मप्र चुनाव 2023: प्रदेश चुनावी हवा की चपेट में
सूबे में विधानसभा चुनाव सम्भवतः नवंबर माह में होने है, आने वाले महीने त्यौहारों से भरे होंगे। जिसमें राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, संगठन शक्ति के पर्व गणेश उत्सव, नवरात्र वही सामजिक तानेबाने को मजबूत करने वाले त्यौहार रक्षाबंधन और दीपावली भी इसी बीच आना है।
प्रदेश के प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपने लोक लुभावन घोषणा और वचन के साथ जनता के बीच होंगे।
सूबे में चल रही चर्चा और भाजपा में मची जल्दबाजी साफ संकेत दे रही है ये चुनाव कठिन मुकाबले वाला होगा। अमित शाह के लगातार हो रहे दौरे कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे है वही कमनलनाथ का अनुभव चुनावी तानों का जाल बुन रहा है। कांग्रेस में गुटबाजी थमी दिख रही है। एक दर्जन से ज्यादा प्रदेश स्तरीय कांग्रेस नेता क्षेत्रों में बंटकर चुनावी रण मजबूत कर रहे है।
वही भाजपा अपनी परंपरा अनुसार विभिन्न समितियां बनाकर चुनावी प्रबंधन व्यवस्था चालू कर चुकी है। वही शिवराज सरकार पूरी ताकत के साथ जनता का विश्वास बढाने हर मोर्चे पर सक्रिय है।
दोनों ही प्रमुख दल के कट्टर कार्यकर्ता अब गली मोहल्ले, नुक्कड़ पर अपनी पार्टी की खूबी और नेताओं की प्रशंसा में सक्रिय हो गये है।
जिसका प्रभाव युवाओं की बैठकों में दिखने लगा है किसान कर्ज माफी, मुआवजे, गैस सिलेंडर का रेट, बहनों को प्रतिमाह मिलने वाली राशि, सड़क, पानी, फसलों की कीमत और रोजगार के लिए पलायन प्रमुख मुद्दा है।
वही वरिष्ठ जनता के बीच महिलाओं के साथ हो रहा अपराध, विकास कार्य, महंगाई और भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।
ग्रामीण अंचलों में अभी भी वरिष्ठ नागरिकों की मूल चिंता चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार के लिए युवाओं का पलायन है।
चुनावी पंडितों के अनुसार जुलाई माह तक आये आधा दर्जन सर्वे काँग्रेस में उत्साह बढ़ने वाले है पर बारिश का मौसम खत्म होते ही आंकड़ों में परिवर्तन की सम्भवना को नकारा नहीं जा सकता।
आगामी समय में आप पार्टी की सक्रियता चौकाने वाली हो सकती है, जयस का आदिवासियों के साथ हुई घटनाओं पर मौन चुनाव में रहस्य बढ़ा रहा है।