आज ही के दिन आधी रात गला घोट दिया गया था! पुरे 48 साल गए गुजर, पर जख्म है ताजा
भारत: उल्लेखनीय है कि आज ही के दिन यानी 25-26 जून 1975 की आधी रात को एक फरमान के बाद आपातकाल यानी इमरजेंसी संपूर्ण देश में लागू कर दी गयी थी। आज उस घटना को पूरे 48 वर्ष हो गए। लोगो ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक काला दिवस की संज्ञा दी। तब से अब तक देश में बहुत कुछ बदला है, देश ने विकास किया है, आगे बढ़ा है। विश्व में भारत की पहचान और कद ने एक मुकाम हासिल किया है। पर उस काले दिवस की याद अभी भी जहन में कौंध जाती है।
आपको बता दे कि इमरजेंसी के 48 साल पूरे हो गए हैं, 25-26 जून की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में इमरजेंसी लागू हो गई थी। अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर तत्कालीन PM इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना: भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है, लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। और फिर शुरू हुई उस दास्तां की कहानी की जो आज भी जहन में सिहरन पैदा कर देती है। पुराने लोग दुआएं करते है कि अब कभी देश में वैसे हालात दोबारा न लौटे। कुल मिलाकर एक फरमान ने लोकतंत्र की हत्या कर देश में तानाशाही लागू कर दी थी।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट:
आपातकाल को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट किया, कहा कि यह काला दिन संविधान के मूल्यों के बिल्कुल विपरीत था।
आज यानी 25 जून, 1975 को ही पूरे देश में आपातकाल लागू किया गया था। आज आपातकाल के 48 साल पूरे हो गए। इस काले दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया।
जेपी नड्डा ने किया ट्वीट:
जगतप्रकाश नड्डा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं।
CM शिवराज ने ट्ववीट कर कहा :
CM शिवराज ने ट्वीट किया कि 1975 में आज के ही दिन भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटकर आपातकाल लागू किया गया था। आम नागरिक से लेकर प्रेस की अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचला गया, प्रत्येक मुखर आवाज पर ताले जड़ दिए गए। जो इस अन्याय के विरुद्ध डटे रहे, उन्हें काल कोठरी के अंधेरों में ठूंसकर चुप कराने का क्रूरतम प्रयास किया गया। लोकतंत्र के हत्यारों के विरुद्ध लड़ने वाले लोकतंत्र सेनानियों तथा आपातकाल की क्रूर यातनाओं को सहते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर देने वाले महान आत्माओं के चरणों में सादर नमन करता हूं। हे मां भारती,आज हम सब एक और संकल्प लेते हैं कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले महान आत्माओं के सपनों के भारत के निर्माण के लिए अपना सर्वस्व झोंककर कार्य करेंगे।
मीसा बंदी और मीसा कानून :
मीसा यानी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम में आपातकाल के दौरान कई संशोधन किए गए और इंदिरा गांधी की निरंकुश सरकार ने इसके जरिए अपने राजनीतिक विरोधियों को कुचलने का काम किया था। मीसा बंदियों से जेलें भर गयी थी। मीसा और डीआरआई के तहत एक लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
कब हुआ खत्म मीसा :
मोरारजी देसाई के नेतृत्व में देश में जनता पार्टी की सरकार बनी, जो देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी। साल 1977 में केंद्र में जनता पार्टी की सरकार आते ही सबसे पहले मीसा कानून को समाप्त कर दिया गया था। इस प्रकार एक क्रूर कानून से देशवासियों को छुटकारा मिला था।
by Er. Umesh Shukla for ‘Virat24’ news