अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 3 दिन के दौरे पर आज भारत आएंगे। शुक्रवार को ही बाइडेन की PM मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी। इसमें दोनों नेता के बीच रूस-यूक्रेन जंग पर बातचीत होगी।
रक्षा-सामरिक सहयोग को लेकर बाइडेन की भारत यात्रा महत्वपूर्ण, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने का बन सकता है प्लान
तीन दिन के भारत दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति, PM मोदी संग द्विपक्षीय बैठक करेंगे जो बाइडन GE जेट इंजन डील पर भी बात आगे बढ़ाएंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चार दिनों की भारत यात्रा पर पहुंच रहे हैं. वह आज देर शाम आएंगे और कल यानी 8 सितंबर को भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. इसके बाद 9 और 10 सितंबर को जी20 समिट में हिस्सा लेकर वह भारत से ही वियतनाम की यात्रा पर रवाना हो जाएंगे.
बाइडेन अकेले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्होंने शी जिनपिंग के भारत न आने पर निराशा जाहिर की है. बाइडेन की पत्नी जिल को कोरोना हो गया है और बाइडेन भी लगातार जांच में हैं, इसके बावजूद उनका चार दिनों की इस यात्रा पर आना बताता है कि वह इस कार्यक्रम को कितनी तवज्जो दे रहे हैं. भारत को भी इस यात्रा से काफी उम्मीदें हैं.
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जो बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन को कोरोना हो गया है, जो बाइडेन भी लगातार निगरानी में हैं, फिर भी वह तमाम एहतियात बरतते हुए भारत आ रहे हैं, तो इससे समझा जा सकता है कि इस जी20 समिट का उनके लिए कैसा महत्व है? जी20 या किसी भी बहुपक्षीय समूह के सम्मेलन में द्विपक्षीय वार्ताएं अमूमन नहीं होती हैं, लेकिन शुक्रवार 8 सितंबर को जो बाइडेन पहले द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, फिर 9 और 10 सितंबर को जी20 की बैठक में हिस्सा लेंगे. जाहिर है, कि इस वार्ता में पुराने कमिटमेंट्स पर चर्चा होगी, ड्रोन और जेट पर बातचीत होगी, बाकी तकनीकी-रणनीतिक बातें होंगी.
जी20 चूंकि एक बड़ा प्लेटफॉर्म है, तो विश्व बैंक और आइएमएफ को और सरल बनाने पर बात होगी. इसके साथ सतत विकास और क्लाइमेट चेंज पर बाइडेन बात करेंगे. जून में जिस जेट-इंजन की बात हुई थी, उसको अमेरिकी कांग्रेस ने अप्रूव कर दिया है और जल्द ही भारत में जेट इंजन की शुरुआत हो जाएगी. इसके साथ ही स्माल न्यूक्लियर रिएक्टर पर बात होती है. जून में तो आपने बड़ी बातें तय कर ली थीं, बाद में उसकी छोटी-छोटी बातें तय होती हैं और फिर जाकर वह डील या काम पूरा होता है. अहमदाबाद और बेंगलुरू में अमेरिकी कांसुलेट खोलने पर भी बात होगी. हालांकि, मुख्य बात जो है वह ड्रोन्स, जेट इंजन के तकनीकी आदान-प्रदान और वैश्विक समस्याओं पर बात होगी. भारत के भी सिएटल में कांसुलेट खोलने पर चर्चा होगी. इसके अलावा भारतीय स्टूडेंट्स के वीजा के मसलों पर भी बात होगी. एक से दूसरे देश जाने के लिए वीजा रेस्ट्रिक्शन को कैसे ढीला किया जाए, उस पर भी बात होगी.
हालांकि, मुख्य मसला तो सैन्य और सामरिक मसलों का ही होगा. इसका कारण यह है कि बाइडेन जानते हैं कि दुनिया में रणनीतिक और सामरिक केंद्र अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र ही होने जा रहा है. बाइडेन दुनिया के बड़े देशों में से इकलौते नेता हैं, जिन्होंने जिनपिंग के जी20 बैठक में न आने पर निराशा जाहिर की है. इसके साथ ही, बाइडेन रूस और यूक्रेन युद्ध पर भी बात करना चाहेंगे. भारत अब तक बड़ी कुशलता से इस संगीन मसले पर खुद को कोई पार्टी बनने से बचाए हुए है, हालांकि मोदी ने एक बार सार्वजनिक तौर पर पुतिन को समझाइश दी है, लेकिन यह युद्ध यूरोप और अमेरिका के लिए बड़ा मसला है. अमेरिका चाहता होगा कि भारत अपनी पुरानी दोस्ती का लीवरेज लेकर रूस को किसी तरह युद्ध के लिए मनाए. जाहिर है, अमेरिका और भारत दोनों ही अपने हितों को देखते हुए हार्ड बारगेन करेंगे, लेकिन इतना तो तय है कि इससे भारत को फिलहाल फायदा ही दिख रहा है, नुकसान किसी तरह का नहीं है.