मप्र चुनाव 2023: क्या AAP बढ़ा रही बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन?, सपा-बसपा कितने पानी में(series 4)
राजनीति दलों के साथ-साथ निर्वाचन आयोग और आयोग के निर्देशन में प्रशासन ने भी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए काम शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव 1 अक्टूबर के बाद ही होगा।
प्रदेश में अब तक दो बड़े राजनीतिक दल भाजपा और काग्रेस का ही वर्चस्व है। सत्ता पाने के लिए दोनो ही दल कमर कस चुके है। दोनो ही दल कोई कसर नही छोड़ रहे है। तू डाल-डाल तो मै पात-पात वाली स्तिथि है। प्रदेश की सियासत में कभी प्रभाव रखने वाली बसपा हाशिए पर है, तो सपा की कही कोई पूछ परख दिखती नही है। परंतु बीते कुछ समय से आप जिस तरह से प्रचार प्रसार में लगी है और जिस तरह के आसार बन रहे है, उसे देखकर राजनीतिक जानकार मानते है कि कही इस बार के चुनाव में आप की सियासी चाल बीजेपी कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ न दे। वैसे भी दिल्ली और फिर पंजाब में सरकार बनाने के बाद आप के अनुभव में वृद्धि हुई है, उनका कुनबा बढ़ा है, साथ ही आप अपने अक्रामक रुख के लिए जानी जाती है। ऐसे में आप अगर एमपी में इस बार सक्रियता से चुनाव लडेगी तो कही न कही प्रदेश की राजनीति में छाप जरूर छोड़ेगी, इससे इंकार नही किया जा सकता।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश की 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। आप की घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अरविंद केजरीवाल भोपाल में जनसभा को भी संबोधित कर चुके हैं।
- 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप
- सपा-बसपा पहले से हुई कमजोर
- राज्य में इसी साल होंगे चुनाव
- आप ने बढ़ाई बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन
इस साल के अंत में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव भूचाल लाने वाले हो सकते हैं। कारण बीजेपी पिछले 18 साल से सत्ता में काबिज है (कमलनाथ सरकार के काल को छोड़ दें तो), ऐसे में बीजेपी फिर सत्ता में आने के लिए एकदम फ्रंट ने सोच समझकर कदम बढ़ा रही है,खुद सीएम चौहान बारीक से बारीक बिंदु पर निगाह बनाएं रखे हैं, तो वही बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व भी एमपी चुनाव को लेकर खासा अलर्ट है, खुद अमित शाह प्रदेश के दौरे पर दौरे कर रहे है, पीएम मोदी भी हाल ही में दो बार प्रादेशिक दौरे कर चुके है। तो वही काग्रेस की बात करें तो दूध की जली बिलारी छांछ को भी फूक फूक कर पिए की तर्ज पर चल रही है। सत्ता में आने के बाद भी सत्ता छिन जाने का दर्द कांग्रेस ही समझ सकती है, ऐसे में कांग्रेस इस समय बीजेपी पर काफी आक्रामक होकर सियासत कर रही है।केंद्रीय नेतृत्व भी साथ दे रहा है।पहले राहुल तो अभी हाल में प्रियंका गांधी दौरा कर गई हैं। कांग्रेस तो एक कदम आगे बढ़कर हिंदुत्व की लाठी पकड़कर चल रही है। राजनीतिक पंडित तो कह रहे कि कांग्रेस का भाजपाईकरण हो रहा है।
माना जा रहा है कि हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। लेकिन एक मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन के अभाव में कुछ अन्य दल अपने क्षेत्रों का विस्तार करने का प्रयास करेंगे।
पिछले साल कोयला नगरी सिंगरौली में मेयर पद जीतकर शानदार एंट्री करने वाली दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश में इस बार पूरी दमदारी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। जनवरी में आप ने राज्य की कार्यकारिणी को भंग कर दिया और दो महीने बाद सिंगरौली मेयर का चुनाव रानी अग्रवाल ने जीत लिया। पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पदोन्नत किया है।
मार्च में राज्य का दौरा करने के दौरान केजरीवाल ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा की थी।
केजरीवाल ने अपनी घोषणा में मध्य प्रदेश में सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए दिल्ली मॉडल की अवधारणा का हवाला दिया था। आप ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने दावा किया है कि वह भाजपा और कांग्रेस दोनों के कुछ बड़े नेताओं के साथ बातचीत कर रही है।
यह भी खबर सामने आ रही है कि कई नेता भाजपा और कांग्रेस से दूर हो गए हैं और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए आप में जगह पाने की जुगत में हैं।
राजनीतिक जानकारों की माने तो भले ही इस बार आप पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में कोई बहुत निर्णायक भूमिका में न उभर पाए परंतु भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए खेल बिगाड़ने का काम जरूर कर सकती है।