क्या आप जानते है भारत में मौजूद एशिया की एकमात्र ऐसी मस्जिद के बारे में, जिसके मीनारों में इतना सोना जड़ा है, कि अनुमान लगाना मुश्किल है…
अलीगढ़ की जामा मस्जिद विश्व में क्यों है प्रसिद्ध, क्या है खास, पढ़ें विस्तृत खबर
जामा मस्जिद एशिया की एकमात्र मस्जिदों में है शुमार, मस्जिद का जिक्र अमिताभ बच्चन के कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति में भी हुआ, यह मस्जिद विश्व विख्यात होने की वजह से विदेशी पर्यटक भी इसका दीदार करने आते हैं।
- गुम्मदो में सोना जड़ा हुआ है
- शहर के सबसे ऊंचे स्थान पर है मौजूद
- मस्जिद का इतिहास लगभग 290 साल पुराना
- महिलाओं के लिए भी नमाज पढ़ने की व्यवस्था
- मस्जिद का जिक्र अमिताभ बच्चन के कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति में भी हुआ
- विश्व विख्यात होने की वजह से विदेशी पर्यटक आते है
- पहली मस्जिद जहां शहीदों की कब्रें भी हैं
- यह जामा मस्जिद 17 गुंबदों वाली है
- यहां एकसाथ 5000 लोग नमाज पढ़ सकते हैं
- अनुमान है कि इस वक्त मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज पढ़ रही है
- जामा मस्जिद में 1857-गदर के 73 शहीदों की कब्रें भी हैं
- जामा मस्जिद अवधी व मुगलकालीन वास्तु कला का अनूठा संगम है
- पहली मंजिल पर 40 और दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों की संख्या 19 है
देश में रमजान के पवित्र महीने के चलते मस्जिदों एवं मस्जिदों के आसपास काफी रौनक देखने को मिल रही है। अलीगढ़ की जामा मज्जिद एशिया की एकमात्र मस्जिद है। जिसकी गुम्मदो में सोना जड़ा हुआ है। गुम्मदो में जड़े सोने के अनुमान की बात की जाए तो सभी के अलग-अलग मत हैं। अलीगढ़ की जामा मस्जिद शहर के सबसे ऊंचे स्थान पर मौजूद है। जिसकी गुम्मदो को शहर के किसी भी कोने से साफ देखी जा सकती हैं। मस्जिद का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है।जिसकी खूबसूरती अलग ही देखने को मिलती है।
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मुगलकाल में मुहम्मद शाह (1719-1728) के शासनकाल में कोल के गवर्नर साबित खान ने 1724 में इसका निर्माण शुरू कराया था। इसमें चार साल लगे और 1728 में मस्जिद बनकर तैयार हो पाई। मस्जिद में कुल 17 गुंबद हैं। मस्जिद के तीन गेट हैं। इन दरवाजों पर दो-दो गुंबद हैं। शहर के ऊपरकोट इलाके में 17 गुंबदों वाली यह जामा मस्जिद है Iयहां एकसाथ 5000 लोग नमाज पढ़ सकते हैं। यहां औरतों के लिए नमाज पढ़ने का अलग से इंतजाम है। इसे शहदरी (तीन दरी) कहते हैं।
जब मस्जिद के इतिहास के बारे में शहर मुफ्ती से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अलीगढ़ की जामा मस्जिद अपने आप में बहुत से रहस्य संजोए हुए हैं। उन्होंने एक वाक्य का जिक्र करते हुए बताया कि यदि अलीगढ़ में कभी जलजला आया तो अलीगढ़ घंटाघर की सबसे ऊंची चोटी डूबने के बाद जामा मस्जिद की पहली सीढ़ी तक पानी पहुंच पाएगा।
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290 साल पहले बनी इस जामा मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज अदा कर रही है। जहां मौजूद जामा मस्जिद एशिया की एकमात्र मस्जिद है जिसकी गुम्मदो में सोना जड़ा हुआ है। इसके गुंबदों में ही कई क्विंटल सोना लगा है। यहां कुल कितना सोना लगा है, इसका किसी को अन्दाजा नहीं हैं। सभी के अलग-अलग मत हैं।
देश की शायद यह पहली मस्जिद होगी, जहां शहीदों की कब्रें भी हैं। इसे गंज-ए-शहीदान (शहीदों की बस्ती) भी कहते हैंI इस मस्जिद में 1857-गदर के 73 शहीदों की कब्रें भी हैं। इस पर भारतीय पुरातत्व विभाग कई साल पहले सर्वे भी कर चुका है यह अलीगढ़ में सबसे पुरानी और भव्य मस्जिदों में से एक है। इसको बनने में 14 साल लगे थे। मस्जिद बलाई किले के शिखर पर स्थित है तथा यह स्थान शहर का उच्चतम बिंदु है। अपने स्थिति की वजह से, इसे शहर के सभी स्थानों से देखा जा सकता है।
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जामा मस्जिद के आसपास लगने वाला बाजार भी मस्जिद के इतिहास के समय से लगता आ रहा है।इस बाजार में सभी जरूरत का सामान देखने को मिल जाता है। यहां खरीददारों की काफी भीड़ भाड़ देखी जा सकती हैं।
मस्जिद के भीतर छह स्थल हैं जहां लोग नमाज अदा कर सकते हैं। मस्जिद का जीर्णोद्धार कई दौर से गुजरा तथा यह कई वास्तु प्रभावों को दर्शाता है। सफेद गुंबद वाली संरचना तथा खूबसूरती से बने खम्भे मुस्लिम कला और संस्कृति की खास विशेषताएं हैं।
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मस्जिद की गुंबदों व मीनारों पर इतना सोना जड़ा है जितना एशिया की किसी दूसरी मस्जिद में नहीं। यह मस्जिद शानदार नक्काशी व वास्तुकला का अनूठा नमूना भी है जो आगरा के ताजमहल की याद दिला देती है। कई पीढ़ी से अकीदतमंद यहां नमाज अदा कर रहे हैं।
ऐतिहासिक धरोहर की सूची में मुगलकालीन जामा मस्जिद भी शामिल है। वैसे तो देश में तमाम मस्जिद अपने भव्य इबादतगाहों के लिए प्रसिद्ध हैं, मगर जामा मस्जिद कुछ खास है। यह मस्जिद भव्य इबादतगाह के अलावा सबसे ज्यादा सोना जड़ी हुई मस्जिद के रूप में भारत ही नहीं, पूरे विश्व में विख्यात हैI
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पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ पढ़ते हैं नमाज:
कई पीढ़ी से अकीदतमंद यहां नमाज अदा कर रहे हैं। मस्जिद कमेटी के अनुसार यहां पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं। महिलाओं के लिए अलग से नमाज अदा करने की व्यवस्था है। तीन सदी पुरानी इस मस्जिद में कई पीढ़ियां नमाज अदा कर चुकी हैं। रमजान के महीने में नमाजी पांचों प्रहर की नमाज पढ़ने मस्जिद में आते हैं। जहां महिलाओं के लिए भी नमाज पढ़ने की व्यवस्था है। अनुमान है कि इस वक्त मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज पढ़ रही है।
मस्जिद के चारों ओर मीनर:
ऊपरकोट जामा मस्जिद का निर्माण मुगल शासक मुहम्मद शाह (1719-1728) के समय कोल के नवाब साबित खान ने 1724 में शुरू कराया था। मस्जिद लगभग 12 साल में बनकर तैयार हुई थी। सबसे लंबी मीनार 22 फीट की है। मस्जिद के अंदर फ्रंट हिस्सा करीब 125 फीट चौड़ा है, लंबाई 150 फीट है। इसमें कुल 17 गुंबद हैं। मुख्य गुंबद की गोलाई 119 फीट और इसके दोनों तरफ बने छोटे गुंबद की गोलाई 93 फीट है। मस्जिद के चारों तरफ बनी चार मीनारों में हर एक की गोलाई 33 फीट है।
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मीनारों में मढ़ा है सोना:
मस्जिद की पहली मंजिल पर 40 और दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों की संख्या 19 है। मस्जिद के तीन गेट हैं। करीब आठ से 10 फीट लंबी तीन मीनारें मुख्य गुंबद पर लगी हुई हैं। तीनों गुंबद के बराबर में बने एक-एक गुंबद पर छोटी -छोटी तीन मीनारें हैं। मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं। सभी गुंबदों और मीनारों में शुद्ध सोना मढ़ा हुआ हुआ है। गुंबदों में ही कई कुंतल सोना है। यहां कुल कितना सोना लगा है, इसका किसी को अंदाजा नहीं। ऐसे में मस्जिद कमेटी इसका संरक्षण पुरातत्व विभाग के हवाले करना चाहती है।
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वास्तुकला का अनूठा संगम:
मस्जिद की गुंबदों व मीनारों पर इतना Gold जड़ा है, जितना एशिया की किसी दूसरी मस्जिद में नहीं। यह मस्जिद शानदार नक्काशी व वास्तुकला का अनूठा नमूना भी है, जो आगरा के ताजमहल की याद दिला देती है। यह मुगलकाल में बनी आखिरी मस्जिद है। वास्तु कला भी बेजोड़ है। जामा मस्जिद अवधी व मुगलकालीन वास्तु कला का अनूठा संगम है। गुंबद की बनावट इस तरह की गई है कि उस पर चढ़ना मुश्किल है। इन पर शीप और खास तरह के रंगीन पत्थरों का लेप किया गया है, जो इंसान को चढ़ने में विचलित करते हैं। ताजमहल और मस्जिद की कारीगरी में बहुत कुछ समानताएं हैं। यह मस्जिद बिना कंक्रीट और सरिया की मदद से बनी है। छत पर भी सोने के पानी से बेजोड़ कलाकृतियां उभारी गई हैं।
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73 शहीदों की कब्र:
देश की शायद यह पहली मस्जिद है, जहां शहीदों की कब्रें भी हैं। कब्र वाले स्थान को गंज-एशहीदा न (शहीदों की बस्ती) कहते हैं। 1857 के गदर में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए 73 उलेमा शहीद हुए थे, जिनकी कब्रें मस्जिद में हैं।मस्जिद के अंदर 73 उलेमा बलिदानियों की कब्रें आज भी संरक्षित हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
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परीक्षण में मिला पक्का सोना:
कुछ साल पहले मस्जिद की सबसे छोटी मीनार की मरम्मत कराई गई। तब उसमें लगे सोने की शुद्धता की दो अलग-अलग पारखियों से जांच कराई गई, जिन्होंने इसमें आला किस्म का पक्का सोना बताया। बताया जाता है कि कुछ साल पहले एक मीनार में लगे सोने को चोरी करने का प्रयास भी हुआ था। हालांकि, शहर मुफ्ती का कहना है कि इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई।
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KBC में Amitabh Bachchan ने पूछा सवाल:
टीवी सीरियल ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एपिसोड में सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा था कि एशिया में कौन सी ऐसी मस्जिद है, जिसमें सबसे अधिक सोना लगा हुआ है। इसका जवाब बताया गया, अलीगढ़ की जामा मस्जिद। इसके बाद देशभर में इसकी चर्चा हुई।
by Er. Umesh Shukla @ ”VIRAT24″ news