“केदारनाथ धाम” जाने की है अगर चाहत,तो जानिए वो सब कुछ जो आप नही जानते…

“केदारनाथ धाम” के बारे में जानिए वो सब कुछ,जो आप नही जानते…

“केदारनाथ धाम” जाने की है अगर चाहत,तो जानिए वो सब कुछ जो आप नही जानते…
@ 25 अप्रैल को खुलेंगे मंदिर के कपाट

See also रीवा-बीएड की छात्रा नहाते समय नदी में डूबी तलाश जारी देखिये कैसे घटी घटना।

।| ॐ नमः शिवाय |।
।|जय केदारनाथ धाम |।
“केदारनाथ मंदिर: उत्तराखंड”>>>25 अप्रैल 2023 को खुलेंगे मंदिर के कपाट

See alsoरीवा- फांसी के फंदे से लटकता मिला महिला का शव. परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप

See also रीवा- जनपद अध्यक्ष कलेक्टर और जिला सीईओ से की विकास में बाधा उत्पन्न करने की शिकायत

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शंकर/शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

See also रीवा- त्योंथर में पेयजल के लिए दो किमी दूर से पानी ढोने को मजबूर ग्रामीण; कौन है जिम्मेदार

महत्वपूर्ण जानकारी:
>स्थान: केदारनाथ, उत्तराखंड 246445(पिन)
>2023 में मंदिर खुलने की तिथि: श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल 2023 मंगलवार को खुलेंगे।
>केदारनाथ मंदिर समापन तिथि 2023: भैया दूज के अवसर पर श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहेंगे।

खुला और बंद समय:
>केदारनाथ मंदिर सुबह 7 बजे सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खुलता है।
>दोपहर 1.00 बजे से अपराह्न 2.00 बजे तक विशेष प्रार्थना की जाती है और फिर मंदिर को फिर से बनाने के लिए बंद कर दिया जाता है।
>शाम 5 बजे फिर से मंदिर जनता के लिए खोल दिया जाता है।
>भगवान शिव की पांच मुख वाली श्रृंगार की प्रतिमा और सुबह 7.30 बजे से सुबह 8.30 बजे तक की जाती है नियमित आरती।
>रात्रि 8.30 बजे केदारेश्वर श्रद्धेय मंदिर बंद कर दिया जाता है।
>स्वर्णमंडित हुआ केदारनाथ मंदिर का गर्भगृह, 550 सोने की परतों से सजा बाबा का धाम।

केदार घाटी सर्दियों में बर्फ से ढकी रहती है। हालांकि केदारनाथ मंदिर का उद्घाटन और समापन क्षण निकाला जाता है, लेकिन यह आमतौर पर कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के पहले दिन बंद हो जाता है और हर साल वैशाख (अप्रैल-मई) में फिर से खुलता है।परंतु तारीख अलग अलग भी हो सकती है।लेकिन इतना तय है उपरोक्त घटनाएं उपरोक्त तारीख के आस पास ही होती हैं।


इसके समापन के दौरान मंदिर बर्फ में डूबा हुआ होता  है और ऊखीमठ में पूजा की जाती है।

केदारनाथ मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 12 ज्योतिलिंगों में से एक है तथा चार धाम और पंच केदार में भी इस मंदिर का नाम सम्मिलित है। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल में स्थित है तथा उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।

मन्दिर की संरचना:
यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली  में बना है यह अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है (मान्यता) कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय और इसका जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था।

केदारनाथ मंदिर प्रधान तीर्थ:
केदारनाथ मंदिर की भक्तों में बड़ी मान्यता है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ_ये दो प्रधान तीर्थ हैं। दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।

See also रीवा- वेंकट भवन के सामने धरने पर बैठे आंदोलकारी को FORTUNER से कुचलने का किया गया प्रयास

केदारनाथ की कहानी:
ऐसा माना जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।

See also रीवा- बिना नंबर की गाड़ी से घूम रहे लूट के आरोपी को पुलिस ने पकड़ा; देखें कौन है आरोपी

See also रीवा-कैलाश विजयवर्गीय के विंध्य दौरे से पहले नारायण का धमाका, देखे क्या कहा वर्गीय ने

केदारनाथ को पंचकेदार क्यों कहते है:
एक कथा के अनुसार इस मंदिर को पंचकेदार इसलिए माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो ने अपने पाप से मुक्ति के लिए भगवान शंकर का आर्शीवाद चाहते थे। पांडव भगवान शंकर को खोजते हुए केदारनाथ पहुँच गए, जहां भगवान शंकर ने बैल का रूप धारण कर रखा था। पांडवो ने भगवान शंकर को खोज कर उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है।

See also VIRAT SPECIAL- रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला की जानकारी छिपाने के पीछे अधिकारियों की क्या थी मनसा

चार धाम यात्रा की शुरूआत कैसे हुई:
चार धाम यात्रा की शुरूआत 8वीं शताब्दी के धर्मप्रवर्तक और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने की थी।
उन्होंने 8वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए चार पवित्र मंदिरों की तीर्थ यात्रा का आगाज किया। 1950 के दशक तक लोगों ने इन स्थलों तक पहुंचने के लिए पैदल ही एक कठिन यात्रा तय की।
हालांकि, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सही रास्तों और कई तरह के साधनों की वजह से यह यात्रा थोड़ी आसान होती चली गई।और अब तो पिछले कई वर्षो से हेलिकॉप्टर सेवा तक उपलब्ध है।

See also रीवा-वेयर हाउस मैनेजर और मालिक की तानाशाही से किसान ट्रांसपोर्ट परेशान

केदारनाथ त्रासदी:
जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। अचानक आई बाढ़ से मंदिर को काफी नुकसान हुआ था। ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहा।

भयंकर जलप्रलय में केदारनाथ मंदिर के पीछे अचानक प्रकट हुई थी ‘भीम शिला चट्टान’:

पानी, रेत, चट्टान और मिट्टी का सैलाब ने केदार घाटी को उजाड़कर रख दिया था। पहाड़ों में धंसी बड़ी-बड़ी मजबूत चट्टानें भी टूटकर पत्थर की तरह गिरने लगी। सैलाब के सामने जब कोई नहीं टिक पा रहा था, ऐसे में मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा था। कहते हैं कि पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ तेज रफ्तार से एक बहुत बड़ी चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही थी, लेकिन अचानक वे चट्टान मंदिर के पीछे करीबन 50 फुट की दूरी पर ही रुक गई। लोगों को ऐसा लगा जैसे उसे किसी ने इतनी बड़ी चट्टान को रोक दिया हो।चट्टान की मदद से बाढ़ का तेज पानी दो भागों एम्(M) बन गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया।इस घटना को 9 साल हो चुके हैं, लेकिन ये शिला आज भी केदारनाथ के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी के पास मौजूद है। आज इस शिला को भीम शिला के नाम से जाना जाता है। लोग इस शिला की पूजा करते हैं।

See alsoरीवा- लोकायुक्त की जाँच में सामने आया जल संसाधन विभाग के करोड़ों का भ्रष्टाचार देखें यह खबर

See also रीवा- कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के नाम पर खानापूर्ति; पीड़ित लगाते रहते हैं दफ्तरों के चक्कर

मंदिर की समय सारणी:
>केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रातः 7.00 बजे खुलता है।
>दोपहर 1.00 से 2.00 बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
>पुनः शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
>पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7.30 बजे से 8.30 बजे तक नियमित आरती होती है।
>रात्रि 8.30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
शीतकाल में केदारघाटी बर्फ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यतः नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छरू माह बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है।
ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं।

See also डोंगरगढ़ VIP विदाई के चक्कर में सस्पेंड हुए टीआई साहब !

केदारनाथ धाम यात्रा के लिए प्रशासन सतर्क, 15 फीट से भी बड़े ग्लेशियरों को काटकर रास्ता किया तैयार:
Chardham Yatra: उत्तराखंड में अप्रैल के आखिरी सप्ताह में चारधामा यात्रा की शुरुआत हो जाएगी लेकिन रुद्रप्रयाग में बर्फबारी जारी रहने के कारण इस बार की यात्रा में यात्रियों को अलग तरह के अनुभव से गुजरना होगा.
Chardham Yatra 2023: केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) आने वाले यात्रियों को इस बार पैदल मार्ग पर ग्लेशियरों के बीच से होकर आवाजाही करनी होगी. पैदल मार्ग पर कई स्थानों पर 15 फुट से भी बड़े ग्लेशियर बने हैं. इन ग्लेशियरों को काटकर धाम तक रास्ता तैयार किया गया है. अभी भी धाम में मौसम खराब है. आए दिन शाम के समय बर्फबारी (Snowfall) हो रही है और ठंड बहुत है. ऐसे में इन ग्लेशियरों का अभी पिघलना मुश्किल है.

विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की यात्रा का काउंटडाउन शुरू हो गया है. 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, जबकि 21 अप्रैल को बाबा केदार की डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी. इसके साथ ही 15 अप्रैल से स्थानीय लोगों को भी केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी जा रही है. इस बार मार्च महीने में धाम सहित पैदल मार्ग पर जमकर बर्फबारी हुई है. जिस कारण पैदल मार्ग के लिनचैली, भैरव गदेरा आदि स्थानों पर 15 फीट से भी बड़े ग्लेशियर बने हैं. इन ग्लेशियरों को काटकर मजदूरों ने रास्ता तैयार किया है.

See also रीवा- बिजली के तार से लगी आग ने देखिये कैसे किसानों का घर जलाकर किया ख़ाक 


बर्फ काटकर तैयार किया जा रहा रास्ता:
अभी भी धाम में लगातार मौसम खराब हो रहा है और अत्यधिक ठंड पड़ रही है. ऐसे में अभी इन ग्लेशियरों का पिघलना मुश्किल है. जो भी यात्री यात्रा के शुरुआती चरण में केदारनाथ धाम आएंगे, वह ग्लेशियरो के बीच से होकर रोमांचित यात्रा करेंगे. ग्लेशियरों के भीतर से यात्रा करने का यात्रियों को अलग ही अनुभव प्रदान कराएगा. केदारनाथ धाम के लिए बर्फ को हटाकर रास्ता तैयार कर लिया गया है. अब धाम में यात्रा को लेकर आवश्यक कार्य शुरू कर लिए जाएंगे. हालांकि बीच-बीच में मौसम अभी भी खराब हो रहा है, बावजूद इसके संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के साथ ही मजदूर यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए हैं.

See also रीवा- जनपद सदस्य प्रतिनिधि के गाड़ी में असामाजिक तत्वों ने किया पथराव मामला दर्ज

केदारनाथ धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट इसी महीने की 25 तारीख को खोले जाएंगे:
केदारनाथ धाम के कपाट इसी महीने की 25 तारीख को खुलेंगे. यह बात चारधाम यात्रा प्रबंधन के अधिकारियों ने कही। अधिकारियों ने बताया कि उस दिन से हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध होंगी। राज्य के पर्यटन विभाग ने कहा कि जो श्रद्धालु केदारेश्वरर के दर्शन हेलीकॉप्टर से करना चाहते हैं, उन्हें आईआरसीटीसी (IRCTC) के जरिए पंजीकरण कराना होगा. उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए अब तक करीब साढ़े छह लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है। इसमें से 2.41 लाख लोगों ने केदारनाथ के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।

See alsoरीवा- पुलिस ने सट्टा खेलाने वाले दो आरोपियों को पैसा सट्टा पर्ची के साथ किया गिरफ्तार

हेलीकॉप्टर से कर सकते हैं केदारनाथ धाम के दर्शन: बुकिंग शुरू हो गई है, जान लें क्या होगा किराया:
चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन के लिए 22 अप्रैल 2023 से कपाट खुल रहे हैं और आज से केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग शुरू हो गई है.
केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट भक्तों के लिए 25 अप्रैल 2023 को खोल दिए जाएंगे. मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खोल दिए जाएंगे. केदारनाथ (Kedarnath Dham) के कपाट खोलने की अधिकारिक जानकारी बुधवार को दी गई हैं. इस बार भक्त केदारनाथ धाम दर्शन के लिए पैदल यात्रा के साथ-साथ हेलीकॉप्टर से भी जा सकते है.
उल्लेखनीय है कि, हेलीकॉप्टर से यात्रा के लिए पहले ही ऑनलाइन बुकिंग  8 अप्रैल से शुरू हो गई है. स्टेट टूरिज्म डिपार्टमेंट की तरफ से हेलीकॉप्टर यात्रा की बुकिंग के लिए इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को अधिकृत किया गया है. आप IRCTC की साइट से आसानी से अपनी हेलीकॉप्टर यात्रा की बुकिंग कर सकते हैं.

See also प्रेमी जोड़े को दी गई तालिबानी सजा, देखें VIDEO…

8 हेली कंपनियां, 9 हेलीपैड से सेवा:
केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का संचालन केदारघाटी में स्थित हेलीपैड से होता है. हेली सेवाओं के लिए केदारघाटी में तीन सेक्टर गुप्तकाशी, फाटा व सिरसी बनाए गए हैं. गुप्तकाशी में दो हेलीपैड, फाटा में चार और सिरसी में तीन हेलीपैड हैं. एक कंपनी दो हेलीपैड से हेली सेवाएं संचालित कर रही है.

यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर का किराया:
फाटा-केदारनाथ>2750 रुपये
सिरसी-केदारनाथ>2749 रुपये
गुप्तकाशी-केदारनाथ>3870 रुपये

केदारनाथ धाम यात्रा 2023 के लिए हेलीकॉप्टर सेवाए IRCTC के निम्न website के मध्यम से बुक की जा सकती है__
www.heliyatra.irctc.co.in ;
www.registerandtouristcare.uk.gov.in
एक ईमेल आइडी पर अधिकतम छह यात्रियों के लिए टिकट बुक की जा सकेगी। इसके अलावा एक बार में एक ईमेल आइडी पर पूरे यात्रा काल में दो ही बार, यानी अधिकतम 12 टिकट दिए जाएंगे। टिकटों की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।

See also REWA BREAKING: जनपद सदस्य प्रतिनिधि के गाड़ी में असामाजिक तत्वों ने किया पथराव मामला दर्ज

केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे:
>निकटतम हवाई अड्डा: केदारनाथ से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा।
>निकटतम रेलवे स्टेशन: केदारनाथ से लगभग 221 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन।
>सड़क मार्ग: केदारनाथ दिल्ली से लगभग 466 किलोमीटर की दूरी पर है और बेहतर होगा कि आप वहां पहुंचने के लिए टैक्सी या बस का ही चयन करें।

केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए लाखों भक्तों ने किया है रजिस्ट्रेशन :(Char Dham Yatra 2023) उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से जानकारी देते हुए मार्च में बताया गया था कि चारधाम की यात्रा (Char Dham Yatra 2023) के लिए 6 लाख 34 हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इस बार चारधाम और केदारनाथ में भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचने वाले हैं. ऐसे में सरकार और प्रसाशन भी तैयारियों में लगा हुआ रहा है. कुल 6 लाख 34 हजार रजिस्ट्रेशन कराएं गए हैं. इनमें से केदारनाथ के लिए 2.41 लाख, बद्रीनाथ के लिए 2.1 लाख, यमनोत्री के लिए 95,107 और गंगोत्री के लिए 96,449 रजिस्ट्रेशन किए गए हैं.
22 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम के लिए 27 अप्रैल तक पंजीकरण फुल हो गया है। पिछले साल की तरह इस बार भी बाबा केदार के दर्शन के लिए यात्रियों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

लोगों के स्वास्थ्य के लिए हैं विशेष सुविधाएं:
(Char Dham Yatra 2023) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की ओर से जानकारी देते हुए बताया गया कि “चारधाम यात्रा में भक्तों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए हेल्थ एटीएम (health ATM) स्थापित किया जाएगा”. चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा.  राज्य व केंद्र सरकार ने यात्रा में कोविड को लेकर भी कई निर्देश जारी किए हैं. भक्तों की सुविधा के लिए रास्तों पर डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को भी तैनात किया जाएगा.

केदारनाथ में भोजन और ठहरने के विकल्प:
>केदारनाथ में कुछ खूबसूरत होमस्टे, कॉटेज और होटल हैं, जहां आप आरामदायक ठहराव का आनंद ले सकते हैं।
>आपको वहां सरकार द्वारा संचालित कई गेस्ट हाउस भी मिल सकते हैं।
>जब आप केदारनाथ में हों तो आपको वहां के भोजनालयों में स्थानीय व्यंजनों का जायका जरूर लेना चाहिए।
>उत्तराखंड के व्यंजनों में आमतौर पर फाणु, काफुली, भिवाणी, चैनसो, झोली, गहत के परांठे, रोट और बाड़ी सहित अन्य गढ़वाली व्यंजन शामिल हैं।


by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ News

( Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. VIRAT 24 News media इसकी पुष्टि नहीं करता है ) 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *