- एक ऐसा जीव जो साल भर में केवल एक बार पीता है पानी
- बाकी समय एक बूँद भी हलक के नीचे नहीं उतारता
साल में एक बार पानी पीता है ये जीव, इसके बाद मुंह में नहीं लेता एक भी बूंद !
पानी हर जीव के लिए चाहे पशु-पक्षियों, जानवरों और इंसानों सभी के लिए जीवन का आधार है। अगर हम में से कोई भी पानी न पिएं तो 1, 2 दिन में हालत खराब हो जायेगी, तीसरे दिन बीमार पड़ने लगेंगे और करीब एक हफ्ते बाद तो मौत भी हो सकती है।
जिंदा रहने के लिए पानी बहुत आवश्यक है। लेकिन इस अजब-गजब दुनिया में एक ऐसा प्राणी भी है, जो साल भर में सिर्फ एक बार ही पानी पीता है और वो भी एक खास मौके पर, साथ ही उसके बाद यह प्राणी पानी की एक बूंद भी मुंह में नहीं लेता। क्या आप जानते है उस प्राणी के विषय में ?
पक्षी का नाम
यह प्राणी एक पक्षी है जिसका अंग्रेजी नाम है जैकोबिन कुकु (Jacobin Cuckoo), जिसे हिंदी में चातक कहते है। इसे पपीहा भी कहा जाता है।
जैकोबिन यानी चातक ही एकमात्र ऐसा पक्षी है जो सिर्फ और सिर्फ प्राकृतिक बरसात का ही पानी पीता है। भारतीय साहित्य में इसके बारे में लिखा है कि यह बारिश की पहली बूंद को पीता है। अगर पानी पीने के बाद चातक पक्षी को साफ पानी की झील में भी डाल दें, तो यह अपनी चोंच बंद कर लेगा और पानी नहीं पियेगा।
अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देता है
इस पक्षी से जुड़ी एक बड़ी अनोखी बात यह है कि ये अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देता है। आपको बता दें, चातक अपने मेजबान के तौर पर बब्बलर और बुलबुल जैसे आकार के पक्षियों को चुनता/देखता/पाता है। ऐसे में चातक अपने रंगीन अंडे (coloured eggs) उनके ही घोंसलों (nest) में रख देते हैं।
भोजन: कीड़े और फल
चातक पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस (Clamator Jacobinus) है। क्लैमेटर का हिंदी में अर्थ होता है चिल्लाना यानी एक ऐसा पक्षी जो काफी मुखर हो। मुख्य रूप से चातक पक्षी कीट खाते हैं, टिड्डे-भृंगे आदि भी इनके भोजन में शामिल होते हैं। हालांकि, कई बार इन्हें फल और जामुन खाते हुए भी देखा गया है।
प्रजाति: भारत में 2 प्रजाति
भारत में चातक की 2 प्रजाति पाई जाती हैं। एक दक्षिणी इलाकों में रहती है और दूसरी मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत की ओर रुख करती हुई आती है।
संकेत देता है मानसून का
मानसून आने से पहले ही चातक पक्षी उत्तरी भारत के हिस्सों में पहले ही पहुंच जाता है। यानी जिस जगह मानसून आने वाला होता है, चातक पक्षी उस जगह पर पहले ही पहुंच जाता है और ऐसे पता चल जाता है कि सबसे पहले मानसून कहा और लगभग कब तक आने का अंदेशा है।