अगर आपको भी उंगलियां चटकाने की आदत है तो हो जाएं सावधान ! ये आदत आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है…कैसे इस लेख में पढिए

अगर आपको भी उंगलियां चटकाने की आदत है तो हो जाएं सावधान!ये आदत आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है…कैसे इस लेख में पढिए

क्‍या आपको उंगलियां चटकाने की आदत हैं? लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ये आदत आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है।

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Knuckle Cracking: जब भी उंगली चटकाते हैं तो एक आवाज आती है… कभी सोचा है कहां से आती है और उस वक्त हड्डियों के बीच क्या होता है ?

वैज्ञानिकों के मुताबिक शरीर के जॉइंट्स में एक फ्लूड्स होता है,जिसे साइनोवियल फ्लूइड ( Synovial Fluid) कहते हैं.जब आप उंगलियां चटकाते हैं तो ज्वाइंट्स के बीच मौजूद इस फ्लूड की गैस रिलीज होती है और उसके अंदर बनने वाले बबल्स भी फूटते हैं. यही कारण है कि उंगलियां चटकाने पर आवाज आती है.बार-बार उंगलियां चटकाने से उनके बीच होने वाला लिक्विड कम होने लगता है.

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उंगलियां चटकाने पर क्यों होती है आवाज़:

ये आवाज़ हड्डियों के जोड़ में जो तरल पदार्थ होता है, उसमें बुलबुले फूटने की वजह से होती है.
उंगलियों को चटकाने से आने वाली आवाज को हम तीन समीकरणों से समझ सकते है :
पहले समीकरण से पता चला कि जब हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं, हमारी हड्डियों के जोड़ों में अलग-अलग दबाव होता है.

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दूसरे समीकरण से पता चलता है कि अलग दबाव से बुलबुलों का साइज़ भी अलग होता है.
तीसरा समीकरण में अलग-अलग साइज़ वाले बुलबुलों को,आवाज़ करने वाले बुलबुलों के साइज़ के साथ जोड़ा.
इन सभी समीकरणों से एक पूरा गणित मॉडल बन जाता है जो उंगली चटकने की आवाज़ के बारे में बताता है.
जब हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं तो हम अपने जोड़ों को खींच रहे होते हैं और जब हम ऐसा करते हैं तो दबाव कम होता है.बुलबुले तरल के रूप में होते है जिसे साइनोवियल फ्लूड कहा जाता है.उंगलियां चटकाने की प्रक्रिया में जोड़ों का दबाव बदलता है और उससे बुलबुले भी तेज़ी से घटते-बढ़ते हैं और इसी से आवाज़ पैदा होती है.

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विपरीत सिद्धांत:

इस मॉडल से दो विपरीत थ्योरी (theory) यानी सिद्धांतों में एक संबंध बनता नज़र आता है.बुलबुले के फूटने से आवाज़ पैदा होती है,ये बात सबसे पहले 1971 में सामने आई थी.
लेकिन 40 साल बाद इसे नए प्रयोगों के बाद चुनौती दी गई जिसमें बताया गया कि बुलबुले उंगलियां चटकाने के काफी देर बाद भी फ्लयूड में बने रहते हैं.
इस नए मॉडल के बाद ये मुद्दा हल होता दिख रहा है क्योंकि इसके मुताबिक कुछ बुलबुलों के फूटने से ही आवाज़ पैदा होती है.इसलिए, उंगलियां चटकने के बाद भी छोटे बुलबुले तरल में बने रहते हैं.
इस स्टडी को सांइटिफिक रिपोर्ट्स जरनल में प्रकाशित किया गया है जिससे पता चलता है कि बुलबुले फूटने से जो दबाव पैदा होता है उससे वेव पैदा होती है जिसे गणित के समीकरणों से समझा जा सकता है और मापा जा सकता है.

इससे ये भी पता चलता है कि कुछ लोग अपनी उंगलियां क्यों नहीं चटका पाते हैं. अगर आपकी उंगलियों के टखनों की हड्डियों में ज्यादा जगह है तो दबाव उतना नहीं हो पाता कि आवाज़ पैदा करे .

उंगलियां चटकाना  आम बात है.काम करते-करते, पढ़ाई करते हुए या फिर फोन चलाते हुए बिना ज्यादा ध्यान दिए  हम अपनी उंगलियां चटकाते हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस आवाज का मुख्य कारण शरीर में मौजूद सायनोवियल फ्लूइड ( Synovial Fluid) है. ये तरल शरीर के जॉइंट्स में पाया जाता है.जब आप उंगलियां चटकाते हैं तो ज्वाइंट्स के बीच मौजूद इस फ्लूइड की गैस रिलीज होती है और उसके अंदर बनने वाले बबल्स फूटते हैं.इसी से आवाज बनती है.

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लगातार उंगली चटकाने पर आवाज नही आती

हम पाते है कि लगातार दो बार उंगली चटकाने पर आवाज नहीं आती है.माना जाता है कि आवाज के लिए आपको 20 मिनट का इंतजार करना होता है.
रिसर्च के मुताबिक सायनोवियल फ्लूइड हड्डियों में ग्रीसिंग का काम करता है.ध्यान रहें कि बार-बार उंगलियां चटकाने से उनके बीच होने वाला लिक्विड कम होने लगता है.

ज्यादा उंगलियां चटकाने से क्या होगा

अगर आप ज्यादा उंगलियां चटकाएंगे तो यह फ्लूइड धीरे धीरे पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.जिसके कारण उंगलियों के ज्वाइंट्स (dry) सूखने लगेगे और नतीजतन धीरे-धीरे आपके जोड़ो में दर्द होने लगेगा .

उंगली चटकाने से क्या होता है अर्थराइटिस:

बहुधा लोगो का मानना है कि बार-बार उंगलियां चटकाने से अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है. लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

उंगलियां चटकाने को लेकर कई तरह की स्टडीज हुई हैं.कई मेडिकल स्टडीज ये भी मानती हैं कि अगर आप  उंगलियां चटकाते हैं और आपको दर्द महसूस नहीं हो रहा है तो ये प्रोसेस सही है.
एक रिसर्चर Donald L Unger ने 60 सालों तक अपने एक हाथ की उंगलियां चटकाईं और दूसरे हाथ की नहीं. डोनाल्ड ये समझना चाहते थे कि क्या उंगलियां चटकाने से अर्थराइटिस होता है.इस 60 साल के प्रोसेस का नतीजा ये रहा कि जॉइंट क्रैकिंग का अर्थराइटिस से कोई कनेक्शन नहीं है.इतने सालों बाद भी उनके दोनों हाथों की स्थिति बिल्कुल एक जैसी ही थी.

डॉक्टर से कब करें कंसल्ट:

अगर जॉइंट से अपने आप आवाज आती है तो इसके पीछे वजह हो सकती है,कि,या तो जॉइंट्स में कुछ खराबी आ रही है या फिर जॉइंट्स लूज़ हो रहे हैं.
ऐसे में तुरंत हड्डियों के डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.इस समस्या के साथ-साथ जॉइंट पेन भी अगर  महसूस होता है और हड्डियों में दर्द हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए .

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है.यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है.अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. ‘VIRAT24 न्यूज मीडिया’ इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है. 

by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ News

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