रीवा बिजली विभाग मस्त, जनता पस्त, नहीं हो रही कोई सुनवाई

रीवा बिजली विभाग मस्त, जनता पस्त, नहीं हो रही कोई सुनवाई

जिले की बिजली व्यवस्था हुई बेपटरी, बेलगाम, बदहाल; लोग हैं परेशान-हलाकांन जबकि तानशाह अधिकारी बने है तमाशबीन, रहते हैं अपनी धुन में मस्त

यही है आजकल जिले के शहरी और ग्रामीण इलाको का सूरते हाल…

सूबे में बिजली विभाग ने सुविधा भले ही न दी हो, परन्तु अघोषित बिजली कटौती, लो वोल्टेज, वोल्टेज सर्ज, लो फ्रीक्वेंसी, बढ़े बिजली बिल, जले ट्रांसफार्मर, खम्बो पर फैलते और फिर नीचे उतरते करेंट, उपभोक्ताओं के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार आदि समस्याओं की सौगातें जरूर भर भर के दी हैं।

अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान, काट रहे विभाग के चक्कर

पूरे जिले का हाल बिजलीं व्यवस्था को लेकर बेहाल है। पूरे प्रदेश की भांति रीवा में भी बिजलीं व्यवस्था चरमरा गई है। मगर कोई सुनने वाला नहीं है।

रीवा में भीषण गर्मी और उमस की वजह से लोग पहले से ही परेशान हैं और अब उनकी परेशानी बिजली विभाग की वजह से और बढ़ गई है. आलम यह है जिले के हर एक हिस्से में होने वाली अघोषित बिजली कटौती आम बात हो गई है.

इन दिनों भीषण गर्मी और उमस में बिजली कटौती एक गंभीर समस्या बन चुकी है. शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक में यह समस्या लोगों को परेशान कर रही है. इसके बावजूद विद्युत वितरण व्यवस्था में अपेक्षा अनुरूप सुधार नहीं हो पा रहा है. गर्मी से लोगों का बुरा हाल है. लोग 40 डिग्री तक के तापमान में बिना कूलर, पंखे के रहने को मजबूर हैं. यही वजह है कि तमाम परेशान उपभोक्ता बिजली विभाग के चक्कर काट रहे है, लेकिन सुधार नहीं हो पा रहा है.

वही बिजली विभाग की बात करे तो बिजली विभाग तानसही हिटलर, मुसोलिनी किब्तरः पेश आ रहा है. अगर उपभोक्ता बिजली विभाग जाता है किसी भी कार्य को लेकर तो बिजली विभाग के कर्मचारी उससे तानाशाही रवैए का व्यवहार और अपमान करते है.प्रदेश के साथ साथ जिले में भी बीजेपी की सरकार है पर लगता प्रदेश की तर्ज पर ही जिले के विधायक भी सत्ता के मद में ऐसे मस्त है कि उन्हें जनता और जनहित मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है।इसका खमीजा जनता को भुगतना पड़ता है क्युकी जनता के साथ बिजली विभाग कर्मचारी तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते है क्युकी कोई उन्हें रोकने टोकने वाला नही है। ना उन्हें किसी या किसी भी कार्यवाही को कोई खौफ है।नतीजतन बिजली व्यवस्था जिले में लचर भसड हो गई।जनता एक से ट्रस्ट है।

मौजूदा हालात यह हैं कि जिले का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचता, जहां की मनमानी अघोषित बिजली कटौती न की जाती हो. शहर के अंदर दिन में कई बार बिजली कटौती की जाती है. इन दिनों आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटे-बड़े दुकानदारों भी भीषण गर्मी के दिनों में बिजली कटौती से परेशान हैं. कटौती की वजह से उनकी दुकानदारी सही ढंग से नहीं चल पा रही है.

इन दिनों ग्रामीण अंचलों में सबसे ज्यादा बिजली की गंभीर समस्या बनी हुई है. गांवों में दो से 8 घंटे की बिजली कटौती होती है. आए दिन सुधार का कार्य बताया जाता है. विद्युत वितरण केन्द्र मनिकवार, गुढ़, टीकर, गोविंदगढ़, सिलपरा जैसे तमाम केन्द्र हैं. लेकिन विद्युत वितरण व्यवस्था से गांव के लोग परेशान हैं.

अधिकारी बन है तानाशाह:
सबसे बड़ी बात तो यह है कि थोड़ी सी भी आंधी-पानी में बिजली कटौती शुरू हो जाती है, लेकिन जब आंधी-पानी का दौर खत्म होता है, तब भी इस भीषण गर्मी में बिजली कटौती जारी रहती है.और इस समस्या को लेकर जब अधिकारियों से पूछा जाता है तो अधिकारी समस्या को नजरअंदाज करने लगते हैं. न केवल नजरंदाज करते है बल्कि कई बार देखने में तो यहा तक आया है कि कर्मचारियों ने बिजली उपभोक्ताओं के साथ मारपीट तक कर डाली है।

जनता द्वारा विभिन्न बिजली समस्याओं को लेकर समय समय पर धरना प्रदर्शन तो होता है परंतु राजनीतिक गुरुओं के सरंक्षण में पोषित हो रहे बिजली अधिकारियो के कानो तक इन आंदोलनों की गूंज नही पहुंच पाती, वर्ना नही तो क्या कारण है कि सालो से बिजली समस्या जस की तस बनी हुई है। कुल मिलाकर कहें तो बिजली समस्या घटने की बजाय सुरसा के मुंह की तरह लगातार बढ़ती ही जा रही है।

बिजली की दरों में लगातार वृद्धि होने के कारण बिजली बिल जेब पर डाका डाल रहे हैं।हालत ये है कि बिजली रहे न रहे लेकिन जेब पर  डाका डालने वाले बिजली बिल बढ़ चढ़कर जरूर आयेगे।
आपको बता दें कि पहले ही निचले और मध्यम वर्गीय परिवार की  हालत खस्ता हाल है, लगातार बिजली दर और बढ़ते हुए बिजली बिल की वजह से, लगता है वो दिन दूर नही जब मप्र में बिजली ही बिजली होगी बिजली विभाग के पास, क्युकी प्रदेश के आम जन  की बिजली तो कट ही जाएगी बिना बिल भुगतान के! फिर आराम से उर्जा विभाग सरप्लस बिजली को दुसरे राज्यों को  बेचकर मुनाफा कमाए और  मीडिया में डींगे हाके सो अलग,बाकी जनता जाए भाड़ में!!!

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