अपना रीवा, चलिए जानते है कुछ खास इसके बारे में…

अपना रीवा, चलिए जानते है कुछ खास इसके बारे में

हम जहा रहते है उसके बारे में तो हमे जरूर ही जानना चाहिए। पर आजकल बहुत से लोग खासकर झूठी पाश्चात्य संस्कृति में आकंठ डूबी युवा पीढ़ी शायद बहुत कम जानती है और जानने का प्रयास भी कम ही करते देखी जाती है। बहरहाल आज आपको रीवा के विषय में कुछ खास बताने जा रहे है इस लेख में…

सफेद बाघ रहे हैं रीवा जिले की पहचान. पान भी कभी रहा है जिले की शान. रीवा की पहचान ‘सफेद बाघों की धरती’ के तौर पर भी होती है. रीवा का नाम रेवा नदी के नाम पर रखा गया है, जो नर्मदा नदी का पौराणिक नाम है.

बीहर-बिछिया नदी के आंचल में बसा रीवा एक ऐतिहासिक शहर है.


रीवा: भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रीवा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और राज्य की राजधानी, भोपाल, से 420 किलोमीटर (260 मील) पूर्वोत्तर में और जबलपुर से 230 किलोमीटर (140 मील) उत्तर में स्थित है। इस से दक्षिण में कैमूर पर्वतमाला है और इस क्षेत्र में विन्ध्याचल की पहाड़ियाँ भी स्थित हैं.

रीवा जिला कब बना :
रीवा जिला साल 1950 में अस्तित्व में आया. तब रीवा नगर पालिका का गठन हुआ था. जनवरी 1981 में मध्यप्रदेश सरकार ने इसे नगर निगम का दर्जा दिया. भारत की आजादी से पहले रीवा रघुराजनगर तहसील का हिस्सा हुआ करता था. इसके बाद इसकी अलग पहचान बनी.

रीवा की खास बातें :
गठन: 1 नवंबर 1956
भौगोलिक क्षेत्रफल: 6240 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या: 23.65 लाख
साक्षरता: 71.62 प्रतिशत
विधानसभा: 8 (रीवा, देवतालाब, मऊगंज,त्योंथर, गुढ़, सिरमौर, सेमरिया, मनगवां)
तहसील: 11
गांव की संख्या: 2817
भाषा हिंदी: बघेली

बीहर-बिछिया नदी के आंचल में बसा रीवा एक ऐतिहासिक शहर है. कभी ये बघेल वंश और विंध्य प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी. इस शहर की पहचान ‘सफेद बाघों की धरती’ के तौर पर भी होती है. रीवा का नाम रेवा नदी के नाम पर रखा गया है, जो नर्मदा नदी का पौराणिक नाम है. प्राचीन समय से ही ये एक प्रमुख व्यापार मार्ग रहा है, जो कौशांबी, प्रयाग, बनारस, पाटलिपुत्र को पश्चिमी और दक्षिणी भारत को जोड़ता है. मध्यप्रदेश के जिले रीवा की अपनी भी अलग ही पहचान है.

मशहूर रहा रीवा का पान :
रीवा का बंगला पान कभी यहां की पहचान हुआ करता था. यहां से पान पूरे देश में भेजा जाता था. पाकिस्तान-श्रीलंका समेत कई देश इसका स्वाद उठाया करते थे. महसांव के ज्यादातर घरों में पान बनाने का काम ही किया जाता था. इससे काफी रेवेन्यू भी आता था, लेकिन समय के साथ ये स्वाद कहीं खो गया. रीवा में कई वाटरफॉल हैं, जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते है. जिनमें पियावन घिनौची धाम, पूर्व जलप्रपात, बहुती जलप्रपात, चचाई जलप्रपात और क्योटी जलप्रपात प्रमुख हैं.

तानसेन-बीरबल की जन्मस्थली :
विंध्याचल पर्वत की गोद में फैले विंध्य प्रदेश के मध्य भाग में बसा रीवा मुगल बादशाह अकबर के नवरत्न तानसेन और बीरबल जैसी महान विभूतियों की जन्मस्थली भी रही है. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यहां के सभी क्षेत्रों पर मौर्य वंश का कब्जा था. बघेल वंश से पहले रीवा के क्षेत्रों पर गुप्तकाल कल्चुरि वंश, चंदेल और प्रतिहार का शासन रहा है. रीवा ऐतिहासिक प्रमुख शहर रहा है.

रीवा की प्रसिद्ध सुपाड़ी कला :
रीवा में बनाई जाने वाली सुपारी की मूर्तियां शहर में आने वाले राजनेताओं और अन्य सेलिब्रिटी को भेंट के रूप में दी जाती हैं. इस तरह यह मूर्तियां दूसरे राज्यों में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं. रीवावासी अक्सर स्मृति के तौर पर सुपारी के खिलौने भेंट किया करते हैं. रीवा के कुंदेर परिवार ने सालों से इस कला को जीवंत रखा है.

यहां है दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी :
विश्व के कई देशों में आज जो व्हाइट टाइगर हैं, वो सभी मध्यप्रदेश की ही देन हैं. वाइल्ड लाइफ टूरिज्म में मप्र को चीता, तेंदुआ, टाइगर और क्रोकोडाइल स्टेट के रूप में खूब प्रचारित किया गया, लेकिन व्हाइट टाइगर का जिक्र एक बार भी नहीं आया. आपको बता दें कि रीवा स्थित मुकुंदपुर के जंगलों में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी है.

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