मिलता है, ना सुरसा से उनका सामना होता है और ना ही लंकिनी उन्हें मिलती है। इतना ही नहीं, लंका में भी ना तो हनुमान जी आशोक वाटिका उजाड़ते हैं और ना अक्षय कुमार को मारते हैं। और तो और सीता के बाद पहली मुलाक़ात उनकी इंद्रजीत से ही होती है, जो उन्हें बंदी बनाकर रावण की सभा में नहीं ले जाता, बल्कि शास्त्रागार में ले जाता है और वहीं से उनकी पूंछ में आगे लगाने का फैसला हो जाता है।

राम-विभीषण मिलन
आदिपुरुष’ के मुताबिक़, विभीषण सेतु बंधन के बाद लंका के निष्काषित होकर राम के पास पहुंचते हैं। जबकि रामायण की कथा के मुताबिक, विभीषण सेतु बंधन से पहले ही राम के पास पहुंच जाते हैं। वे ही भगवान राम को याद दिलाते हैं कि समुद्र उनके कुलगुरु हैं, इसलिए उन्हें उनसे रास्ता देने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

आदिपुरुष’ की दिखाई मायाबी सीता
मतलब लानत है मेकर्स पर की फिल्म माँ सीता को मायाबी दिखा दिया है। युद्ध से पहले रावण और उसका पुत्र इंद्रजीत सीता को राम के सामने बंधन मुक्त कर देते हैं, जो कि असल में राक्षसी माया होती है। बाद में इंद्रजीत इस मायाबी सीता का गला रेत देता है। जबकि पौराणिक कथा कहती है कि रावण राक्षसी माया का इस्तेमाल कर राम का कटा हुआ सिर सीता के सामने पेश करता है, जिसे देख कर वे व्याकुल हो जाती हैं।

रावण के दस सर और चित्रण
फिल्म के मुताबिक रावण के दस सर, मतलब पांच ऊपर और बाकी उसके नीचे, मतलब अब क्या कहे , इसी प्रकार ररवन के केश जैसे कोई दो कौड़ी का बदमाश हो, अरे भाईसाहब वो रावण था लम्बे केश, सुडौल शरीर , दिख जाए तो सामान्य व्यक्ति तो वही… मतलब समझ रहे है न आप, वो रावण जो श्री राम से टकरा गया वो ऐसा रहा होगा। हद है।

लक्ष्मण को शक्ति युद्ध की शुरुआत में!
फिल्म में राम रावण युद्ध की शुरुआत में ही लक्ष्मण को शक्ति लग जाती है। मेकर्स ने इसे नागपाश का नाम दिया है। हद है ये तो। दरअसल, रामायण की कथा के मुताबिक़, इंद्रजीत ने राम और लक्ष्मण को नागपाश में बांधा था, जिसे गरुण ने आकर काटा था। जबकि इसके बाद एक अन्य घटना में इंद्रजीत ने लक्ष्मण को शक्ति बाण का प्रयोग कर अचेत कर दिया था और उनके प्राण बचाने के लिए लंका के वैद्य सुषेण को लाया गया था, जिन्होंने संजीवनी लाने की सलाह दी थी।

लक्ष्मण के प्राण एक महिला ने बचाए
कहानी के मुताबिक़, विभीषण के साथ लंका छोड़कर आई उनकी पत्नी ने शक्ति बाण लगने से मूर्छित लक्ष्मण के प्राण बचाने का उपाय बताया था और हनुमान जी उसी के कहने पर संजीवनी लाए थे। और तो और विभीषण की पत्नी ने ही लक्ष्मण का उपचार भी किया था। जबकि असली कहानी कहती है कि वैद्य सुषेण ने लक्ष्मण के लिए संजीवनी का उपाय बताया था और उन्होंने ही उनका उपचार किया था।

इंद्रजीत का वध भी सवालो के घेरे में
इंद्रजीत का वध भी बिल्कुल सवालो के घेरे में है क्युकी इसे बिलकुल; ही काल्पनिक रूप से दिखाया है। इसके मुताबिक़, इंद्रजीत का वध लक्ष्मण एक स्वर्ण झील में करते हैं, जहां वह हर युद्ध से पहले शक्ति स्नान के लिए जाता है। जबकि असली कहानी कहती है कि लक्ष्मण ने इंद्रजीत का वध तब किया था, जब वह देवी निकुंभला का हवन करता है, जिसके पूरा होने पर वह अजेय हो सकता था।

पूरी फिल्म में कालापन व्याप्त है
श्री राम , माँ सीता , हनुमान जी, और यहाँ तक कि विद्वान् रावण जो खुद प्रकाश के पुंज सामान है उनकी कहानी में प्रकाश का ज्यादा इस्तेमाल करने के बजाय कालापन से भरी फोटोग्राफी , श्याह बैकग्राउंड, मतलब मेकर्स कर क्या गए, यह तो अल्पज्ञान सा ही लगता है।

सही पात्र का चयन न होना
कोई भी पात्र अपने किरदार के साथ न्याय करता नहीं दिखा। जैसे रावण जो राजा था वह पूरी फिल्म भद्दे चमगादड़ की सवारी कर रहा है वो भी काला कपडा पहनकर, प्रभास राम काम दो कौड़ी के बदमाश ज्यादा लग रहे फिल्म में ,माँ सीता का वस्त्र सेक्सी ज्यादा दिखाया गया है, जबकि यह वाक्य लिखने में भी तकलीफ हो रही हमे यहाँ, मेकर्स कैसे कर दिए , यह समझ से परे है

डायलाग है दो कौड़ी के
राम जो स्वयं सौम्य है, मर्यादा पुरुषोत्तम है, हनुमान जी जो कि कलयुग के देवता है,उनसे विद्वान् है कौन आखिर, माँ सीता जो खुद दिव्यता की मिशाल हो, और तो और स्वयं रावण जो इतना विद्वान् है, उनके किरदारों से सजी फिल्म में ऐसे डायलाग है… अब तेरी लंका लगेगी/ तेरा शेषनाग लम्बा हो गया/जलेगी तेरे बाप की/तेरी बुआ का बगीचा है क्या/चल बे निकल… मतलब अब आगे नहीं लिखा जाता

मानव काम कार्टून फिल्म ज्यादा
पूरी फिल्म में केवल आठ डेस्क मानव है बाकी सब कार्टून और स्पेशल इफेक्ट्स का स्तर इतना घटिया कि छोटा भीम और मोगली भी शर्मा जाए …

फिल्म देखने के बाद लोग कह रहे है कि जो सिनेमा में पहली सीट हनुमान जी के लिए रख छोड़ी है न, अगर कही धोखे से भी बजरंग बली जी आ गए न, तो समझ लेना इस फिल्म को बनाने वालो और किसी की लगे न लगे तुम्हारी लंका लगना तय है।

म खुद कुछ नहीं कहेगे लेकिन पाठक स्वयं पढ़कर अंदाज लगा लें कि फिल्म कैसी है और क्या है ???

by Er. Umesh Shukla @ ‘Virat24’ news

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